नो-कॉस्ट ईएमआई पर खरीदारी में भी हो सकती है समझदारी
बिंदिशा सारंग / March 22, 2020
कोरोनावायरस की महामारी से बचने के लिए जो लोग दफ्तर के बजाय अपने घरों से ही काम कर रहे हैं, वे अक्सर ऊब मिटाने या जरूरत पूरी करने के लिए ऑनलाइन खरीदारी करने लगते हैं। मुंबई में रहने वाले निजी क्षेत्र के कर्मचारी अंबर राम कहते हैं, 'मैं कई बार केवल ऊब मिटाने के लिए ही ऑनलाइन खरीदारी करने लगता हूं।' फ्लिपकार्ट ने 19 से 22 मार्च तक बिग शॉपिंग डे सेल आयोजित की थी। इस तरह की सेल भी ऑनलाइन शॉपिंग की ओर लोगों को मोड़ देती है।
मान लीजिए कि आप बेहद समझ-बूझकर खरीदारी करने वाले शख्स हों और महंगा सामान जरूरत पडऩे पर ही खरीदते हों तो भी भुगतान करने के कई विकल्प आपके सामने होंगे। आप नो-कॉस्ट ईएमआई (ब्याजरहित मासिक किस्त) चुन सकते हैं, अपना निवेश खत्म कर सकते हैं, व्यक्तिगत ऋण ले सकते हैं या कुछ महीने तक बचत करने के बाद खरीदारी कर सकते हैं। तो आपको इनमें से क्या चुनना चाहिए?
नो-कॉस्ट ईएमआई
भुगतान का एक आसान तरीका नो-कॉस्ट ईएमआई है। लेकिन यह काम कैसे करता है? मान लीजिए कि किसी लैपटॉप की कीमत 1 लाख रुपये है तो यह विकल्प चुनने पर आपको अगले 10 महीने तक 10,000 रुपये महीना चुकाने होंगे। इसमें आपसे ब्याज के तौर पर एक पाई भी नहीं ली जाती है।
पैसाबाजार डॉट कॉम में निदेशक और अनसिक्योर्ड लोन के प्रमुख गौरव अग्रवाल कहते हैं, 'जीरो-कॉस्ट ईएमआई योजना के तहत खरीदार उस कीमत को तय मियाद के भीतर बराबर किस्तों में अदा करता है, जिस कीमत पर उसने सामान खरीदा था। विक्रेता को छूट काटने के बाद बची कीमत मिलती है और जो छूट यानी काटी गई रकम होती है, वह बैंक को बतौर ब्याज मिल जाती है। खरीदार को इसमें मामूली रकम अलग से खर्च करनी पड़ती है और वह होती है ब्याज वाले हिस्से पर लगने वाला जीएसटी।' संक्षेप में कहें तो पूरी रकम देने पर आपको जो छूट मिली होती, वह ब्याज के तौर पर बैंक के पास चली जाती है।
अन्य ऋण विकल्प
खरीदारी के लिए कर्ज के दूसरे विकल्प भी रहते हैं। बैंकबाजार के मुख्य कार्य अधिकारी आदिल शेट्टïी कहते हैं, 'आम तौर पर क्रेडिट कार्ड इस्तेमाल करने वालों को अतिरिक्त खर्च के बगैर ईएमआई पर सामान खरीदने की सुविधा मिल जाती है। उन्हें ईएमआई ऑन-कॉल या खास खरीदारों द्वारा दी जा रही ईएमआई सुविधा के जरिये कागजी कार्रवाई के बिना ही सामान खरीदने का विकल्प मिलता है। आज आपके पास ईएमआई कार्ड का विकल्प भी मौजूद है। ईएमआई कार्ड वास्तव में पहले से मंजूर कर्ज होता है, जिसमें ईएमआई तभी शुरू होती है, जब आप कार्ड के जरिये कोई सामान खरीदते हैं।'
निवेश का इस्तेमाल
क्या खरीदारी के लिए आपको अपनी सावधि जमा (एफडी) तोडऩी चाहिए या म्युचुअल फंड की यूनिट भुनानी चाहिए? प्रमाणित वित्तीय योजनाकार निरीन मामाजी की सलाह है, 'निवेश तोडऩा या भुनाना खराब कदम हो सकता है क्योंकि हो सकता है आपने म्युचुअल फंड की यूनिट कम एनएवी पर खरीदी हों। अगर आप उनमें निवेश बनाए नहीं रखते हैं तो आपको भविष्य में होने वाले मुनाफे से हाथ धोना पड़ेगा।' लंबी अवधि में इक्विटी म्युचुअल फंड से 10 फीसदी से भी अधिक का प्रतिफल मिल सकता है। इसी तरह अगर आप 5 फीसदी की छूट हासिल करने के लिए 8 फीसदी प्रतिफल देने वाली एफडी तोड़ देते हैं तो इसे समझदारी भरा फैसला नहीं कहा जाएगा। हां, अगर आप 3 फीसदी सालाना ब्याज देने वाले बचत खाते से रकम निकालकर खरीदारी पर 5 फीसदी छूट हासिल कर लेते हैं तो इसे अच्छा फैसला कहा जाएगा।
सच कहें तो एकमुश्त भुगतान पर मिलने वाली छूट गंवाकर नो-कॉस्ट ईएमआई का विकल्प चुनना समझदारी है क्योंकि इससे आपको अपना निवेश खत्म नहीं करना पड़ता है। इसलिए कोई भी विकल्प चुनने से पहले यह जरूर देख लेना चाहिए कि उसमें आपको असल में क्या कीमत चुकानी पड़ रही है और आपको कितना फायदा हो रहा है।
अगर आप खरीदारी के लिए कर्ज लेने की सोच रहे हैं तो विशेषज्ञों के लिए आपके पास दो तरह के मशविरे हैं। पहला, जब आप कर्ज लेते हैं तो उसमें हमेशा खर्च जुड़े रहते हैं, जो छिपे हुए हो सकते हैं। बेंगलूरु में वित्तीय विशेषज्ञ मृण अग्रवाल समझाते हैं, 'कर्ज लेने के बजाय धीरे-धीरे बचत करना और उस रकम से सामान खरीदना हमेशा बेहतर रहता है। जब भी आप कर्ज लेंगे तो उसमें ब्याज जरूर वसूला जाएगा बेशक वह आपसे छिपा रहे।'
दूसरा मशविरा यह है कि इस वक्त किसी भी तरह के कर्ज से बचकर रहें। मुंबई में वित्तीय सलाहकार एम बर्वे कहते हैं, 'जिस वक्त बाजार बुरी तरह ढह रहे हैं, अर्थव्यवस्था में मंदी आ गई है और नौकरियों पर तलवार लटक रही है, उस वक्त किसी भी तरह का कर्ज बढ़ाने से बचना चाहिए।'
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