कोरोनावायरस से इस्पात क्षेत्र पर दबाव बढऩे की आशंका | अदिति दिवेकर / मुंबई March 05, 2020 | | | | |
कोरोनावायरस के प्रकोप से निकट भविष्य में इस्पात क्षेत्र में नरमी बढऩे की आशंका है क्योंकि घरेलू इस्पात के दामों में पहले से ही चल रही नरमी से परिचालन मार्जिन को नुकसान पहुंच रहा है। इंडिया रेटिंग्स ऐंड रिसर्च ने यह संभावना जताई है। हालांकि एजेंसी का कहना है कि इसके प्रभाव की जटिलता चीन में बढ़ती वायरस की उग्रता और अवधि के साथ-साथ दुनिया के अन्य हिस्सों में इसके प्रसार पर निर्भर करेगी। वैश्विक आपूर्ति का यह बड़ा असंतुलन निश्चित रूप से व्यापक हो सकता है क्योंकि दुनिया का आधे से अधिक इस्पात उत्पादन और उपभोग अकेले चीन ही करता है।
उत्पादन में कमी करने के मौजूदा प्रयास के बावजूद चीन का इस्पात उत्पादन घटती उपभोक्ता मांग से आगे निकल सकता है जिसके परिणामस्वरूप स्टॉक का जमावड़ा होगा और दामों पर दबाव बनेगा। चीन के इस्पात उत्पादन में हेबी, लिओनिंग और शैंडोंग जैसे उत्तर-पूर्वी इस्पात विनिर्माण केंद्र वाले प्रांतों में ज्यादा कटौती नहीं देखी गई है। वहां हरेक प्रांत की क्षमता लगभग 10 करोड़ टन है। इसके अलावा चीन की कुल इस्पात क्षमता में 90 प्रतिशत का योगदान करने वाली ब्लास्ट फर्नेंस को निष्क्रिय करना भी संभव नहीं है। हालांकि कमजोर विनिर्माण गतिविधियों और कुल खपत में मंदी के कारण चीन में इस्पात की मांग पर गंभीर प्रभाव नजर आया है।
अगर जापान, दक्षिण कोरिया, भारत और अमेरिका जैसे अन्य बड़े इस्पात उत्पादक राष्ट्रों में वायरस का प्रकोप बढ़ता है, तो मांग-आपूर्ति में असंतुलन भी बढ़ सकता है। फिलहाल भारतीय उत्पादकों की संयंत्र क्षमता उपयोग पर सीधे असर नहीं पड़ा है क्योंकि न तो चीन को इसका निर्यात किया जाता है और न ही वहां से कच्चे माल का प्रत्यक्ष रूप से कोई आयात होता है। भारतीय इस्पात विनिर्माता अपने कुल उत्पादन का मात्र आठ प्रतिशत के आस-पास ही निर्यात करते हैं। इस कारण दुनिया में (चीन के अलावा) कोरोनावायरस के व्यापक प्रसार से इतना ही असर पड़ सकता है। वित्त वर्ष 20 के नौ महीने में वियतनाम (15 प्रतिशत), संयुक्त राष्ट्र अमीरात (आठ प्रतिशत), इटली (सात प्रतिशत), बेल्जियम (छह प्रतिशत) और नेपाल (छह प्रतिशत) भारत के शीर्ष पांच निर्यात गंतव्य रहे हैं तथा 415 अरब रुपये के कुल निर्यात में इनका हिस्सा 45 प्रतिशत रहा है।
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