दीपक कोरगांवकर और पुनीत वाधवा / मुंबई/नई दिल्ली March 19, 2020
एसऐंडपी बीएसई सेंसेक्स और निफ्टी में कैलेंडर वर्ष 2020 में अब तक 32 फीसदी की गिरावट आई है, जिससे सार्वजनिक बीमा कंपनी भारतीय जीवन बीमा की किस्मत पर काफी असर पड़ा है और ढाई महीने में कंपनी को अपने निवेश पर 2 लाख करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ा है। इक्विटी में बड़ा निवेश करने वाली कंपनी के तौर पर मशहूर इस बीमा कंपनी का कई सूचीबद्ध कंपनियों में खासा निवेश है। एलआईसी के निवेश पर ऐसे समय चोट पड़ी है जब सरकार स्टॉक एक्सचेंजों पर एलआईसी को सूचीबद्ध करने की योजना बना रही है, जो कानून में बदलाव व नियामकीय मंजूरी पर निर्भर करेगा।
दिसंबर 2019 की तिमाही में सूचीबद्ध कंपनियों में बीमा कंपनी के निवेश की वैल्यू 6.02 लाख करोड़ रुपये थी, जो अब घटकर 3.99 लाख करोड़ रुपये रह गई है, जिसका मतलब यह है कि कंपनी का मार्क टु मार्केट नुकसान 2.03 लाख करोड़ रुपये यानी 34 फीसदी रहा है। यह अध्ययन एसऐंडपी बीएसई 500 इंडेक्स की 209 कंपनियों पर आधारित है, जिनमें एलआईटी की हिस्सेदारी दिसंबर 2019 की तिमाही में एक फीसदी से ज्यादा थी। बीएसई में सूचीबद्ध कंपनियों के कुल बाजार पूंजीकरण में इन कंपनियों की हिस्सेदारी 65 फीसदी है।
बैंक, एनबीएफसी और बीमा कंपनियों समेत वित्तीय क्षेत्र में उनके निवेश पर भारी चोट पड़ी है और इस अवधि में एलआईसी की कुल वैल्यू में 30 फीसदी यानी 61,552 करोड़ रुपये की कमी दर्ज हुई है। तेल व गैस (30,041 करोड़ रुपये), सूचना प्रौद्योगिकी (16,112 करोड़ रुपये), सिगरेट निर्माता (15,117 करोड़ रुपये), धातु (13,549 करोड़ रुपये), ऑटोमोबाइल (12,896 करोड़ रुपये) और बुनियादी ढांचा (11,973 करोड़ रुपये) ऐसे क्षेत्र हैं जहां एलआईसी ने इस अïवधि में 10,000 करोड़ रुपये से ज्यादा गंवाए।
इक्विनॉमिक्स रिसर्च के संस्थापक व प्रबंध निदेशक जी चोकालिंगम ने कहा, सेवा से जुड़े क्षेत्र कोरोनावायरस से सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं। कृषि मोटे तौर पर अप्रभावित बना रहेगा, वहीं विनिर्माण पर उतना ही असर पड़ेगा जब वहां आपूर्ति से जड़े मसले होंगे। सेवा क्षेत्र में भी इसका असर अलग-अलग है। दूरसंचार हालांकि अप्रभावित रह सकता है, वहीं होटल, ट्रैवल व टूरिज्म इसकी चपेट में आएंगे। ये सभी चीजें एलआईसी समेत निवेशकों की किस्मत पर असर डालना जारी रखेगा। यह व्यवस्थागत मसला है।
क्रेडिट सुइस वेल्थ मैनेजमेंट के विश्लेषकों का मानना है कि अगले कुछ महीने में (जब तक कि अर्थव्यवस्था पर कोराना के असर और भारतीय कंपनी जगत की किस्मत पर स्पष्टता नहीं आती) देसी व विदेशी निवेश प्रभावित होगा, जो भारतीय बाजारों पर असर डालेगा।
क्रेडिट सुइस वेल्थ मैनेजमेंट के इक्विटी शोध प्रमुख जितेंद्र गोहिल ने कहा, वायरस के डर और तेल की कीमतों में गिरावट के कारण विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक बिकवाली कर रहे हैं और उभरते बाजारों में अपना निवेश घटा रहे हैं और भारत इसका अपवाद नहीं है। देसी इक्विटी निवेश अभी तक मजबूत रहा है, लेकिन चुनौतीपूर्ण आर्थिक स्थिति और उधारी वाली पोजिशन की बिकवाली को देखते हुए स्थिरता मुश्किल लग रही है।
ज्यादातर विश्लेषक इस पर सहमत हैं कि बाजार ने कोविड-19 यानी कोरोनावायरस के पूरे असर को समाहित नहीं किया है कि अर्थव्यवस्था और भारतीय कंपनी जगत पर इसका कितना असर होगा, लेकिन वे तीव्र सुधार से पूरी तरह इनकार नहींं कर रहे हैं जब स्वास्थ्य से जुड़ी चिंता खत्म हो जाएगी। नोमूरा के विश्लेषकों ने मार्च 2021 के लिए निफ्टी-50 का लक्ष्य 11,030 पर बरकरार रखा है, जो मार्च 2022 के 15 गुने आय पर आधारित है।
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