लगभग आधे दशक तक भारतीय इक्विटी सूचकांकों में पसंदीदा बने रहने के बाद अब वित्तीय क्षेत्र के शेयरों के लिए हालात बदल सकते हैं। समेत सीएनएक्स निफ्टी में वित्तीय शेयरों में बैंकों और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) का योगदान 19 फरवरी 2020 के ऊंचे स्तर 40.1 प्रतिशत से घटकर गुरुवार को 37.8 प्रतिशत रह गया। इससे पिछले पांच साल में इस सूचकांक में वित्तीय शेयरों के भारांक में पहली सबसे बड़ी गिरावट का पता चलता है, और इस गिरावट का प्रत्यक्ष संबंध पिछले तीन सप्ताह में हुई भारी बिकवाली से हो सकता है।
मौजूदा हालात को देखते हुए विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) भारतीय वित्तीय क्षेत्र में मजबूत स्थिति में थे और इस क्षेत्र के शेयरों में अच्छे समय के दौरान मजबूत पूंजी प्रवाह दर्ज किया गया। एक विदेशी ब्रोकरेज फर्म के कारोबार प्रमुख ने कहा, 'इनमें से ज्यादातर निवेश पैसिव फंडों या इंडेक्स फंडों के जरिये हुआ, जिन्हें अब रिडम्पशन दबाव का सामना करना पड़ रहा है और वित्तीय क्षेत्र के शेयरों में अपने पोजीशन घटाने के लिए बाध्य हुए हैं।' लेकिन बिकवाली पूरी तरह तकनीकी कारकों पर केंद्रित नहीं है।
आदित्य बिड़ला सन लाइफ म्युचुअल फंड के मुख्य निवेश अधिकारी (इक्विटी) महेश पाटिल का कहना है कि कोविड-19 के प्रसार और वैश्विक रूप से मंदी के संकेतों की वजह से ये पैसिव फंड वित्तीय शेयरों में अपने पोजीशन घटा रहे हैं। उन्होंने कहा, 'भारत में, येस बैंक पर संकट और लंबी मंदी के रूप में यह दोहरा झटका है जिससे ऋण गुणवत्ता प्रभावित होने की आशंका बढ़ गई है।'
निफ्टी-50 सूचकांक फ्री फ्लोट बाजार पूंजीकरण वाला सूचकांक है जिससे संकेत मिलता है कि किसी कंपनी/क्षेत्र की बाजार वैल्यू में गिरावट से सूचकांक में उसका भारांक प्रभावित होता है। विश्लेषकों ने वित्तीय शेयरों के भारांक में और कमी आने की आशंका से इनकार नहीं किया है। जहां लगभग हरेक विदेशी ब्रोकरेज (चाहे जेपी मॉर्गन, मॉर्गन स्टैनली, क्रेडिट सुइस, सीएलएसए हो या यूबीएस) भारतीय वित्तीय क्षेत्र को लेकर 'ओवरवेट' हैं, नोमुरा उन कुछ ब्रोकरों में शामिल है जिन्होंने इस क्षेत्र पर अपना नजरिया बदल दिया है। नोमुरा के शोध प्रमुख (इक्विटी) सायन मुखर्जी ने एक रिपोर्ट में कहा है कि भारत में खासकर वित्त, वाहन, आईटी और धातुओं में आय जोखिम है। इसके परिणामस्वरूप, ब्रोकरेज को वित्तीय शेयरों पर अपना भारांक घटाने के लिए बाध्य किया है। एक अन्य विदेशी शोध फर्म के शोध प्रमुख ने कहा, 'लंबे समय तक कमजोरी और वैश्विक बिकवाली से ब्रोकरों को इस क्षेत्र पर अपना नजरिया बदलने के लिए बाध्य होना पड़ सकता है।'
घरेलू निवेशकों का मानना है कि बैंकिंग और एनबीएफसी शेयरों के ज्यादा मुश्किल स्थिति नहीं देखी जा सकती है, लेकिन महामारी का प्रभाव बढऩे से ये शेयर प्रभावित हो सकते हैं। पाटिल कहते हैं, 'कोविड-19 संबंधित प्रभाव अभी पूरी तरह से नहीं देखा गया है और इस बारे में कुछ निश्चित बता पाना अभी जल्दबाजी होगी कि इससे आय प्रभावित हो सकती है। लेकिन यदि स्थिति अनुमान से ज्यादा बदतर हुई तो निवेशक वित्तीय क्षेत्र पर नकारात्मक हो सकते हैं और निफ्टी पर उनका भारांक घट सकता है।'
हालांकि घरेलू निवेशक वित्तीय शेयरों में ज्यादा दिलचस्पी ले रहे हैं, लेकिन विश्लेषकों का कहना है कि मौजूदा हालात में उनके द्वारा इस क्षेत्र के लिए जोखिम बढ़ाने की संभावना कम है। पाटिल कहते हैं, 'मजबूत देनदारी वाले फ्रैंचाइजी गिरावट के बाद बाजार में आकर्षित हो सकते हैं।' विश्लेषकों का कहना है कि अगले दो सप्ताह क्षेत्र और शेयर-केंद्रित सुझाव के लिए आवश्यक साबित होंगे।
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