खाद्यान्न की कमी नहीं, देश में साल भर के लिए पर्याप्त अनाज
संजीव मुखर्जी / नई दिल्ली March 22, 2020
दुनिया के कई देशों की तरह भारत भी कोविड-19 के संकट से जूझ रहा है और उसके लिए राहत की बात यह है कि सरकारी गोदामों में खाद्यान्न का भरपूर भंडार है। इसे गरीबों और समाज के कमजोर तबकों में बांटा जा सकता है। उत्तर प्रदेश, दिल्ली, केरल, राजस्थान, कर्नाटक और पंजाब सहित कई राज्य पहले ही गरीबों और दिहाड़ी मजदूर तथा रिक्शा चलाने वाले जैसे कमजोर तबकों को मुफ्त राशन बांटने का फैसला कर चुके हैं।
आधिकारिक अनुमानों के मुताबिक देश में 10 मार्च, 2020 तक गेहूं और चावल का भंडार जरूरत से कहीं अधिक था। साथ ही सरकारी गोदामों में देश के 30 लाख टन दलहन और 11 लाख टन तिलहन का भंडार है। पिछले कुछ वर्षों के दौरान विभिन्न योजनाओं के तहत यह खरीद की गई थी।
अधिकारियों ने कहा कि इस साल 10 मार्च तक देश के पास करीब 584.9 लाख टन अनाज (गेहूं और चावल) का भंडार था। इससे राशन कार्डधारियों और विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं के लाभार्थियों को पूरे एक साल तक राशन का वितरण किया जा सकता है। यह अनुमान इस बात पर आधारित है कि 1 अप्रैल के बाद केंद्रीय भंडार में एक दाना भी नहीं जुड़ता है। सच्चाई यह है कि अगले महीने से गेहूं की खरीद के साथ यह भंडार और बड़ा हो जाएगा और इस साल सर्वाधिक 10.6 करोड़ टन अनाज पैदा होने की उम्मीद है।
इस मजबूत भंडार से केंद्र को बल मिला है और उसने राज्यों को छह महीने का अग्रिम कोटा उठाने की अनुमति दे दी है। देश में 2018-19 में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (एनएफएसएम), मध्याह्नï भोजन योजना, एकीकृत बाल विकास योजना (आईसीडीएस), अन्नपूर्णा योजना जैसी योजनाओं और रक्षा बलों की जरूरतों को पूरा करने के लिए राशन की दुकानों के जरिये करीब 5.7 करोड़ टन गेहूं और चावल का वितरण किया गया। मार्च में देश में गेहूं और चावल के भंडारण का स्तर पूरे साल के खपत से ज्यादा है। अधिकारियों ने कहा कि दलहन के मामले में नैफेड के पास करीब 30 लाख टन का भंडार है जिसमें से करीब 50 फीसदी चना दाल है। जरूरत पडऩे पर इसे राशन की दुकानों के जरिये तुरंत बाजार में उतारा जा सकता है।
नेफेड के एक वरिष्ठï अधिकारी ने कहा, 'चने का कई तरह से उपभोग किया जाता है और अरहर को छोड़कर बाकी सभी दालें तुरंत उपभोग के लिए तैयार हैं। अरहर में थोड़ा प्रसंस्करण की जरूरत होती है।'
तिलहन के मामले में एक समस्या यह है कि इसका तुरंत प्रसंस्कण करने की जरूरत है क्योंकि उसे खाद्य तेल में बदलना पड़ेगा। इससे आपूर्ति में कुछ व्यवधान पैदा हो सकता है। अधिकारियों ने कहा कि अगर इस समस्या का समाधान कर लिया जाए तो सरकार के पास करीब 11 लाख टन तिलहन का भंडार है। इसमें से 8 लाख टन मूंगफली और 3 लाख टन सरसों है। मूंगफली की तुलना में सरसों से तेल निकालना आसान और तेज प्रक्रिया है। चावल और गेहूं के मामले में अभी तक अधिकांश राज्य सरकारों ने समाज के गरीब तबकों को ही मुफ्त में राशन बांटने का फैसला किया है। उन्हें इसकी लागत वहन करनी पड़ेगी जो इस बात पर निर्भर करेगी कि उन्हें केंद्रीय पूल से किस कीमत पर राशन मिलता है।
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