उद्योगों द्वारा कर्मचारियों के वेतन काटने और छटनी से बचने की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सलाह के एक दिन बाद उद्योग संगठनों ने इस अपील की सराहना की, लेकिन उन्होंने इसकी जिम्मेदारी लेने से इनकार किया है। गुरुवार को 30 मिनट के भाषण में मोदी ने कारोबारी समुदाय के साथ-साथ कंपनियों से अपने कर्मचारियों के हितों का ध्यान रखने और यात्रा तथा अन्य पाबंदियों के कारण उनके काम पर नहीं आ सकने पर उन्हें दंडित नहीं करने को कहा था। प्रधानमंत्री ने कंपनियों को इस समय कर्मचारियों के साथ पूरी मानवीयता के साथ काम लेने और उनका वेतन न काटने की अपील की थी।
सभी उद्योग संगठनों ने प्रधानमंत्री का समर्थन किया है, लेकिन उन्होंने कहा कि बाजार में मांग कम है और कोरोना संकट की वजह से स्थिति और खराब होने की संभावना है। सीआईआई के अध्यक्ष विक्रम किर्लोस्कर ने कहा- भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) अपने सदस्यों से कह रहा है कि वे प्रधानमंत्री की सलाह के मुताबिक कार्यस्थल पर ठेके के कर्मचारियों सहित सभी कर्मियों की सहायता करें। उद्योग संगठन में 9,100 सदस्य हैं, जिसमें र्साजनिक के साथ सरकारी क्षेत्र भी शामिल है। इसकी अप्रत्यक्ष सदस्यता 3,00,000 से ऊपर है, जो 291 राष्ट्रीय व क्षेत्रवार संगठनों से जुड़े हैं। किर्लोस्कर ने कहा कि हम सक्रियता के साथ सरकार को निजी स्वास्थ्य क्षेत्र के बुनियादी ढांचे के इस्तेमाल की पेशकश कर रहे हैं और कर्मचारियों व सेवा प्रदाताओं की सुरक्षा का ध्यान दे रहे हैं, साथ ही इस कठिन घड़ी में उनकी जीविका का भी संरक्षण कर रहे हैं।
भारतीय वाणिज्य एवं उद्योग महासंघ (फिक्की) ने भी इसी तरह की प्रतिक्रिया दी है। फिक्की की अध्यक्ष संगीता रेड्डी ने कहा- प्रधानमंत्री को सबसे पहले सार्वजनिक स्थिति, इलाज से जुड़े पहलुओं पर ध्यान केंद्रित किया, उसके बाद आर्थिक रूप से कमजोर तबके को लेकर उचित अपील की क्योंकि उनकी मजदूरी बंद होती है तो यह उनके लिए खतरनाक होगा। दोनों उद्योग संगठनों ने कहा है कि उन्होंने प्रधानमंत्री का संदेश पंजीकृत सदस्यों को भेज दिया है, लेकिन कुल मिलाकर आर्थिक स्थिति ही भविष्य तय करेगी।
वहीं छोटे उद्योगों से जुड़े संगठनों को अनिश्चितता की घड़ी में कम उम्मीद नजर आ रही है। फेडरेशन आफ इंडियन एमएसएमई (फिस्मे) के महासचिव अनिल भारद्वाज ने कहा, 'चमड़ा, परिधान और रत्न एवं आभूषम जैसे कुछ क्षेत्र पहले से ही कम मांग के संकट से जूझ रहे हैं। यूरोप और अमेरिका से मांग घट रही है और ऑर्डर रद्द हो रहे हैं। निर्यातकों का कारोबार खराब हो रहा है, ऐसे में प्राथमिक उत्पादकों को भी नुकसान हो रहा है।' कन्फेडरेशन आफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (सीएआईटी) के सूत्रों ने भी कहा कि कोरोनावायरस के संकट के बाद अनौपचारिक क्षेत्र में का करने वाले लोगों को आर्थिक नुकसान से बचाने का कोई रास्ता नहीं है। कैट के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, 'अगर दुकान बंद हो जाती है तो हाथ से गाड़ी खींचने वालों के नुकसान से कैसे बचा जा सकता है? उनका ध्यान कौन रखेगा? हम उम्मीद करते हैं कि आर्थिक कार्यबल इस दिशा में कुछ कदम उठाएगा।'
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