चीन में कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण से भारत को होने वाली बल्क दवाओं की आपूर्ति पर लगी रोक हालात में थोड़े सुधार के साथ ही बहाल होने लगी है। कोरोना के प्रसार के केंद्र में रहे वुहान के दवा आपूर्तिकर्ताओं ने भी अपने भारतीय खरीदारों के साथ नए सिरे से बातचीत शुरू कर दी है। एक बड़ी दवा कंपनी के चेयरमैन ने बिज़नेस स्टैंडर्ड के साथ बातचीत में कहा कि चीन से दवाओं की बल्क आपूर्ति बहाल होने लगी है। उन्होंने कहा, 'यहां तक कि कोरोना से सर्वाधिक प्रभावित रहे वुहान के आपूर्तिकर्ताओं ने भी हमसे संपर्क साधना शुरू कर दिया है और दोनों पक्षों के बीच बातचीत जारी है।' उन्होंने कहा कि बंदरगाहों पर दबाव अधिक होने से यह माल मुख्यत: हवाई मार्ग से लाया जाएगा। चीन में वायरस से संक्रमित होने वाले नए लोगों की संख्या में कमी आ रही है जिससे वहां पर विनिर्माण उद्योग धीरे-धीरे पैरों पर खड़ा होने की कोशिश करने लगा है।चीन ने कहा था कि बुधवार को हुबेई प्रांत और उसकी राजधानी वुहान में कोई भी नया मामला सामने नहीं आया। हुबेई के करीब 40 आपूर्तिकर्ता भारत को थोक दवाओं, मध्यवर्ती सामग्रियां या प्रमुख बुनियादी औषधि सामग्रियों को निर्यात करते रहे हैं। जेबी केमिकल्स के अध्यक्ष प्रणब मोदी ने कहा, 'वुहान के आपूर्तिकर्ता भारत की कंपनियों के साथ बात कर रहे हैं। प्रतिबंधित निर्यात उत्पादों की सूची में रखे गए कुछ उत्पादों की आपूर्ति भी जल्द ही शुरू होने की संभावना है।' कोरोना संकट के चलते चीन के बंदरगाहों पर अटके माल की भी आवाजाही शुरू हो गई है। उम्मीद है कि यह माल इस महीने के अंत तक भारत पहुंच जाएगा। मोदी का मानना है कि वुहान के दवा विनिर्माताओं को दो महीने की बंदी के बाद पूरी क्षमता से उत्पादन के स्तर तक पहुंचने में अभी थोड़ा समय लगेगा। उन्होंने कहा कि एक महीने बाद हालात काफी हद तक सामान्य हो जाएंगे। भारत सक्रिय औषधीय सामग्रियों (एपीआई) एवं थोक दवाओं के लिए चीन पर बुरी तरह आश्रित रहा है। भारत में दवाएं बनाने में इस्तेमाल होने वाले कच्चे माल की करीब 70 फीसदी आपूर्ति चीन ही करता है। इस कच्चे माल से भारत में बड़े पैमाने पर एंटीबायोटिक एवं विटामिन दवाएं बनाई जाती हैं। चीन से आपूर्ति बाधित होने पर भारतीय औषधि बाजार में काफी आपाधापी हो गई थी। भारतीय औषधि निर्माताओं ने अपने पास दो-तीन का बफर स्टॉक जमा होने का दावा किया वहीं सरकार ने जरूरी दवाओं की आपूर्ति बनाए रखने के लिए 13 प्रमुख एपीआई के निर्यात को निषिद्ध कर दिया।
