निजी क्षेत्र की बिजली उत्पादन कंपनी टाटा पावर ने अपना मुंद्रा पावर प्लांट बंद करने का फैसला 9 दिन के लिए टाल दिया है। इस संयंत्र से बिजली खरीदने वाले पांच राज्यों को भेजे गए पहले के नोटिस में कंपनी ने गुजरात स्थित इस बिजली संयंत्र को बुधवार को बंद करने की सूचना दी थी। अब कंपनी 20 मार्च तक सामान्य परिचालन जारी रखेगी। मुंद्रा स्थित 4,000 मेगावाट क्षमता के बिजली संयंत्र से से पांच राज्यों महाराष्ट्र, गुजरात, राजस्थान, पंजाब और हरियाणा को बिजली की आपूर्ति होती है। इन राज्यों को टाटा पावर ने संयंत्र बंद करने का नोटिस भेजा था, जिसमें कहा गया था कि राज्य उच्चाधिकार प्राप्त समिति (एचपीसी) की सिफारिशों को मानने और उच्च दरों पर पूरक बिजली खरीद समझौता करने में देरी कर रहे हैं। बिजली सचिव द्वारा सोमवार को बैठक के बाद कंपनी ने बंदी का फैसला टाल दिया है। टाटा पावर ने बयान में कहा, 'इस बैठक में सभी 5 राज्यों के बिजली सचिव और अधिकारी शामिल हुए और स्वीकार्य समाधान पर चर्चा की गई।' बिजली सचिव अगले 10 दिन में एक और बैठक करेंगे और इस पर 20 मार्च को या इससे पहले फैसला किया जा सकता है। टाटा पावर ने एक बयान में कहा है, 'उच्चतम न्यायालय के आदेश को ध्यान में रखते हुए कुछ कानूनी और ठेके संबंधी मसलों और बिजली खरीद समझौते (पीपीपी) पर चर्चा हुई, जिस पर विचार के लिए सभी पक्ष सहमत हुए हैं।' कंपनी ने कहा, 'कोस्टल गुजरात पावर (सीजीपीएल) अब 20 मार्च के फैसले तक इंतजार करेगी और तब तक मुंद्रा संयंत्र पर सामान्य परिचालन जारी रहेगा। सोमवार को सकारात्मक चर्चा और सभी पक्षों की राय जाने के बाद स्वीकार्य हल निकलने की संभावना है।' अक्टूबर 2018 में उच्चतम न्यायालय ने केंद्रीय बिजली नियामक आयोग (सीईआरसी) को निर्देश दिया था कि विभिन्न राज्यों के साथ हुए बिजली खरीद समझौते (पीपीए) पर फिर से विचार किया जाए, जो टाटा पावर, एस्सार पावर और अदाणी पावर के साथ हुए हैं। टाटा पावर के मुख्य कार्याधिकारी और प्रबंध निदेशक प्रवीर सिन्हा ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि नई समाधान योजान से मुंद्रा का घाटा कम करने में मदद मिलेगी। बिजली खरीदने वाले राज्यों से उम्मीद है कि वे कैबिनेट की मंजूरी ले लेंगे और नए शुल्क के साथ सीईआरसी से संपर्क करेंगे, जो अभी लंबित है। बुधवार को जारी एक बयान में टाटा पावर ने कहा, 'नोटिस (बिजली आपूर्ति रोकने का) अभी वैध बना रहेगा और सीजीपीएल इन बैठकों के परिणाम के आधार पर बंदी करने के नोटिस को लेकर उचित फैसले पर विचार करेगी।' बयान में आगे कहा गया है कि यह विश्वास है कि मुंद्रा संयंत्र का कुछ समाधान अगले कुछ सप्ताह में निकलेगा और संयंत्र की बंदी को टाला जा सकेगा। वित्त वर्ष 2019 में मुंद्रा का सालाना नुकसान 1,700 करोड़ रुपये था। कंपनी को उम्मीद है कि चालू वित्त वर्ष के दौरान मुंद्रा का नुकसान घटकरक 900 करोड़ ररुपये रह जाएगा, क्योंकि ईंधन का बेहतर प्रबंधन हुआ है।
