कांग्रेस ने शुक्रवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के खिलाफ उनके उस बयान पर तीखा हमला बोला जिसमें उन्होंने कहा था कि येस बैंक में समस्याओं की शुरुआत संप्रग के शासनकाल के दौरान हुई थी। वरिष्ठ कांग्रेसी नेता पी चिदंबरम ने केंद्र सरकार के उस आंकड़े पर सवाल उठाया है जिसमें कहा गया कि येस बैंक की ऋण बुक 2014-15 के 55,633 करोड़ रुपये से बढ़कर 2019-20 में 241,499 करोड़ रुपये पर पहुंच गई। उन्होंने पूछा कि जब पिछले पांच साल के दौरान बैंक का कुल ऋण सिर्फ लगभग 10 प्रतिशत तक बढ़ा, तो उसकी ऋण बुक में 35 प्रतिशत तक की वृद्घि कैसे संभव हो सकती है। कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने कहा कि नरेंद्र मोदी के शासनकाल के दौरान बैंक धोखाधडिय़ां बढ़ी हैं। उन्होंने कहा कि बैंक धोखाधडिय़ां वर्ष 2015-16 में 18,699 करोड़ रुपये की, 2016-17 में 23,933 करोड़ रुपये, 2017-18 में 41,167 करोड़ रुपये, 2018-19 में 71,500 करोड़ रुपये और 2019 से मार्च 2020 में 143,068 करोड़ रुपये की थीं। खेड़ा ने कहा कि देश में आर्थिक गड़बड़झाले के बारे में वित्त मंत्री से सवाल पूछना व्यर्थ है। उन्होंने कहा कि न सिर्फ वित्त मंत्री बल्कि पूरा मंत्रिमंडल और प्रधानमंत्री आर्थिक मुद्दों पर 'बेखबर' रहे हैं। खेड़ा ने कहा, 'हमें यह पता है कि प्रधानमंत्री अपने इर्द-गिर्द कुशल लोगों को देखना बर्दाश्त नहीं करते। वह प्रतिभा से असुरक्षा महसूस करते हैं।' खेड़ा ने कहा कि मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली संप्रग सरकार ने भारतीय अर्थव्यवस्था को न सिर्फ 2008 के वैश्विक वित्तीय संकट के झटकों से बचाए रखा बल्कि अर्थव्यवस्था ने अच्छा प्रदर्शन भी किया, जबकि मोदी सरकार ने नोटबंदी समेत अपने निर्णयों से अर्थव्यवस्था में गड़बड़ी पैदा की है। खेड़ा ने कहा, 'एक डॉक्टर और झोलाछाप के बीच अंतर 10 वर्षों (मनमोहन सिंह और नरेंद्र मोदी के 6 साल शासन के बीच) का है।' उन्होंने कहा कि क्रेडिट सुइस की एक रिपोर्ट में कहा गया कि मोदी सरकार ने पिछले 6 वर्षों में 7.77 लाख करोड़ रुपये के कॉरपोरेट ऋणों को माफ किया है। कांग्रेस का कहना है कि येस बैंक के साथ पैदा हुई समस्या पिछले 6 वर्षों के दौरान वित्तीय संस्थानों की विफलता (पीएमसी बैंक शामिल) का अन्य उदाहरण है। उन्होंने कहा कि सरकार ने आईएलऐंडएफएस को बचाने के लिए एलआईसी और सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को इसमें निवेश के लिए बाध्य किया। खेड़ा ने सवाल करते हुए कहा, 'एनपीए के गलत विवरण के बाद येस बैंक के बोर्ड में मई 2019 में आरबीआई नोमिनी नियुक्त किया गया था। तब से यह नोमिनी क्या कर रहा था? नोमिनी को इस संकट की भनक क्यों नहीं लगी?'
