कच्चे तेल के अंतरराष्ट्रीय दामों में वर्ष 1991 के खाड़ी युद्ध के बाद सोमवार को किसी एक दिन में नजर आई सबसे बड़ी गिरावट की वजह से निकट भविष्य में पेट्रोल और डीजल की घरेलू कीमतों में भी गिरावट आने की संभावना है। उद्योग के अनुमानों के मुताबिक अगर वैश्विक दाम एक ही स्तर पर बने रहते हैं, तो वाहनों के ईंधन की कीमतों में एक पखवाड़े के दौरान नौ से 13 रुपये की और कटौती हो सकती है। ऐसा इसलिए है क्योंकि पेट्रोल और डीजल को 15 दिनों के औसत से जोड़ा जाता है। कच्चे तेल के प्रति बैरल में एक डॉलर की गिरावट से डीजल और पेट्रोल की कीमतों में भी प्रति लीटर 50-55 पैसे की गिरावट नजर आएगी। हालांकि इन उत्पादों के दाम कच्चे तेल के अनुपात में नहीं बदलते हैं। मुंबई के एक विश्लेषक ने कहा कि पिछले 45 दिनों में कच्चे तेल की कीमत में 30 डॉलर प्रति बैरल की गिरावट आई है जिसके परिणामस्वरूप वाहनों के ईंधन की कीमतों में 15-17 रुपये प्रति लीटर की कटौती की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि तेल विपणन कंपनियों ने पहले से ही प्रति लीटर 4-5 रुपये की कटौती की है और मौजूदा गिरावट के बाद 9-13 रुपये की अतिरिक्त कटौती कर चुकी हैं।सोमवार को ब्रेंट क्रूड के दाम एक समय में 21.52 फीसदी घटकर 35.53 डॉलर प्रति बैरल पर आ गए थे, जबकि वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट (डब्ल्यूटीआई) कच्चे तेल के दाम भी 22.65 फीसदी तक फिसलकर 31.93 डॉलर प्रति बैरल पर आ गए। दूसरी ओर सोमवार को भारतीय कच्चे तेल की बास्केट 47.92 डॉलर प्रति बैरल थी तथा मंगलवार को इसमें और गिरावट आने के आसार हैं। हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन के चेयरमैन एम के सुराणा ने कहा, पेट्रोल व डीजल की कीमतें उत्पादों की कीमत पर निर्भर करेगी, न कि सीधे कच्चे तेल की कीमतों पर। हालांकि यह अंतत: क्रूड की प्रवृत्ति के हिसाब से चल सकता है। तेल की कीमतों में गिरावट भारत के लिए लाभकारी होगा क्योंकि आयात बिल में कमी आएगी। पेट्रोलियम प्लानिंग ऐंड एनालिसिस सेल (पीपीएसी) के मुताबिक, अगर कच्चे तेल की कीमतों में एक डॉलर प्रति बैरल का बदलाव होता है तो यह भारत के आयात बिल पर 2,936 करोड़ रुपये का असर डालेगा। दूसरी ओर, अगर डॉलर के मुकाबले रुपये की विनिमय दर में प्रति डॉलर एक रुपये का बदलाव होता है तो आयात बिल में 2,729 करोड़ रुपये का बदलाव होगा। भारत पेट्रोलियम के निदेशक (रिफाइनरीज) आर रामचंद्रन ने कहा, पश्चिम एशियाई क्रूड हमारा स्थिर क्रूड है, ऐसे में कीमतों में कमी आना अच्छी चीज है। यह हमारे लिए मौका है। हमारा पहले से ही टर्म कॉन्ट्रैक्ट है। ऐसे में क्रूड की ज्यादा प्रोसेसिंग (अगर यह अन्य क्रूड के साथ प्रतिस्पर्धा करता हो) का हमारे पास विकल्प है, जिस पर हम नजर डाल सकते हैं। कुल मिलाकर अगर कच्चा तेल नीचे आता है तो हमारी कार्यशील पूंजी भी कम होगी।
