घरेलू बाजार में मांग से अधिक आपूर्ति की स्थिति पैदा होने के कारण पिछले एक महीने के दौरान कपास और धागे की कीमतों में 10 फीसदी तक की गिरावट आई है। घरेलू बाजार में अति आपूर्ति की स्थिति इसलिए पैदा हुई है क्योंकि चीन को निर्यात थम गया है। चीन में कोरोनावायरस फैलने के बाद दुकानें और फैक्टरियां बंद हैं। कच्चे कपास के दाम गुजरात की गोंडल मंडी में घटकर 4,280 रुपये प्रति क्विंटल पर आ गए हैं, जो करीब एक महीने पहले 4,755 रुपये प्रति क्विंटल थे। सूती धागे की कीमतें भी पिछले एक महीने में दो से तीन फीसदी टूटी हैं। कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट के बाद सिंथेटिक धागे की कीमतों में भी 4-5 फीसदी गिरावट आई है। कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष गणत्रा ने कहा कि वैश्विक स्तर पर आईसीई में कीमतें घटकर 60.50 सेंट पर आ गई हैं, जो 28 फरवरी को 71.5 सेंट थीं। इससे भी निर्यात मार्जिन पर असर पड़ा है। चीन में कोरोनावायरस फैलने की वजह से दुकानें और फैक्टरियां बंद हैं, जिससे भारत का कपास और धागा निर्यात बुरी तरह प्रभावित हुआ है। मुंबई के एक कपास निर्यातक अरुण सकसेरिया ने कहा, 'भारत से चीन को कपास और धागे का निर्यात थम गया है क्योंकि वहां से ऑर्डर ही नहीं आ रहे हैं। भारतीय निर्यातक भी निर्यात ऑर्डरों में कोई रुचि नहीं दिखा रहे हैं। अगर माल भेजने के बाद गुणवत्ता या मात्रा से संबंधित कोई अड़चन पैदा होती है तो माल को बेचने के लिए चीन जाना मुश्किल होगा।' चीन में कोरोनावायरस फैलने और इस बार कपास की गुणवत्ता अच्छी नहीं होने के कारण बाजार में रुझान कमजोर है, जिससे कपास और धागे की कीमतों में नरमी आ रही है। कपास की कीमतों में गिरावट को मद्देनजर रखते हुए सरकार के स्वाामित्व वाला भारतीय कपास निगम (सीसीआई) थोक खरीदारों को पुराने स्टॉक पर 3,200 से 3,500 रुपये प्रति कैंडी (356 किलोग्राम) की छूट दे रहा है। कच्चे माल की कीमतों में गिरावट से कपड़ा मिलों को फायदा मिलने की संभावना है। उनका लाभ मार्जिन अगली कुछ तिमाहियों में बढ़ेगा। फिलाटेक्स इंडिया लिमिटेड के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक मधु सुदन भागेरिया ने कहा, 'कोरोनावायरस फैलने से चीन में मांग और उत्पादन पर असर पड़ा है, जिससे कच्चे माल की कीमतों में नरमी आने लगी है। चीन में आपूर्ति शृंखला या पॉलिएस्टर धागे के उत्पादन में अवरोध से बाद में भारतीय पॉलिएस्टर विनिर्माताओं को निर्यात के ज्यादा मौके मिलेंगे।' पिछले महीने बजट में सरकार ने सिंथेटिक धागे के एक कच्चे माल प्यूरीफाइड टेरेफथालिक एसिड (पीटीए) पर डंपिंग रोधी शुल्क लगाया था। पीटीए पर डंपिंग रोधी शुल्क खत्म होने से सिंथेटिक कपड़ा विनिर्माताओं के लिए परिदृश्य बदल गया है। चीन में मंदी के बावजूद भारतीय कपड़ा उद्योग में स्थिरता है। इक्रा के मुताबिक कोरोनावायरस फैलने से धागे के कम दाम मिल रहे हैं, जो फरवरी शुरू होने के बाद करीब 2-3 टूटे हैं। इससे पहले जनवरी में भारत के धागा निर्यात में कुछ समय सुधार आया था। उस समय निर्यात 10 करोड़ किलोग्राम पर पहुंच गया था। यह भारत के औसत मासिक निर्यात के समान था। जनवरी से पहले के 9 महीनों में धागे का निर्यात कमजोर रहा। घरेलू कपास कताई उद्योग निर्यात विशेष रूप से चीन पर अत्यधिक निर्भर है। देश में उत्पादित कुल सूती धागे में से करीब 30 फीसदी का निर्यात होता है। हाल के वर्षों में एक-तिहाई निर्यात चीन को हुआ है। इक्रा के वरिष्ठ उपाध्यक्ष और समूह प्रमुख (कॉरपोरेट सेक्टर रेटिंग) जयंत राय ने कहा, 'घरेलू रुई के दाम अंतरराष्ट्रीय कीमतों की तुलना में प्रतिस्पर्धी बने हुए हैं। इस समय घरेलू और वैश्विक कीमतों में अंतर चार फीसदी है, जो फरवरी में नौ फीसदी था। वैश्विक स्तर पर कपास की कीमतों में और गिरावट से घरेलू स्पिनर अंतरराष्ट्रीय बाजारों में प्रतिस्पर्धी नहीं रह जाएंगे। यह स्थिति वित्त वर्ष 2020 की पहली छमाही के समान है।'
