एक ओर जहां बाजार में अग्रणी सूचकांकों में 5.75 फीसदी का सुधार दर्ज हुआ, वहीं दूसरी ओर बीएसई सेंसेक्स और सीएनएक्स निफ्टी में शामिल दिग्गज एचडीएफसी बैंक इसका अपवाद रहा। कारोबारी सत्र में बैंक का शेयर 7.85 फीसदी टूटने के बाद अंत में 1.4 फीसदी के नुकसान के साथ बंद हुआ। यह शेयर अमेरिका की बर्नस्टीन की तरफ से प्रकाशित रिसर्च नोट पर प्रतिक्रिया जता रहा था।
हफ्ते के ज्यादातर समय एचडीएफसी बैंक का शेयर दबाव में था, जो बुधवार को गहरा गया जब उसमें एनएसई पर 10 फीसदी से ज्यादा की गिरावट दर्ज हुई और यह एक दशक में सबसे ज्यादा एकदिवसीय गिरावट थी। उसी रात एचडीएफसी बैंक के अमेरिकी डिपॉजिटरी रिसीट्स यानी एडीआर में 11 फीसदी से ज्यादा की गिरावट दर्ज हुई और गुरुवार को भी गिरावट जारी रही जब उसका एडीआर 12 फीसदी और टूटकर 36.4 डॉलर पर बंद हुआ। गुरुवार के बंद भाव पर एचडीएफसी बैंक के एडीआर और उसके देसी शेयर (शुक्रवार के बंद भाव पर आधारित) का अंतर महज 1.7 फीसदी रह गया है, जो एक दशक का निचला स्तर है। विशेषज्ञों ने ये बातें कही है। अंतिम समाचार मिलने तक एचडीएफसी बैंक का एडीआर 36.48 डॉलर पर कारोबार कर रहा था। एक एडीआर एचडीएफसी बैंक के तीन सामान्य शेयर के बराबर है। बताया जाता है कि बर्नस्टीन की तरफ से जताई गई चिंता से एचडीएफसी बैंक का एडीआर दबाव में रह सकता है। यह नोट 19 मार्च को प्रकाशित हुआ जहां ब्रोकरेज ने बैंक की रेटिंग मार्केट परफॉर्म से घटाकर अंडरपरफॉर्म कर दिया। साथ ही लक्षित कीमत 1,400 रुपये से घटाकर 750 रुपये कर दिया।
एचडीएफसी बैंक की रेटिंग में कमी की प्रमुख वजह कोरोनावायरस के कारण मंदी के बीच उस बैंक का असुरक्षित खुदरा कर्ज और प्रबंधन के उत्तराधिकार पर बैंक का रुख है। बर्नस्टीन के विश्लेषक गौतम चुगानी ने कहा, एचडीएफसी बैंक की आय में 24 फीसदी और बैंक की बढ़त की रफ्तार में 36 फीसदी योगदान असुरक्षित कंज्यूमर फाइनैंस का है और असुरक्षित खुदरा कर्ज की हिस्सेदारी बैंक की लोनबुक में 17 फीसदी है।
इसकी तुलना में आईसीआईसीआई बैंक व ऐक्सिस बैंक की लोनबुक में असुरक्षित खुदरा कर्ज की हिस्सेदारी 9 फीसदी है। विश्लेषकों ने बैंक की सहायक एचडीबी फाइनैंशियल सर्विसेज की क्रेडिट गुणवत्ता पर भी चिंता जताई है, जो कमजोर अनौपचारिक क्षेत्र को सेवाएं देती है। विश्लेषक बैंक की उत्तराधिकार योजना के भी आलोचक हैं।
चुगानी ने लिखा है, एचडीएफसी बैंक ने पिछले संकट का निपटान बेहतर तरीके से किया है और विदेशी निवेशकों की पसंदीदा है, लेकिन उत्तराधिकार योजना समस्या वाला क्षेत्र है। उत्तराधिकार प्रक्रिया के अंसतोषजनक नतीजे रेटिंग के जोखिम को गई गुना बढ़ाता है।
दिलचस्प रूप से उसी दिन स्विटजरलैंड की यूबीएस की भारतीय इकाई ने एचडीएफसी बैंक को लेकर एक कॉन्फ्रेंस की, ताकि अग्रणी निवेशकों की चिंता दूर की जा सके। यह बैंक के कुछ देसी व विदेशी निवेशकों तक सीमित था। बाद में एक नोट में यूबीएस सिक्योरिटीज इंडिया प्राइवेट लिमिटेड ने बैंक के शेयर खरीद की सिफारिश की और 12 महीने की लक्षित कीमत 1,480 रुपये पर अपरिवर्तित रखी। सबसे अहम चीज संपत्ति गुणवत्ता को लेकर थी। यूबीएस सिक्योरिटीज के विश्लेषक विशाल गोयल ने कहा, असुरक्षित खुदरा परिसंपत्ति की गुणवत्ता की प्रवृत्ति स्थिर है। 80 फीसदी असुरक्षित कर्ज वेतनभोगी कर्मचारियों ने लिए हैं, जिनमें अच्छी कंपनियों के कर्मी और सरकारी कर्मचारी शामिल हैं। उन्होंने यह भी कहा कि अभी पुनर्भुगतान ठीक है और एमएसएमई के विशाखित पोर्टफोलियो के कारण बैंक की परिसंपत्ति गुणवत्ता पर ज्यादा असर नहीं होगा। उïन्होंने कहा, 70-75 फीसदी एसएमई कर्ज सुरक्षित है। विमानन कंपनी को बैंक का कर्ज काफी कम है और रेस्तरां व हॉस्पिटैलिटी कारोबार भी उसने सीमित उधारी दी है।
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