पेट्रोलियम के अंतरराष्ट्रीय दाम कम होने और केरोसिन व रसोई गैस (एलपीजी) के दाम में चरणबद्ध बढ़ोतरी से तेल सब्सिडी के मोर्चे पर भारत सरकार को कुछ राहत मिल सकती है। तेल विपणन कंपनियां (ओएमसी) हर महीने रसोई गैस के दाम 4 रुपये बढ़ा रही हैं। एक ओएमसी के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, 'हर महीने सिलिंडर के दाम पर सब्सिडी मामूली कम की जा रही है और 4 रुपये प्रति महीने दाम बढ़ रहे हैं।'
विश्लेषकों के अनुमान के मुताबिक एलपीजी और केरोसिन दोनोंं पर सब्सिडी का बोझ 35,000 करोड़ रुपये हो सकता है, जिसमें 5,000 करोड़ रुपये केरोसिन की हिस्सेदारी होगी। सरकार के पुनरीक्षित अनुमान के मुताबिक इस साल 33,686 करोड़ रुपये सब्सिडी दी गई है, जिसके एक हिस्से का इस्तेमाल पिछले साल की सब्सिडी की भरपाई के लिए होगा।
2018-19 में पेट्रोलियम सब्सिडी 37,397 करोड़ रुपये थी। 2017-18 की 25,552 करोड़ रुपये सब्सिडी की तुलना में इसमें तेज बढ़ोतरी हुई है। ब्रेंट क्रूड के दाम शुक्रवार को 34.48 डॉलर प्रति बैरल रहे। सरकारी ओएमसी को बाजार भाव से कम पर उत्पाद बेचने के एवज में सरकार सब्सिडी के पैसे देती है। वैश्विक बाजार मेंं रसोई गैस के दाम के आधार पर सब्सिडी की राशि कम या ज्यादा होती है। अधिकारी ने कहा कि अगर दाम अगले कुछ महीने कम रहते हैं, जिसकी संभावना है, तो सब्सिडी कम होगी।
मार्च में सब्सिडी रहित रसोई गैस की कीमत में 53 रुपये प्रति 14.2 किलो सिलिंडर की कमी की गई। अंतरराष्ट्रीय दाम में कमी के कारण दिल्ली में इसकी कीमत 858.50 रुपये प्रति सिलिंडर से घटकर 805.5 रुपये प्रति सिलिंडर हो गई।आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक फरवरी महीने में सब्सिडी का बोझ बढ़कर 291.48 रुपये हो गया, जो जनवरी में 153.86 रुपये प्रति सिलिंडर था। प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना (पीएमयूवाई) ग्राहकोंं की सब्सिडी 174.86 रुपये से बढ़कर 312.49 रुपये हो गई। इसी के मुताबिक सब्सिडी वाले सिलिंडर के दाम 560.14 रुपये से बढ़कर फरवरी में 567.02 रुपये हो गए क्योंकि कुछ बोझ ग्राहकों पर भी डाला गया।
सरकार हर साल उन लोगों को 12 सिलिंडर पर सब्सिडी देती है, जिनकी सालाना कमाई 10 लाख रुपये से कम है। जो लोग ज्यादा कमाते हैं या 12 सिलिंडर से ज्यादा इस्तेमाल करते हैं, उन्हें बगैर सब्सिडी वाले दाम का भुगतान करना होता है। अधिकारी ने कहा कि फरवरी में अंतरराष्ट्रीय दाम के आधार पर गैर सब्सिडी वाले सिलिंडर के दाम में 144.5 रुपये प्रति सिलिंडर की ऐतिहासिक बढ़ोतरी की गई थी, जो मार्च में कम होगी।
इसकी वजह यह है कि जनवरी महीने में एलपीजी के अंतरराष्ट्रीय दाम 448 डॉलर से बढ़कर 567 डॉलर प्रति टन हो गए थे। मार्च महीने में सिलिंडर के खुदरा दाम घटकर 534.1 रुपये रह गए। रसोई गैस के दाम औसत वैश्विक मूल्य के आधार पर अगले महीने के लिए तय होता है। पेट्रोलियम मंत्रालय के उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक रसोई गैस की खपत में जनवरी में 6.1 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है और वित्त वर्ष 2019-20 में संचयी वृद्धि दर 7.4 प्रतिशत रही है।
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