मोबाइल, टेक्सटाइल व उर्वरक पर बढ़ेंगी जीएसटी की दरें!
दिलाशा सेठ / नई दिल्ली March 11, 2020
वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) काउंसिल की शनिवार को होने वाली बैठक में मोबाइल फोन, जूते, टेक्सटाइल तथा उर्वरकों पर वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) की दरों में इजाफा किया जा सकता है, जिससे उल्टे शुल्क ढांचे को सही किया जा सके तथा राजस्व संग्रह में इजाफा हो। साथ ही, प्रत्येक महीने एक करोड़ रुपये की इनाम राशि वाली मासिक लॉटरी योजना को भी जीएसटी काउंसिल के सामने रखा जाएगा जिससे इसके ग्राहकों को इनवॉइस संग्रह के लिए प्रोत्साहित किया जा सके। इस कदम का उद्देश्य अनुपालन में सुधार करना है।
एक सरकारी अधिकारी ने कहा, 'जीएसटी के तहत उल्टे शुल्क ढांचे की व्यवस्था को सही किया जाने की आवश्यकता है। मोबाइल फोन, फैब्रिक और दूसरी वस्तुओं की दरों में सुधार देखा जा सकता है।' जब कच्चे माल पर अंतिम उत्पाद से अधिक जीएसटी दरें लगाई जाती हैं तो इसे उल्टे शुल्क ढांचे की व्यवस्था कहा जाता है। इसके चलते उच्च इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) देखा जा सकता है। एक पंजीकृत करदाता कच्चे माल पर अधिक कर तथा अंतिम उत्पाद पर कम शुल्क की स्थिति में गैर-दावा आईटीसी के रिफंड के लिए क्लेम कर सकता है।
उदाहरण के लिए, मोबाइल फोन पर जीएसटी की दरें 12 प्रतिशत हैं जबकि फोन के हिस्सों तथा बैटरियों पर यह 18 प्रतिशत है। परिणामस्वरुप यह उल्टे शुल्क ढांचे की व्यवस्था में आता है। ऐसे मामले में मोबाइल फोन के लिए भी दरें बढ़ाकर 18 प्रतिशत करने का प्रस्ताव है। मोबाइल फोन के मामले में पिछले वर्ष एक अकेले फोन निर्माता ने करीब 4,100 करोड़ रुपये के रिफंड का दावा किया था।
फैब्रिक पर भी जीएसटी दरें 5 प्रतिशत से बढ़ाकर 12 प्रतिशत करने का प्रस्ताव है, जिससे उल्टे कर की व्यवस्था को ठीक किया जा सके। विभिन्न श्रेणियों के कच्चे धागों (यार्न) पर 12 प्रतिशत कर लगाया जाता है। शुरुआत में जीएसटी काउंसिल ने फैब्रिक निर्माताओं को आईटीसी रिफंड का दावा करने की अनुमति नहीं दी गई थी लेकिन बाद में जुलाई 2018 की बैठक के बाद यह अनुमति दे दी गई।
लॉटरी स्कीम
ग्राहकों को इनवाइस मांगने को प्रोत्साहित करने के लिए लॉटरी योजना होगी, जिसमें 10 लाख से एक करोड़ रुपये तक हर महीने पुरस्कार दिया जा सकता है। ग्राहक कल्याण कोष, जहां मुनाफाखोरी रोधी प्रक्रिया का धन जमा दिया जाता है, का इस्तेमाल भाग्यशाली विजेताओं को पुरस्कार देने में किया जाएगा। विजेताओं का चयन नैशनल पेमेंट्स कॉर्पोरेशन आफ इंडिया करेगा। केंद्र सरकार द्वारा सीडब्ल्यूएफ बनाया गया है, जिसमें कंपनियों को मुनाफे की रकम उस स्थिति में जमा करना होता है, जिसमें ग्राहकों को कर घटाने का लाभ नहीं दिया जा सका है। सीडब्ल्यूएफ से मिले धन का इस्तेमाल देश के ग्राहकों के कल्याण में किया जाता है।
जीएसटी के तहत मुनफाखोरी रोधी नियम के मुताबिक अगर वस्तु एवं सेवा कर की दरों में कोई कटौती की जाती है तो वस्तु एवं सेवा के आपूर्तिकर्ताओं को उसका फायदा ग्राहकों को देना होता है। साथ ही इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ भी दाम घटाकर ग्राहकों को देना होता है।
हाल ही में राष्ट्रीय मुनाफाखोरी रोधी प्राधिककरण ने नेस्ले को सीडब्ल्यूएफ में 90 करोड़ रुपये जमा करने को कहा था, क्योंकि उसने दरों में कटौती का फायदा उपभोक्ताओं को नहीं पहुंचाया था। अधिकारी ने कहा कि लॉटरी योजना दिल्ली सरकार द्वारा मूल्यवर्धित कर के दौर में ग्राहकों के लिए शुरू की गई योजना की ही तरह है। दिल्ली सरकार ने 2015 में बिल बनाओ, इनाम पाओ योजना वैट के दौर में शुरू की थी।
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