दुनिया में कोरोनावायरस के बढ़ते मामलों ने सभी वैश्विक इक्विटी बाजारों में जोखिम बढ़ा दिया है। यूबीएस सिक्योरिटीज के भारत में शोध प्रमुख गौतम छाओछाडिय़ा ने पुनीत वाधवा के साथ साक्षात्कार में बताया कि उन्होंने वित्त वर्ष 2021 के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) अनुमान में 50 आधार अंक तक की कटौती की है, लेकिन अभी आय अनुमानों में कटौती नहीं की गई है। पेश हैं उनसे बातचीत के मुख्य अंश:
ताजा घटनाक्रम की पृष्ठïभूमि में वैश्विक इक्विटी बाजारों पर आपका क्या नजरिया है? क्या बुरा समय आना बाकी है?
हमारे वैश्विक अर्थशास्त्रियों ने वैश्विक वृद्घि के अनुमान घटाए हैं और अब 2020 की पहली तिमाही 2008 से वैश्विक वृद्घि के लिहाज से सबसे कमजोर रहने की आशंका है, क्योंकि कोविड-19 का प्रभाव और कमजोर तेल कीमतों से चुनौती बनी हुई है। हमें तीसरी तिमाही से वैश्विक रूप से अच्छी वापसी की उम्मीद है। हमारी वैश्विक टीम के अनुसार, यदि वायरस पर नियंत्रण पाया जा सका तो वैश्विक इक्विटी बाजार 2020 के अंत तक प्रोत्साहन-केंद्रित नई ऊंचाइयां दर्ज कर सकते हैं। उत्तर एशिया और अमेरिका का इसमें बड़ा योगदान रहेगा, जबकि यूरोप और शेष उभरते बाजार थोड़ा पीछे रहेंगे। हम दूसरी छमाही में कुछ सुधार की उम्मीद देख रहे हैं, लेकिन वर्ष के लिए प्रतिफल सकारात्मक बनाए रखने के लिहाज से यह पर्याप्त नहीं हो सकती है।
भारत पर आपका क्या नजरिया है?
हम पिछले पांच वर्षों के दौरान आय पर दबाव के बाद अपने चार प्रमुख आधारों (निर्यात, नीति, ऋण, पूंजीगत खर्च) को ध्यान में रखते हुए कुछ महीने पहले भारत के आय चक्र पर उत्साहित थे। भले ही हमारी रणनीति में कोरोनावायरस जैसे विशेष घटनाक्रम शामिल नहीं थे। 6 सप्ताह पहले, कोविड-19 मुख्य तौर पर चीन तक सीमित था, लेकिन अब यह 117 देशों में फैल चुका है और हालात के बारे में कोई अंदाजा लगाना मुश्किल हो गया है। बाजार में भारी गिरावट (2020 के ऊंचे स्तर से 22 प्रतिशत) से मूल्यांकन आकर्षक हो गया है।
क्या भारतीय उद्योग जगत को आर्थिक मंदी से उबरने की उम्मीद है?
कुल मिलाकर धारणा बेहद कमजोर होती दिख रही है। अगले तीन वर्षों के लिए हम आय रिकवरी पर ध्यान देंगे और वृद्घि की रफ्तार मजबूत होने के साथ आय में तेजी की संभावना दिख सकती है। अगली दो-तीन तिमाहियों में कुछ दबाव बना रह सकता है, हालांकि यह देखने की जरूरत होगी कि कोविड-19 को लेकर हालात कैसे रहेंगे।
बैंकिंग सेक्टर पर आपका क्या नजरिया है?
हमारा मानना है कि बैंकिंग क्षेत्र अब मजबूत हो गया है और लंबे गैर-निष्पादित ऋण (एनपीएल) चक्र के बाद अब अच्छी तरह से पूंजीकृत है। येस बैंक-एसबीआई घटनाक्रम से यह सुनिश्चित करने में मदद मिल सकती है कि बाजार के लिए पिछले गतिरोध अब बीत चुके हैं। हम वित्तीय क्षेत्र पर उत्साहित बने हुए हैं, हालांकि यदि मौजूदा घटनाक्रम बाजार अपेक्षाओं के लिहाज से प्रतिकूल रहे तो कुछ बैंक/गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां जोखिम की दृष्टिï से अल्पावधि दबाव देख सकती हैं।
क्या वित्त वर्ष 2021 के लिए आपने आय अनुमानों में बदलाव किया है?
हमने अपने वित्त वर्ष 2021 के जीडीपी अनुमानों में 50 आधार अंक तक की कमी की है। हालांकि हमने अभी आय अनुमानों में कटौती नहीं की है। क्षेत्रों के संदर्भ में हम वित्त, प्रॉपर्टी, तेल एवं गैस, दूरसंचार, इंडस्ट्रियल और स्मॉल एवं मिड-कैप पर सकारात्मक हैं। वहीं कंज्यूमर स्टैपल्स, आईटी सेवा और फार्मास्युटिकल पर नकारात्मक रुख अपनाए हुए हैं।
विदेशी निवेशक भारत को किस नजरिये से देख रहे हैं?
भारत विदेशी निवेशकों के लिए सफल वृद्घि वाला देश रहा है और वे भारत को लेकर लंबे समय से अति उत्साहित बने हुए हैं। हालांकि लंबी निराशा के बाद निवेशकों ने भारत की विकास की क्षमता पर उंगली उठाना शुरू कर दिया है। यदि हम कोविड-19 से संबंधित ताजा बाजार प्रतिक्रियाओं को छोड़ दें तो चीन के साथ साथ भारत एशियाई प्रशांत देशों (एपीएसी) प्रतिस्पर्धियों में ऐसा एकमात्र देश था जिन्होंने 2020 में फरवरी तक शुद्घ विदेशी पूंजी प्रवाह आकर्षित किया था। वैश्विक वृहद आर्थिक कारकों और सामान्य जोखिमों को छोड़कर, एफआईआई के बीच मुख्य चिंताएं भारत की सुधार पहलों (श्रम सुधार, निजीकरण, जीएसटी) और कई घरेलू कारकों की निरंतरता को लेकर बनी हुई हैं। इसके अलावा, एफआईआई पांच साल के निराशाजनक प्रदर्शन के बाद अब आय वृद्घि पर ध्यान केंद्रित करेंगे।
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