निकट अवधि की प्राथमिकताएं ► खुदरा जमा का बेहतर उपयोग ► एमएसएमई सहित खुदरा ऋण पर जोर ► दबाव वाली संपत्तियों के समाधान में तेजी लाना ► लागत को कम करना संकट से जूझ रहे निजी क्षेत्र के ऋणदाता येस बैंक को अगले वित्त वर्ष में चूककर्ता कंपनियों से 8,500 करोड़ रुपये की वसूली की उम्मीद है। साथ ही बैंक वित्त वर्ष 2021 की पहली तिमाही के दौरान दूसरी किस्त से 10 हजार करोड़ रुपये से अधिक की नई इक्विटी जुटाने की भी योजना बना रहा है। भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) येस बैंक को संकट उबारने की योजना की अगुआई कर रहा है और वह अगले तीन साल तक इसके करीब 49 फीसदी शेयर अपने पास रखेगा। पुनर्गठन योजना के मुताबिक एसबीआई येस बैंक में 26 फीसदी हिस्सेदारी को तीन साल तक बेच नहीं पाएगा। एसबीआई के चेयरमैन रजनीश कुमार ने कहा, 'तीन साल तक हम येस बैंक में एक भी शेयर नहीं बेचेंगे। इस दौरान हमें अपने निवेश पर ठीकठाक रिटर्न मिलने की उम्मीद है। किसी को भी मुनाफाखोरी की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।' येस बैंक के कामकाज पर लगी पाबंदी हटने से एक दिन पहले मीडिया से मुखातिब हुए बैंक के प्रशासक प्रशांत कुमार ने कहा कि बैंक ने निकासी में तेजी की किसी भी स्थिति से निपटने के लिए पर्याप्त तैयारी की है। उन्होंने कहा, 'हमारे सभी एटीएम और शाखाओं में नकदी की पर्याप्त व्यवस्था की गई है और हम बाहर से नकदी की जरूरत नहीं पड़ेगी। फिर भी अगर जरूरत पड़ी तो इसका भी पूरा इंतजाम किया गया है।' इससे पहले शुक्रवार को भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा था कि जरूरत पड़ने पर येस बैंक को नकदी की मदद की जाएगी। आने वाले दिना में बैंक थोक जमा पर निर्भरता कम करने के लिए खुदरा जमा पर जोर देगा। प्रशांत कुमार ने कहा, 'हमारी प्राथमिकता खुदरा जमा आधार बनाने की होगी। हमारे कुल ऋण में 60 फीसदी हिस्सा खुदरा ऋण और बाकी हिस्सा कॉरपोरेट ऋण का होगा। अभी बैंक के कुल ऋण में 60 फीसदी हिस्सा कॉरपोरेट ऋण का और 40 फीसदी खुदरा ऋण का है।' येस बैंक के लिए पहले दौर की फंडिंग के बारे में एसबीआई चेयरमैन ने कहा कि इसके लिए पर्याप्त पूंजी उपलब्ध थी लेकिन यह फैसला किया गया कि इसमें घरेलू बैंक हिस्सा लेंगे।उन्होंने कहा, बहुत कम समय में ही कई अंतरराष्ट्रीय निवेशकों ने इसमें दिलचस्पी दिखाई थी लेकिन इससे बैंक को लंबे समय तक पाबंदी से गुजरना पड़ता। लेकिन हम जल्दी से जल्दी पाबंदी को हटाकर स्थिति को सामान्य करना चाहते थे। रजनीश कुमार ने कहा, एक ही बार में पूरी पूंजी जुटाने के बजाय दो चरणों में इसे पूरा किया जा सकता है। 10 हजार करोड़ रुपये जुटाने से यह सुनिश्चित होगा कि बैंक पूंजी पर्याप्तता अनुपात के सभी मानकों को पूरा कर रहा है। प्रशांत कुमार ने कहा कि पहले दौर की फंडिंग से न्यूनतम नियामकीय जरूरतें पूरी होंगी और दूसरी किस्त से जुटाई गई पूंजी में से 80 फीसदी राशि को बैंक की वृद्धि पर इस्तेमाल किया जाएगा। पहले दौर की फंडिंग में एसबीआई ने येस बैंक में इक्विटी के रूप में 6,050 करोड़ रुपये का निवेश किया है।
