निराशाजनक खबरों के बीच मौसम के संबंध में कुछ अच्छी खबर है। मौमस के नवीनतम पूर्वानुमान से पता चलता है कि मॉनसून से पहले के महीनों के दौरान तथा देश में मॉनसून की शुरुआत होने के बाद भी यानी मई, जून और जुलाई महीने में खौफनाक अल नीनो 'तटस्थ' रहने के आसार हैं। एल नीनो मौसम की वह दशा है जिसे भारत में दक्षिण-पश्चिम मॉनसून की गति बाधित करने वाला माना जाता है।
मौसम विभाग का ताजा पूर्वानुमान बताता है कि इसके बाद समुद्र की सतह के तापमान में और गिरावट आ सकती है जिससे जुलाई के बाद ला नीना की संभावना जोर पकड़ सकती है। मौसम के इन हालातों से संकेत मिलता है कि इस बार भारत में मॉनसून सामान्य रहने की संभावना है।
दक्षिण-पश्चिम मॉनसून जून के महीने में भारत में प्रवेश करता है और सितंबर के बाद से वापस जाना शुरू कर देता है। मॉनसून के मौसम के लिए जुलाई सबसे महत्त्वपूर्ण महीना होता है क्योंकि इस महीने में बारिश की मात्रा अधिकतम होती है। देश की कृषि और सामान्य अर्थव्यवस्था के लिए भी अच्छा मॉनसून महत्त्वपूर्ण रहता है क्योंकि देश के आधे से भी कम खेतों में सिंचाई की जाती है। अल नीनो को पूर्वी उष्णकटिबंधीय प्रशांत महासागर की सतह के तापमान (एसएसटी) में दीर्घ अवधि के औसत से 0.5 डिग्री सेंटीग्रेड की वृद्धि के रूप में परिभाषित किया जाता है, जबकि इसके उलट ला नीना को उसी क्षेत्र पर एसएसटी में दीर्घ अवधि के औसत से 0.5 डिग्री सेंटीग्रेड की कमी के रूप में परिभाषित किया जाता है।
भारत के दक्षिण-पश्चिम मॉनसूनी मौसम के प्रदर्शन में अल नीनो बड़ी भूमिका निभाता है। मौसम का पूर्वानुमान बताने वाली निजी एजेंसी स्काईमेट द्वारा अध्ययन किए गए आंकड़ों से पता चलता है कि पिछले 135 वर्षों के दौरान 1880 से 2014 तक अल नीनो वाले लगभग 90 प्रतिशत वर्षों में सामान्य से कम बारिश हुई है, जबकि 65 प्रतिशत वर्षों में अल नीनो विकसित होने से सूखा पड़ा है।
स्काईमेट ने रिपोर्ट में कहा गया है कि किसी अल नीनो वर्ष के दौरान आम तौर पर औसत से कम बारिश होती है जिससे फसल उत्पादन पर इसका नकारात्मक असर पड़ता है। इसके अलावा हिंद महासागर द्विध्रुव (आईओडी) भी ऐसा कारक है जो भारत में दक्षिण-पश्चिम मॉनसून के प्रदर्शन पर असर डालता है। भारतीय मौसम विभाग के अनुसार पूर्वानुमानित अवधि के दौरान यह भी तटस्थ रहने की उम्मीद है।
इस सबसे यह उम्मीद जोर पकड़ती है कि अगर हालात में कोई बड़ा उलट-फेर नहीं होता है, तो शुरुआती संकेतों के अनुमसार वर्ष 2020 में दक्षिण-पश्चिम मॉनसून सामान्य रह सकता है। मौसम विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा है कि जहां तक वर्ष 2020 के दौरान दक्षिण-पश्चिम मॉनसून का संबंध है, तो अब तक हमें कोई भी बड़ी प्रतिकूल स्थिति नजर नहीं आई। हालांकि मध्य अप्रैल के बाद यह स्थिति और ज्यादा स्पष्ट होगी।
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