भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने शेयर बाजार में तीव्र उतार-चढ़ाव को काबू में करने के लिए आज कई उपायों की घोषणा की। बाजार नियामक द्वारा शॉर्ट सेलिंग पर रोक लगाने, मार्जिन आवश्यकता में इजाफा, जुर्माने में 10 गुना इजाफा और डेरिवेटिव ट्रेडिंग के लिए बकाया पोजिशन को कम करने जैसे कुछ उपायों की घोषणा की गई है।
सेबी ने कहा कि डेरिवेटिव मार्केट में शॉर्ट पोजिशन उपलब्ध शेयर या ट्रेडर की ओर से दी गई जमानत के मूल्य से अधिक नहीं हो सकता है। इसके अलावा वायदा एवं पोजिशन खंड के लिए 500 करोड़ रुपये की अतिरिक्त पोजिशन की सीमा उपलब्ध करानी होगी। बाजार के भागीदारों ने कहा कि नियामक के इस कदम का मकसद डीलरों को आक्रामक तरीके से शॉर्ट पोजिशन लेने से होत्साहित करना है।
सैमको सिक्योरिटीज के संस्थापक और मुख्य कार्याधिकारी जिमीत मोदी ने कहा, 'शॉर्ट सेलिंग पर 500 करोड़ रुपये की सीमा लगाना व्यवहारिक है। अगर कोई 500 करोड़ रुपये की निर्धारित सीमा से ज्यादा का अनुमान लगाना चाहता है तो उसे दो गुना मार्जिन देना होगा जो तीन महीने के लिए ब्लॉक हो जाएगा।' शेयर बाजार में भारी उतार-चढ़ाव के कारण बाजार नियामक और स्टॉक एक्सचेंजों पर इसे काबू में करने का खासा दबाव बना हुआ है। इस हफ्ते बेंचमार्क सूचकांक 12 फीसदी लुढ़क चुका है और इस महीने अब तक 22 फीसदी की गिरावट आ चुकी है।
इसके अलावा सेबी ने ज्यादा उतार-चढ़ाव वाले शेयरों के लिए मार्केट आधारित पोजिशन सीमा (एमडब्ल्यूपीएल) आधी कर दी है। इसके तहत हफ्ते के दौरान औसतन रोजाना 15 फीसदी के उतार-चढ़ाव वाले शेयर आते हैं। हाल के हफ्ते में वायदा एवं विकल्प (एफऐंडओ) खंड में कई शेयरों में दैनिक आधार पर 40 फीसदी तक का उतार-चढ़ाव देखा गया है।
एमडब्ल्यूपीएल शेयर के बाजार पूंजीकरण के मुक्त प्रवाह से जुड़ी है। विशेषज्ञों का कहना है कि एमडब्ल्यूपीएल के ढांचे में बदलाव से डेरिवेटिव बाजार में कारोबार के लिए उपलब्ध अनुबंधों की संख्या में कमी आएगी। उदाहरण के लिए अगर किसी खास शेयर में 1,000 करोड़ रुपये की पोजीशन की अनुमति थी तो अब यह घटकर 500 करोड़ रुपये रह जाएगी। इससे मौजूदा पोजिशन कम हो सकती है, अन्यथा कारोबारियों पर भारी जुर्माना लगाया जाएगा। अगर किसी शेयर में 95 फीसदी एमडब्ल्यूपीएल का इस्तेमाल हो जाता है तो यह पाबंदी की सीमा में प्रवेश कर जाता है जिसके बाद सीमाओं के मुक्त होने तक मौजूदा पोजीशन की भरपाई की ही अनुमति है।
सेबी ने पाबंदी की अवधि के दौरान नई पोजीशनों पर रोजाना नजर रखने को कहा है। साथ ही उसने जुर्माने की राशि 10 गुना तक बढ़ा दी है। नियामक ने साथ ही नकद श्रेणी में तीन चरणों में मार्जिन रेट को बढ़ाकर 40 फीसदी करने का फैसला किया है।
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