भारत को दाम स्वीकार करने वाले देश की अपेक्षा दाम निर्धारित करने वाला देश बनाने के इरादे से भारत में जिंस बाजार के विकास और विस्तार के लिए भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने 'एक जिंस, एक एक्सचेंज' का प्रस्ताव पेश किया है। हालांकि वर्तमान में कई एक्सचेंजों ने प्रतिस्पर्धा उत्पन्न करने और निवेशकों को विकल्प देने के लिए एक जैसी जिंस के लिए अनुबंध की अनुमति प्रदान की हुई है।
अब तक एमसीएक्स धातुओं, कीमती धातुओं और ऊर्जा अनुबंधों में प्रमुख भागीदार है, जबकि कृषि खंड में एनसीडीईएक्स तथा हीरा, धान और इस्पात में आईसीईएक्स प्रमुख भागीदार हैं। हालांकि विनियामक के अनुसार बीएसई और एनएसई कारोबार बढ़ाने में सक्षम नहीं हैं और सेबी का तर्क है कि अगर एक्सचेंज किसी एक या दो खास जिंसों पर ही ध्यान केंद्रित करें तो वे उन जिंसों पर ज्यादा ध्यान दे सकते हैं और उन्हें ज्यादा बढ़ावा दे सकते हैं। सेबी द्वारा इस नए प्रस्ताव की दिशा में बढऩे का कारण यह है कि मौजूदा प्रणाली में एक्सचेंजों का ध्यान अपने स्वयं के जिंसों में बाजार विकसित करने और तरलता को एक से ज्यादा एक्सचेंजों में बांटने के बजाय प्रतिस्पर्धा की ओर है।
उद्योग के एक अधिकारी ने कहा कि जिंसों के अनुबंध के लिए उत्पाद के पेटेंट के समान दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता है। जब कोई एक्सचेंज भलीभांति तरीके से शोध करता है और किसी अनुबंध की शुरुआत करता है तो दूसरों के लिए उसकी नकल करना आसान होता है। इस तरह सेबी का प्रस्ताव अच्छा है क्योंकि जब कोई एक्सचेंज कुछ विशिष्टता लाता है, तो उसे उक्त अनुबंध में तरलता निर्मित और विकसित करने के लिए पर्याप्त प्रोत्साहन और समय की जरूरत पड़ती है। उन्होंने कहा कि सेबी भारतीय जिंस बाजार के लिए चीन जैसा मॉडल अपनाता दिखाई दे रहा है।
अब तक भारत गेहूं, चावल, दलहन, मसालों, कपास, चाय, रबर, लौह अयस्क, इस्पात, सोने, चांदी और हीरे का एक प्रमुख उपभोक्ता है। हीरे, चावल, रबर, चीनी, लौह अयस्क आदि के मामले में भारत प्रमुख आयातक या निर्यातक के रूप में वैश्विक बाजार में बड़ी भूमिका निभा रहा है। लेकिन अब भी भारत वैश्विक दाम निर्धारित करने की स्थिति में नहीं है। सेबी ने हाल ही में इस विषय पर जारी एक अवधारणा पत्र का अवलोकन करते हुए पाया है कि कुछ एक्सचेंज जब केवल एक या दो जिंसों में ही आगे बढ़ते हैं तो वे महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
उदाहरण के लिए चीन कई जिंसों का एक प्रमुख उत्पादक या उपभोक्ता रहा है, लेकिन इसके द्वारा कुछ विशेष जिंसों पर केंद्रित एक्सचेंजों की शुरुआत किए जाने के बाद वह उन जिंसों और दामों के संबंध में वैश्विक कीमतों को प्रभावित करने लगा है और वह उन जिंसों को भी प्रभावित कर रहा है जिनका रुख पश्चिम से पूर्व की ओर हो रहा है।
सेबी के अवधारणा पत्र के अुनसार डालियान कमोडिटी एक्सचेंज की प्रमुख जिंस सोयाबीन, लौह अयस्क और अंडा हैं। झेंगझऊ जिंस एक्सचेंज की प्रमुख जिंस पीटीए, सेब और कपास हैं। शांघाई फ्यूचर्स एक्सचेंज की प्रमुख जिंस रबर है। शांघाई गोल्ड एक्सचेंज और शांघाई इंटरनैशनल गोल्ड एक्सचेंज केवल सोने, चांदी और प्लैटिनम में ही कारोबार करते हैं।
दुनिया के अन्य स्थानों में भी यह विचार सफल रहा है तथा लंदन मेटल एक्सचेंज गैर-लौह धातुओं में और टोक्यो कमोडिटी एक्सचेंज रबर में अग्रणी रहा है। सेबी भारत में भी इसी तरह का मॉडल विकसित करना चाहता है जहां एक्सचेंजों को एक जिंस का चयन करना होगा जिसमें केवल वही एक्सचेंज कारोबार कर सकेगा और उन्हें तीन से पांच साल में उस जिंस के लिए बाजार विकसित करना होगा। इस अवधि के बाद अन्य एक्सचेंजों को इसमें कारोबार करने अनुमति दी जा सकती है।
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