विवाद से विश्वास की बढ़ सकती है तिथि | दिलाशा सेठ / नई दिल्ली March 08, 2020 | | | | |
सरकार की प्रत्यक्ष कर विवाद समाधान की प्रमुख योजना 'विवाद से विश्वास' की तिथि बढ़ाई जा सकती है, जिसके लिए 31 मार्च अंतिम तिथि तय की गई है। बगैर किसी अतिरिक्त कर के विवादों के समाधान के लिए लाई जा रही इस योजना की अधिसूचना अभी तक नहीं आ सकी है, साथ ही कोरोनावायरस की वजह से भी समस्या हो रही है। आयकर विभाग के अधिकारियों का तर्क है कि ज्यादातर लोगों को इस योजना में हिस्सा लेने के लिए धन की व्यवस्था करने में वक्त की जरूरत होगी और कोरोनावायरस के कारण फैली अफरातफरी की वजह से भारत की कुछ फर्मों के लिए धन का इंतजाम करना मुश्किल होगा। कई फर्मों के वैश्विक मुख्यालयों को बचाव के कदम के तहत अस्थायी रूप से बंद कर दिया गया है।
प्रत्यक्ष कर विवाद से विश्वास विधेयक बुधवार को लोकसभा में पारित हो गया था। धन विधेयक होने के कारण इसे राज्यसभा में मंजूरी की जरूरत नहीं होगी। बहरहाल यह उच्च सदन में जाएगा, जो बदलाव की सिफारिश कर सकता है, लेकिन यह लोकसभा पर निर्भर है कि वह इसे स्वीकार करे या न करे। इसके बाद से विधेयक को राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के लिए भेजा जाएगा और स्वीकृति मिलने के बाद इसे अधिसूचित कर दिया जाएगा। इसकी वजह से योजना का अधिकतम लाभ पाने के लिए करदाता को बमुश्किल एक पखवाड़े का वक्त मिलेगा।
एक कर अधिकारी ने कहा, 'इस योजना की तिथि बढ़ाए जाने की संभावना बहुत ज्यादा है, अन्यथा करदाता को इस योजना में हिस्सा लेने के लिए पर्याप्त मौका नहीं मिल पाएगा, जिसकी वजह से यह ज्यादातर के लिए अनुचित होगा। इसकेे अलावा कोविड 19 जैसी उचित चिंता भी है, जिस पर विचार किए जाने की जरूरत है।' एक और कर अधिकारी ने कहा कि कंपनियां उनके पास विदेश स्थित कंपनी मुख्यालय से मंजूरी मिलने में देरी जैसी समस्या को लेकर आ रही हैं, जो पूरी क्षमता के साथ काम नहीं कर रहे हैं, वहीं कई को अभी यह फैसला करना है कि उन्हें योजना में शामिल होना है या नहीं।
इस तरह के 4,00,000 से ज्यादा मामले हैं, जिनमें कम से कम 9.3 लाख करोड़ रुपये का विवाद है और वे इस योजना में शामिल हो सकते हैं। अगर योजना का ज्यादातर लाभ लेना है तो कर का भुगतान 31 मार्च तक करना होगा। अन्यथा यह योजना 30 जून तक खुली रहेगी, लेकिन बकाये पर 10 प्रतिशत अतिरिक्त भुगतान करना होगा, अगर यह भुगतान 31 मार्च के बाद किया जाता है। ऐसी स्थिति में योजना आकर्षक नहीं रह जाती। इसके पहले 2016 में आई विवाद समाधान योजना में 7 महीने का वक्त दिया गया था और 31 दिसंबर को अंतिम तिथि बीतने के बाद एक महीने का अतिरिक्त विस्तार दिया गया। इसी तरह पुराने सेवा कर और उत्पाद कर के मामलों के लिए पेश की गई सबका विश्वास उत्तराधिकार विवाद समाधान योजना की अंतिम तिथि भी एक महीने बढ़ाकर 31 जनवरी 2020 की गई थी।
एकेएम ग्लोबल के पार्टनर अमित माहेश्वरी ने कहा, 'तमाम मामलों में फैसला करना आसान नहीं है, खासकर उन मामलों में, जिनमें बहुराष्ट्रीय कंपनियां शामिल थीं। ऐसे में इसमें वक्त लगेगा। हाल ही में अक्सर पूछे जाने वाले सवाल जारी किए गए थे और हम समय से इसे करने की दौड़ लगा रहे हैं।' उन्होंने कहा कि कोरोनावायरस भी भारत के कार्यालयों के साथ बहुराष्ट्रीय कंपनियोंं के वैश्विक व एशिया मेंं स्थित मुख्यालयों में होने वाले कामकाज पर असर डाल रहा है, ऐसे में समय सीमा का विस्तार स्वागत योग्य कदम होगा।
एएमआरजी एसोसिएट्स के पार्टनर रजत मोहन ने कहा कि करदाताओं को इस पर विचार, चर्चा व फैसला करने के करने के लिए बहुत कम वक्त दिया गया है, जबकि विवाद विभिन्न मंचों पर चल रहे हैं और बहुत ज्यादा तकनीकी मसले भी हैं। ऐसे में 31 मार्च तक भुगतान का वक्त देना उन्हें इससे दूर करेगा। उन्होंने कहा, 'इससे यह योजना अपना आकर्षण खो रही है। भुगतान की तिथि बगैर किसी ब्याज जैसे जुर्माने के 3 महीने तक बढ़ाए जाने से तमाम करदाताओं को इस योजना की तरफ आकर्षित किया जा सकता है।'
घोषणा की प्राप्ति की तिथि के 15 दिन के भीतर प्राधिकृत अधिकारी (डीए) को भुगतान की जाने वाली राशि का निर्धारण करना होगा और भुगतान की जाने वाली राशि का प्रमाणपत्र जारी करना होगा। उसके बाद घोषणा करने वाला विवादित कर की राशि कर देयता तय किए जाने के 15 दिन के भीतर करेगा। इस स्पष्टीकरण के हिसाब से करदाता को 31 मार्च तक बहुत कम वक्त मिलेगा क्योंकि अभी भी विधेयक आना बाकी है।
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