देश के दो सबसे बड़े सरकारी खरीदार रक्षा और रेलवे की सार्वजनिक खरीद को जल्द ही वाणिज्य विभाग के सरकारी ई-मार्केटप्लेस में शामिल कर लिया जाएगा। अधिकारियों ने आज कहा कि सितंबर तक भारतीय रेलवे ई-खरीद व्यवस्था (आईआरईपीएस), रक्षा ई-खरीद पोर्टल और केंद्रीय सार्वजनिक खरीद पोर्टल से खरीदी जाने वाली सभी सामान्य उपभोग की वस्तुओं और सेवाओं की खरीद जेम के माध्यम से होगी। सेंटर फॉर रेलवे इन्फॉर्मेशन सिस्टम के मुताबिक आईआरईपीएस हर महीने 30,000 से ज्यादा टेंडर प्रकाशित करती है और उसके ऑनलाइन लेन देन का मूल्य 2019 के मध्य तक 10,600 करोड़ रुपये रहा है। जेम के मुख्य कार्याधिकारी टल्लन कुमार ने कहा, 'एकीकृत खरीद व्यवस्था की योजना के तहत सभी पोर्टल जेम के तहत लाए जाएंगे। इससे खरीदार के साथ साथ हजारोंं की संख्या में वेंडरों के लिए ज्यादा स्पष्टता मिल सकेगी और बेहतर मूल्य की खोज में मदद मिलेगी।' यह कदम देश में सरकारी खरीद के एक स्रोत रखने की रणनीति का हिस्सा है। मोदी सरकार की यह दीर्घावधि योजना भ्रष्टाचार कम करने, पारदर्शिता और कुशलता बढ़ाने के लिए है। बहरहाल यह लक्ष्य अभी सरकार को हासिल करना है क्योंकि सरकार के विभागों ने जेम से इतर खरीद जारी रखी है। अक्टूबर 2019 में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा था कि सरकारी विभागों और सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों ने जेम व्यवस्था के बाहर 91,000 करोड़ रुपये की खरीद की है। एक सरकारी अधिकारी ने बिजनेस स्टैंडर्ड से बातचीत में इस बात की पुष्टि की कि उसके बाद से खरीद बढ़ी है। जेम के अधिकारियों ने इस बात पर जोर दिया है कि सरकार के जनरल फाइनैंसिंग रूल (जीएफआर) 2017 में यह अनिवार्य किया गया है कि सभी सरकारी खरीद पोर्टल के माध्यम से होगी। आधिकारिक अनुमान के मुताबिक वाणिज्य विभाग ने 2019-20 में 50,000 करोड़ रुपये का लक्ष्य दिखाया था, जिसे 2021 तक बढ़ाकर एक लाख करोड़ रुपये किया जाना था। कुमार ने यह भी साफ किया कि जेम में हाल फिलहाल में निजी खरीदारों को शामिल नहीं किया जाएगा, जैसा कि पहले घोषित किया गया था। इस कदम के तहत सरकार के पोर्टल को सीधे दिग्गज ई-कारोबारियों से प्रतिस्पर्धा करने की योजना है। कुमार ने कहा कि ऐसा बाद में किया जा सकता है। सरकार जल्द ही खरीदारों व विक्रेताओं के लिए गैर मौद्रिक प्रोत्साहन मुहैया कराएगी। साथ ही समय पर भुगतान, विक्रेता को संदर्भित करने और सूची में संशोधन आदि पर पुरस्कार दिया जाएगा। इन पुरस्कारों का इस्तेमाल तेज मंजूरियों व सहायता डेस्क में प्राथमिकता के लिए किया जा सकेगा। इसे छोटी फर्मों को लुभाने के तौर पर देखा जा रहा है। सरकार ने एमएसएमई पर मौजूद जेम के लिए ट्रेड रिसीवेबल इलेक्ट्रॉनिक डिस्काउंटिंग सिस्टम (टीआरईडीएस) के तहत कर्ज की सुविदा की पेशकश शुरू की है। यह भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक समर्थित बिल छूट सेवा है, जो उत्पाद भेजने के पहले और बाद में मिलती है। वहीं दूसरी तरफ छोटे कारोबारी लगातार शिकायत कर रहे हैं कि सरकारी निकायों द्वारा उनके माल के भुगतान में बहुत देरी की जा रही है। जेम ने इसके लिए जेम पूल अकाउंट पर जोर दिया है, जहां राज्य अपनी खरीद के लिए अग्रिम भुगतान कर सकते हैं, लेकिन उससे निकासी नहीं कर सकते हैं, जिससे धन की गैर उपलब्धता की स्थिति खत्म की जा सके।
