एयर इंडिया की बिक्री की प्रक्रिया पर पड़ी कोरोनावायरस की मार | अरिंदम मजूमदार / नई दिल्ली March 13, 2020 | | | | |
सरकारी विमान कंपनी की विनिवेश प्रक्रिया में वायरल हमले की वजह से देरी होने जा रही है। सरकार ने एयर इंडिया खरीदने की इच्छुक कंपनियों के लिए बोलियां जमा कराने की आखिरी तारीख एक महीने से ज्यादा बढ़ा दी है। पहले जहां इसकी अंतिम तिथि 17 मार्च थी, अब यह बढ़ाकर 30 अप्रैल कर दी गई है। इस संबंध में शुक्रवार को एक अधिसूचना जारी की गई। सरकार ने अधिसूचना में कहा है, 'कोविड 19 के कारण पैदा हुई स्थिति के कारण बोली में दिलचस्पी लेने वालों की ओर से किए गए अनुरोध को देखते हुए उपरोक्त बदलाव किया गया है।'
इस मामले से जुड़े सूत्रों ने कहा कि भारत ने 15 अप्रैल तक सभी वीजा निरस्त करके सीमा सील करने की कवायद की है, जिसके चलते यह फैसला किया गया है। प्रक्रिया में शामिल एक अधिकारी ने कहा, 'बंदी और निरस्तीकरण के बीच विदेशी बोलीकर्ताओं के लिए सामान्य कामकाज करना असंभव है। इसे देखते हुए तिथि बढ़ाई गई है।' अधिकारी ने कहा कि अगर स्थिति में सुधार नहीं होता है तो आगे और विस्तार दिए जाने की संभावना है। उद्योग के अधिकारियों व निवेश बैंकरों ने कहा कि मौजूदा स्थिति में बोली की प्रक्रिया सफल होने की बहुत कम संभावना है क्योंकि एयरलाइंस सहित कारोबारी घराने नगदी बचाने में लगे हुए हैं।
एक वैश्विक विमान कंपनी के अधिकारी ने कहा, 'वायरस के हमले का असर खत्म होने के बाद वैश्विक अर्थव्यवस्था में स्थिरता आने पर प्रक्रिया बहाल की जा सकती है। कोई नहीं जानता कि यह कब तक चलेगा और ऐसे में खरीदारी के बजाय हमारा जोर नकदी बचाने पर होगा।' प्रमुख वैश्विक एयरलाइन समूह वायरस के कारण पूरी दुनिया में दबाव में हैं क्योंकि सरकारों ने यातायात पर प्रतिबंध लगा दिया है। मार्गों में बदलाव के साथ विमान उतरने पर भी रोक लगाई गई है। उदाहरण के लिए सिंगापुर एयरलाइंस के शीर्ष प्रबंधन ने फैसला किया है कि वह अपने कर्मचारियों के वेतन में कटौती करेगा और स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति देगा। जर्मन दिग्गज लुफ्तांसा को अपने करीब आधे विमानों की उड़ान रोकनी पड़ी है।
एयर इंडिया की बिक्री प्रक्रिया में सलाह दे रही कानून फर्म सिरिल अमरचंद मंगलदास ने कहा कि वायरस का असर पूरी दुनिया में विलय और अधिग्रहण की प्रक्रिया पर पड़ सकता है। बहरहाल एयरइंडिया के लेन देन की प्रक्रिया से जुड़े अधिकारियों ने कहा कि एयर इंडिया के बैलेंस सीट में कोई बदलाव नहीं आएगा क्योंकि भविष्य की देनदारियों व नुकसान की भरपाई सरकार करेगी। एक व्यक्ति ने कहा, 'बैलेंस सीट पर मौजूदा स्थिति के असर से संभावित खरीदार बचा रहेगा, जो एयर इंडिया के कारोबार में होने वाले नुकसान से होगा।'
उन्होंने कहा कि जो व्यक्ति या इकाई इसका अधिग्रहण करना चाहती है उसके लिएअन्य वैश्विक एयरलाइन समूहोंं की तुलना में एयर इंडिया का कारोबार छोटा है। यह तीसरा मौका है जब एयर इंडिया को बेचने को लेकर सरकार की योजना टली है। सरकारी एयरलाइंस को बेचने के लिए सरकार ने लुभावनी पेशकश के लिए पहले कई बदलाव किए हैं।
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