दिल्ली में कारोबार पर कोरोना का खौफ | शुभायन चक्रवर्ती / March 20, 2020 | | | | |
पुरानी दिल्ली की संकरी गलियों और यातायात जाम को देखते हुए लोगों से एक मीटर की दूरी बनाए रखना असंभव लगता है और निवासियों को इस बात पर संदेह है कि नगर निगम के अधिकारी इसको लेकर विज्ञापन करने की जहमत भी उठाएंगे। हल्के हाइड्रॉलिक मशीन के डीलरों को बेचने के लिए मैकेनिकल पाट्र्स तैयार करने की दुकान चला रहे प्रकाश अग्रवाल कहते हैं, 'क्या नरेंद्र मोदी या अरविंद केजरीवाल कभी चावड़ी बाजार आते हैं? इन खराब सड़कों पर चलने की जगह तक नहीं बची है, हजारों लोग एक-दूसरे को झटका देते हुए चलते हैं।'
अग्रवाल की 43 साल पुरानी दुकान 150 साल पुरानी गली घासी राम लेन पर स्थित है जहां रहने वाले काम करते हैं और बच्चे खेलते हुए नजर आते हैं। यहां सभी बिना मास्क के नजर आते हैं और वे कोरोनावायरस की फैलती दहशत से भी अनजान दिखते हैं। पंप सेट के थोक विक्रेता और अग्रवाल के पड़ोसी अफजल शेख कहते हैं, 'पिछले साल से कारोबार मंदा है और अब हम ऑर्डर रद्द कर रहे हैं। मुझे आशंका है कि कोरोनावायरस की वजह से चीजें और खराब होंगी।'
पुरानी दिल्ली के घनी आबादी वाले 6.1 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में मौजूद ज्यादातर कारोबारियों में भ्रम वाली स्थिति से जूझ रहे हैं और उन्हें नुकसान का डर भी सता रहा है। कम से कम एक दर्जन उद्योगों के माल का यह प्रमुख वितरण केंद्र है और आधुनिक दिल्ली का यह मुख्य क्षेत्र अभी तक बंद नहीं हुआ है।
लोहे के पाइप आदि के खुदरा विक्रेता सुधीर जैन कहते हैं, 'यहां भी सबकुछ जल्द बंद हो सकता है। मार्केट एसोसिएशन ने 21 मार्च से पूर्ण बंद का आह्वान किया है। अगर वे दुकान बंद कर देते हैं तो मुझे काफी मुश्किल आएगी क्योंकि भंडार का ज्यादातर माल बेचा नहीं गया है और आपूर्तिकर्ता भुगतान को लेकर चिंतित हो रहे हैं।'
हौज काजी की खाली गलियों में जैन कहते हैं, 'दिल्ली में लोग पुराने तरीके से कारोबार करना पसंद करते हैं । यहां तक कि पुराने खरीदार जो हमारे उत्पादों पर भरोसा करते हैं, वे मिलने आते हैं और ऑर्डर पर खुद ही हस्ताक्षर करते हैं। लेकिन अब ज्यादातर वायरस के कारण अपनी यात्राएं रद्द कर रहे हैं।'
देश में सूखे मेवे और मसालों के सबसे बड़े बाजार खरी बावली में मौजूद दुकानदार इस बात को लेकर भ्रमित हैं कि व्यक्तिगत स्पर्श को कैसे रोका जाए। सूखे मेवे के एक कारोबारी भजन राम कहते हैं, लोग आमतौर पर मेवे को चखकर उसका स्वाद लेने के लिए थोड़ा सा उठाते हैं। लेकिन मैं यह सुनिश्चित नहीं कर सकता कि वे सभी अपने हाथ धोएं।'
सुनसान बाजार
पूर्वी दिल्ली के लोकप्रिय परिधान बाजार लक्ष्मीनगर में सड़कें खाली-खाली सी दिख रही हैं। ओसवाल फैशन शोरूम में शॉप मैनेजर बलराम कहते हैं, 'हमारे जैसे खुदरा विक्रेताओं के लिए हालात और भी खराब होंगे जब ग्राहक घर से बाहर कदम नहीं रखते हैं। आपूर्ति श्रृंखला भी प्रभावित हो रही है और अब लोग गांव वापस जा रहे हैं तब मजदूरी की लागत भी बढ़ रही है। साल के इस समय हमारा रोजाना कारोबार 1.8 से 2 लाख रुपये तक का होता था जो कम होकर 45,000 तक हो गया है।'
छोटे कारोबारियों के लिए हालात और भी खराब है। 62 वर्षीय अश्विनी कुमार निराशा के साथ कहते हैं, 'लोग मुझसे कहते हैं कि मैं अपनी दुकान न खोलूं या आप संक्रमित हो जाएंगे। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है जब मैं अपने कर्ज का भुगतान नहीं कर सकता।' उनकी दुकान की दीवार पर चमड़े के बैग, बेल्ट और पर्स लटके हुए हैं क्योंकि खरीदार ही नहीं मिल रहे हैं। सड़कों पर अफवाहों और वाट्सएप फॉरवर्ड का असर नफीज के कारोबार पर दबाव बना रहा है। उनके 12 साल पुराने कसाईखाना कलकत्ता मीट शॉप पर संकट के बादल छाए हुए हैं। वह थके हारे अंदाज में अपनी खाली दुकान को देखते हुए कहते हैं, 'लोग ऐसे समय में मांसाहारी भोजन से दूर रहने की कोशिश करते हैं, लेकिन अब डॉक्टरों ने भी इस बात पर जोर दिया है कि चिकन का सेवन करने से कोरोनावायरस नहीं होता। लेकिन लोग सुन नहीं रहे हैं।'
पार्टी भी बंद
नई दिल्ली के मशहूर क्नॉट प्लेस के पॉश इलाके में राज्य सरकार के आदेश की वजह से सभी फूड और बेवरिज कारोबार बंद हैं जिससे यहां निराशा की स्थिति दिख रही है। एक मशहूर बार के गेट के बाहर निगरानी के लिए खड़े रविंद्र ने बताया, 'पुलिसकर्मियों ने सभी बार और नाइटक्लब का दौरा करना शुरू कर दिया है और वे इन्हें बंद करने का आदेश दे रहे हैं। अगर यह जगह अगले 10 दिन तक बंद रहती है तब हममें से कम से कम 5 लोग जिन्हें साप्ताहिक आधार पर भुगतान किया जाता है उनके पास नौकरी नहीं रहेगी।' निजी क्षेत्र के दफ्तरों में काम करने वाले लोग अब घर से काम करने लगे हैं ऐसे में उनके पास अब पर्याप्त वक्त होता है जिसकी वजह से यहां लोग ठीक तादाद में आ रहे थे। 23 साल की प्रज्ञा सैनी संदेह भरे अंदाज में कहती हैं, 'मैं एक लॉ कंपनी में हफ्ते में छह दिन काम करती हूं। मैंने दिन का काम घर से पूरा किया है और मेरे लिए यह काफी मुश्किल होता है कि मैं अपने खाली वक्त का लुत्फ भी न उठाऊं।'
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