रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा बनाई गई येस बैंक की पुनर्गठन योजना के मुताबिक भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) इस संकटग्रस्त बैंक में 49 फीसदी हिस्सेदारी का अधिग्रहण करेगा। केंद्रीय बैंक ने आज येस बैंक की पुनर्गठन योजना का मसौदा जारी किया। इसमें एसबीआई को निवेशक बैंक बताया गया है और साथ ही कहा गया है कि वह येस बैंक में इविक्टी खरीदने के लिए प्रति शेयर कम से कम 10 रुपये का भुगतान करेगा। आरबीआई के एक अधिकारी ने कहा कि एसबीआई मोटे तौर पर करीब 2,650 करोड़ रुपये की पूंजी येस बैंक में निवेश करेगा। इसमें 2,450 करोड़ रुपये मूल्य की इक्विटी और करीब 200 करोड़ रुपये के तरजीही शेयर होंगे। योजना के मुताबिक येस बैंक की अधिकृत पूंजी 5,000 करोड़ रुपये और चुकता पूंजी 4,800 करोड़ रुपये होगी। आरबीआई द्वारा सार्वजनिक की गई योजना के मुताबिक देश का सबसे बड़ा बैंक एसबीआई प्रति शेयर 2 रुपये मूल्य के शेयरों का 8 रुपये के प्रीमियम पर अधिग्रहण करेगा। केंद्रीय बैंक ने इस योजना के मसौदे पर 9 मार्च तक येस बैंक के सदस्यों, जमाकर्ताओं और ऋणदाताओं से सुझाव मांगे हैं। येस बैंक में एसबीआई की 49 फीसदी हिस्सेदारी तीन साल के लिए लॉक हो जाएगी और पूंजी निवेश की तारीख से तीन साल की अवधि पूरा होने से पहले वह अपनी हिस्सेदारी 26 फीसदी से कम नहीं कर पाएगा। एसबीआई के बोर्ड ने गुरुवार को येस बैंक में निवेश को सैद्धांतिक मंजूरी दी थी। आरबीआई ने येस बैंक की बिगड़ती स्थिति और उसे पटरी पर लाने की किसी विश्वसनीय योजना के अभाव में गुरुवार को उसके बोर्ड को भंग कर दिया था और उस पर 30 दिनों के लिए कई तरह की पाबंदियां लगा दी थीं। केंद्रीय बैंक अब येस बैंक के नए बोर्ड की नियुक्ति करेगा। योजना के मसौदे के मुताबिक एसबीआई को बोर्ड में दो निदेशक नियुक्त करने कर अनुमति दी जाएगी। कम से कम अगले एक साल तक किसी भी कर्मचारी को बर्खास्त नहीं किया जाएगा और वे समान वेतन एवं भत्ते पर काम करते रहेंगे। हालांकि बोर्ड प्रमुख प्रबंधकीय कर्मचारियों की सेवा किसी भी समय खत्म करने के लिए स्वतंत्र होगा। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा, 'आरबीआई ने भरोसा दिया है कि वह 30 दिन के अंदर प्रभावी योजना बनाएगी ताकि जमाकर्ताओं को लंबे समय तक परेशानी न हो। जमा और देनदारियां पहले की तरह बनी रहेंगे। निकासी पर पाबंदी अस्थायी है और सभी जमाओं और देनदारियों को पूरा किया जाएगा।' वित्त मंत्री ने कहा कि पिछले छह महीने से बैंकों और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों सहित सभी वित्तीय संस्थानों की दैनिक आधार पर निगरानी की रही थी। उन्होंने कहा, 'मुझे याद है कि मैंने बार-बार कहा है कि किसी भी संस्थान को धराशायी होने नहीं दिया जाएगा।' इससे पहले आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि येस बैंक को लेकर उठाए गए कदम भारतीय वित्तीय क्षेत्र में स्थायित्व के लिए उठाए गए हैं और कठिनाइयों से जल्द ही सुगमता से निजात पा लिया जाएगा। सीतारमण ने कहा कि बैंक द्वारा कई बार प्रयास करने के बाद भी निवेशकों से पूंजी नहीं जुटा पाने के बाद जनवरी 2020 से ही सरकार इस पर ध्यान दे रही थी।
