अग्रिम कर भुगतान में 10 प्रतिशत कमी | श्रीमी चौधरी / नई दिल्ली March 18, 2020 | | | | |
चालू वित्त वर्ष की अप्रैल से 15 मार्च तक की अवधि कंपनियों द्वारा भुगतान होने वाले अग्रिम कर संग्रह में 10 प्रतिशत से अधिक कमी दर्ज हुई है। इस बारे में एक कर अधिकारी ने कहा कि अग्रिम कर भुगतान में कमी से चालू वित्त वर्ष में कुल प्रत्यक्ष कर संग्रह में कम से कम 35,000 करोड़ रुपये तक की कमी आ सकती है। अग्रिम कर की चौथी किस्त जमा करने की अवधि 15 मार्च को समाप्त हो गई।
कोरोनावायरस के संक्रमण के मद्देनजर विवाद से विश्वास योजना से भी प्रत्यक्ष कर संग्रह में कमी की भरपाई करना आसान नहीं होगा। अधिकारी ने कहा कि वायरस के संक्रमण के कारण योजना को आगे बढ़ाने में दिक्कतें आ रही हैं। 18 मार्च तक कुल प्रत्यक्ष कर संग्रह में 5 प्रतिशत से अधिक कमी आई और यह 9.57 लाख करोड़ रुपये रहा। चालू वित्त वर्ष के लिए संशोधित अनुमान में यह आंकड़ा 11.7 लाख करोड़ रुपये रहने की बात कही गई थी।
इस तरह, प्रत्यक्ष कर संग्रह अनुमान से अब तक 2.13 लाख करोड़ रुपये कम रहा है। इसके अलावा कॉर्पोरेट एवं व्यक्तिगत आयकर (अग्रिम कर) संग्रह 5 प्रतिशत से अधिक फिसलकर अप्रैल-14 मार्च की अवधि में 3.55 लाख करोड़ रुपये रहा।
इनमें कंपनियों से प्राप्त कर 14 मार्च तक 2.67 लाख करोड़ रुपये रहा। पिछले वर्ष की समान अवधि के 3.05 लाख करोड़ रुपये के मुकाबले इसमें 12.4 प्रतिशत से अधिक गिरावट देखी गई। अग्रिम व्यक्तिगत आय कर में 3 प्रतिशत से थोड़ी अधिक तेजी आई।
केंद्र ने पिछले वित्त वर्ष के 13.55 लाख करोड़ रुपये के मुकाबले चालू वित्त वर्ष के लिए अग्रिम कर संग्रह का अनुमान संशोधित कर 11.7 लाख करोड़ रुपये कर दिया था। केंद्र को उम्मीद थी कि उसे संशोधित लक्ष्य हासिल करने में कोई कठिनाई होगी। निगमित कर दरों में कमी के बाद सरकार ने बजट अनुमान में कमी की है। माना जा रहा है कि इससे चालू वित्त वर्ष में सरकारी खजाने को 1.45 लाख करोड़ रुपये नुकसान होने का अनुमान है।
सूत्रों ने अग्रिम कर में भारी गिरावट के लिए निगमित कर में कमी, आर्थिक सुस्ती और कोरोनावायरस के संक्रमण को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। उनका मानना है कि विवाद से विश्वास योजना से प्रत्यक्ष कर संग्रह खाते में 1.5 लाख करोड़ रुपये जुड़ सकते हैं। इस योजना की अधिसूचना 17 मार्च को जारी हुई थी, लेकिन करदाताओं खासकर सरकार नियंत्रित कंपनियों की खास दिलचस्पी नहीं होने से अब तक इसके इच्छित परिणाम नहीं मिले हैं। अधिकारी ने कहा,'कुल मिलाकर राजस्व संग्रह की राह आसान नहीं लग रही है। आर्थिक सुस्ती की पूरी समीक्षा अभी नहीं हुई है, लेकिन यह कहना मुश्किल है कि केवल निगमित करों में कमी और अन्य कारणों से कर संग्रह में कमी आई है।'
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