विदेश में सूचीबद्ध नहीं हो रही कंपनियां, देसी बाजार पर नजर | सचिन मामबटा / मुंबई March 08, 2020 | | | | |
भारतीय कंपनियों के लिए विदेश सूचीबद्धता आसान करने के कदम उठाए गए हैं, लेकिन पिछले कुछ वर्षों से रकम जुटाने का यह जरिया सुस्त पड़ा हुआ है। वित्त वर्ष 2015-16 के बाद से ऐसा सिर्फ एक उदाहरण देखने को मिला है। एचडीएफसी बैंक ने वित्त वर्ष 2019 में डिपॉजिटरी रिसीट्स के जरिये पूंजी जुटाए। यह पिछले वर्षों के उलट है। किसी एक वर्ष में सबसे ज्यादा 7.7 अरब डॉलर जुटाए गए थे। वह था वित्त वर्ष 2008, जब 33 इश्यू पेश हुए थे और यह जानकारी प्राइम डेटाबेस से मिली। सबसे ज्यादा इश्यू वित्त वर्ष 2006 में पेश हुए और तब 56 इश्यू के जरिये कुल 3.6 अरब डॉलर जुटाए गए। इस मार्ग से रकम जुटाने का दशक का औसत अभी सबसे कम है।
वित्त वर्ष 2020 में समाप्त 10 वर्षों में औसतन 52.1 करोड़ डॉलर जुटाए गए। ऐसे इश्यू पर प्राइम के पास वित्त वर्ष 1993 के आंकड़े हैं। प्राइम डेटाबेस के प्रबंध निदेशक प्रणव हल्दिया ने कहा, विदेशी पूंजी जुटाने के मामले में पहले काफी प्रोत्साहन उपलब्ध होता था। अब ऐसा नहीं है, जब ज्यादातर विदेशी निवेशक सीधे भारत में निवेश कर रहे हैं। नैशनल सिक्योरिटीज डिपॉजिटरी के आंकड़ों से पता चलता है कि विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों के पास जनवरी 2020 में 30.8 लाख करोड़ रुपये की इक्विटी परिसंपत्तियां थीं।
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