येस बैंक पर बैंकिंग नियामक की रोक के बाद बैंक से जुड़े डिजिटल भुगतान पर दुनिया भर में असर पड़ा और सबसे ज्यादा असर वॉलमार्ट के स्वामित्व वाली फोनपे पर पड़ा, जो अपने लेनदेन के लिए इस बैंक पर निर्भर है। गुरुवार को भारतीय रिजर्व बैंक की तरफ से लगी रोक के बाद ग्राहकों की शिकायत आई कि वे लेनदेन नहींं कर पा रहे हैं। बैंंक पर लगी रोक वाले बयान में विशेष रूप से इसका जिक्र नहीं किया गया कि हर तरह की सेवाएं प्रभावित होंगी, लेकिन सूत्रों ने कहा कि स्थिति कुछ ऐसी ही थी येस बैंक का संकट गहरा गया है। शुक्रवार को ऐप्लिकेशन प्रोग्राम इंटरफेस (एपीआई) इन्फ्रास्ट्रक्चर कंपनी सेतु के सह-संस्थापक साहिल किनी ने ट्वीट किया, येस बैंक पर निर्भर सभी डिजिटल भुगतान (मसलन एनईएफटी, आरटीजीएस, आईएमपीएस, यूपीआई) नहीं हो पा रहे हैं। यूपीआई बैक के सभी खाताधारकों को रकम भेजने और हासिल करने की सुविधा स्मार्टफोन के जरिए देता है और वह भी अपना नेटबैंकिंग यूजर आईडी व पासवर्ड दिए बिना। बैंक के थर्ड पार्टी ऐप पार्टनर रकम हस्तांतरण को सक्षम बनाते हैं। सेतु के अन्य सहसंस्थापक निखिल कुमार ने कहा, येस बैंक का बुनियादी ढांचा जांचा परखा था। बिना किसी घोषणा के येस बैंक के बुनियादी ढांचे के बंद कर दिया गया। ऐसे में काफी लोग लेनदेन नहीं कर पा रहे हैं और उनकी रकम फंस गए है या वे बैंक के साथ रकम का निपटान नहीं कर पा रहे हैं। फोनपे की समस्या फोनपे के लिए येस बैंक एक्सक्लूसिव यूपीआई पार्टनर है, जिससे गुरुवार व शुक्रवार को उसके ग्राहकों को परेशानी हुई। एक सूत्र ने कहा, फोनपे सक्रियता से नए साझेदार की तलाश कर रही है और यह सेवा अगले कुछ घंटे में चालू हो जाने की उम्मीद है। उन्होंने कहा, आरबीआई की रोक ने कंपनी को चौंकाया है। फोनपे ने येस बैंक से इसलिए साझेदारी की थी कि उसके पास बेहतर बुनियादी ढांचा था और वह देश के ज्यादातर अग्रणी फिनटेक स्टार्टअप के साथ काम कर रहा था। फोनपे एनपीसीआई और आरबीआई के साथ मिलकर इस समस्या का समाधान निकालने में जुटी है। इससे यूपीआई की पूरी व्यवस्था प्रभावित हुई है। यूपीआई लेनदेन की संख्या कम से कम 50 फीसदी घटी है। फोनपे के मुख्य कार्याधिकारी और संस्थापक समीर निगम ने कहा कि कंपनी को इस बात का खेद है क्योंंकि उसकी पार्टनर येस बैंक पर रोक लग गई है। पूरी टीम सेवा बहाल करने में जुटी है। हम कुछ घंटों में सेवा शुरू होने की उम्मीद करते हैं। उद्योग के सूत्रों के मुताबिक, बेंंगलूरु की फर्म और गूगल पे के पास यूपीआई ऐप बाजार का करीब 70 फीसदी हिस्सा है। गूगल पे के कम से कम चार बैंक साझेदार हैं और उसकी सेवाएं मोटे तौर पर अप्रभावित रही। फोनपे के 20 करोड़ पंजीकृत ग्राहक हैं और 2 करोड़ ग्राहक रोज सक्रिय रहते हैं, साथ ही हर महीने 50 करोड़ लेनदेन होते हैं। पेटीएम पेमेंट बैंक के वरिष्ठ उपाध्यक्ष नरेंद्र यादव ने कहा, एनपीसीआई ने ऐसी स्थिति का अनुमान लगाया था। किसी भी थर्ड पार्टी ऐप प्रदाताओं के पास 33 फीसदी से ज्यादा बाजार हिस्सेदारी नहीं होनी चाहिए, जिस पर वह विचार कर रहा था लेकिन इसके क्रियान्वयन में देर हो गई। फिनटेक पर असर अपने लेनदेन के निपटान के लिए येस बैंक पर निर्भर अन्य फिनटेक ऑपरेटरों ने भी परेशानी की अनुभव किया। ई-कॉमर्स उद्योग के एक अधिकारी ने कहा, फ्लिपकार्ट व मिंत्रा पर असर फोनपे तक सीमित है (जो वॉलमार्ट के स्वामित्व में है)। इन फर्मों के कई भुगतान साझेदार हैं और ये पहले ही आपात योजना बना चुकी हैं। एनपीसीआई की वेबसाइट पर सूचीबद्ध फूड डिलिवरी फर्म स्विगी का पार्टनर बी येस बैंक है, लेकिन उस पर असर नहीं पड़ा क्योंकि उसके ज्यादातर यूपीआई लेनदेन अन्य पार्टनर मसलन गूगल पे, एमेजॉन पे और पेटीएम आदि हैं।
