प्रत्यक्ष कर विवाद समाधान योजना विवाद से विश्वास के संभावित विस्तार का संकेत देते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज कहा कि करदाताओं से सुझाव लेने और योजना लागू करने के बारे में चर्चा के बाद इसकी अंतिम तिथि अधिसूचित की जाएगी। इस योजना के तहत करदाताओं को बहुत कम वक्त दिए जाने के बारे में पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए सीतारमण ने यह कहा। इस योजना के लिए 31 मार्च को अंतिम तिथि तय की गई है, जबकि उसके बाद कर भुगतान करने पर 10 प्रतिशत अतिरिक्त भुगतान करना पड़ेगा। राज्यसभा ने आज विधेयक पारित कर दिया और अधिसूचना से पहले इस पर राष्ट्रपति के अनुमोदन की जरूरत होगी। इसकी वजह से प्रक्रिया में हिस्सा लेने के लिए करदाताओं को बमुश्किल एक पखवाड़े का वक्त मिलेगा। यह योजना 30 जून तक खुली रहेगी, लेकिन 31 मार्च के बाद योजना में हिस्सा लेने वालों को 10 प्रतिशत अतिरिक्त कर भुगतान की जरूरत होगी। सीतारमण ने कहा, 'बहरहाल विधेयक में सरकार को अंतिम तिथि अधिसूचित करने का अधिकार दिया गया है। करदाताओं के सुझाव और पूरी प्रक्रिया पर विचार के बाद इसके बारे में अधिसूचना जारी की जाएगी।' इस योजना के तहत कर अधिकारियों को 100 प्रतिशत लक्ष्य हासिल करने को लेकर हो रही आलोचना पर सीतारमण ने कहा कि यह लक्ष्य गतिविधियां बढ़ाने के मकसद से दिया गया है, न कि हर करदाता को इसमें शामिल करने के लिए ऐसा किया गया है। वित्त मंत्री ने कहा, 'निश्चित रूप से हम यह चाहते हैं कि सरकार की हर योजना को अधिकारी गंभीरता से लें, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि हर करदाता को इस योजना में शामिल किया जाना है।' उन्होंने कहा कि इसके लिए अभियान चलाया जाएगा कि करदाताओंं को इसमें क्यों शामिल होना चाहिए। उन्होंने यह भी साफ किया कि छापा अभियानों में अगर जब्त रकम 5 करोड़ रुपये तक है तो वैसी स्थिति में संसद द्वारा विधेयक पारित होने के बाद इस योजना का लाभ उठाया जा सकता है। इससे ऊपर राशि की धोखाधड़ी और कर चोरी को योजना से बाहर रखा गया है। इस योजना में 4,00,000 से ज्यादा कर मामले शामिल किए जा सकते हैं, जिसमें कम से कम 9.3 लाख करोड़ रुपये फंसे हैं। शार्दूल अमरचंद मंगलदास ऐंड कंपनी के पार्टनर गौरी पुरी ने कहा कि इससे लगता है कि सरकार जमीनी स्थिति पर नजर रखे हुए है और वह योजना को लेकर चिंताओं को दूर करने की कवायद कर रही है। सीतारमण ने यह भी कहा कि सरकार कर अधिकारियों के विवेकाधिकार और भौतिक हस्तक्षेप कम करके कर विवाद के मूल कारणों का समाधान करने की कवायद कर रही है। डेलॉयट इंडिया के पार्टनर रोहिंटन सिधवा ने कहा कि पहले तय की गई 31 मार्च तिथि करदाताओं को योजना का लाभ उठाने के लिए बेहद कम है। योजना के लिए आए फॉर्म को भरना होगा और इसके लिए तय अधिकारी 15 दिन में राशि के बारे में फैसला करेंगे। उसके बाद करदाता को कर भुगतान और अपील वापस लेने के लिए 15 दिन और मिलेंगे। बहरहाल संसद की मंजूरी में देरी की वजह से करदाताओं को त्वरित कदम उठाने की जरूरत होगी। इस स्पष्टीक्रण के बाद करदाताओं को थोड़ा वक्त मिलने की उम्मीद है, इस विधेयक को लागू किया जाना अभी बाकी है।
