धातु, कच्चे तेल की कीमतों में आई उछाल | दिलीप कुमार झा / मुंबई March 04, 2020 | | | | |
अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दर में बुधवार को अचानक की गई 0.5 प्रतिशत की कटौती से धातुओं की कीमतों में 1-2 प्रतिशत तक की तेजी देखने को मिली है। अमेरिकी फेडरल के कदम से यह संकेत मिलता है कि दुनियाभर में कोरोनावायरस के मामलों में आ रही तेजी के बाद वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए मंदी का जोखिम पैदा हो गया है। मुंबई के हाजिर बाजार में सोने और चांदी की कीमतों में 2-3 प्रतिशत की तेजी दर्ज की गई। लंदन मेटल एक्सचेंज (एलएमई) पर तीन महीने के लिए तांबा अनुबंध डिलिवरी में 1 प्रतिशत तक की तेजी के साथ दोपहर में 5,715 डॉलर प्रति टन पर कारोबार हो रहा था। वहीं निकल और जस्ता भी 1.9 प्रतिशत और 0.9 प्रतिशत तक चढ़कर 12,795 डॉलर प्रति टन और 1,993 डॉलर प्रति टन पर थे। एल्युमीनियम की कीमत 0.6 प्रतिशत की तेजी के साथ 1,733 डॉलर प्रति टन पर थी।
सिर्फ धातुएं ही नहीं, कच्चे तेल, सोने और चांदी की कीमतों में भी तेजी दर्ज की गई। जहां कच्चे तेल की कीमतें इंटरकॉन्टिनेंटल एक्सचेंज (आईसीई) पर 1.4 प्रतिशत चढ़कर 52.59 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गईं, वहीं भारत के मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (एमसीएक्स) पर इनमें 2.3 प्रतिशत की भारी गिरावट आई। एमसीएक्स पर ये कीमतें 3,537 रुपये प्रति बैरल पर थीं। कॉमट्रेंड्ज के निदेशक ज्ञानशेखर त्यागराजन ने कहा, 'अमेरिकी फेडरल द्वारा अचानक ब्याज दर कटौती से संकेत मिलता है कि कोरोनावायरस को लेकर स्थिति गंभीर है। महत्त्वपूर्ण बात यह है कि मुख्य धातुओं और ऊर्जा में और तेजी की उम्मीद के साथ ताजा गिरावट की भरपाई की है। कोरोनावायरस का प्रसार तेजी से बढ़ रहा है जिससे वैश्विक अर्थव्यवस्था में गिरावट का जोखिम पैदा हो गया है। यही वजह है कि पिछले दो महीनों में सोने की कीमतें में अच्छी तेजी आई है, क्योंकि ऐसी स्थिति में इस धातु में निवेश सुरक्षित समझा जाता है।'
चूंकि अमेरिकी फेडरल की दर कटौती को लेकर संभावना कुछ दिनों से दिख रही थी, इसलिए 0.5 प्रतिशत की कटौती नहीं बल्कि इसका समय आश्चर्यजनक है। सामान्य तौर पर, अमेरिकी फेडरल रिजर्व अपनी निर्धारित बैठक में ब्याज दर में संशोधन की घोषणा करता है। मंगलवार की अचानक दर कटौती वर्ष 2008 में लीमन ब्रदर्स संकट के बाद से उसके द्वारा उठाया गया इस तरह का पहला कदम था। 2008 की मंदी से डॉलर संबंधित सभी जिंसों की कीमतें नीचे आ गई थीं। दरअसल, निवेशकों ने बुधवार को डॉलर की बिक्री पर जोर दिया जिससे प्रमुख वैश्विक मुद्राओं के मुकाबले डॉलर के मूल्य में गिरावट आई। बुधवार को शुरुआती कारोबार में डॉलर के मुकाबले रुपया गिरकर 73.90 पर पहुंच गया था और आखिर में यह 7 पैसे की मामूली तेजी के साथ 73.23 पर बंद हुआ।
आनंद राठी शेयर्स ऐंड स्टॉकब्रोकर्स के निदेशक (जिंस एवं मुद्रा) नवीन माथुर ने कहा, 'फेडरल की ब्याज दर कटौती के बाद एलएमई और एमसीएक्स पर प्रमुख धातुओं में अच्छी तेजी देखी गई है। इसके अलावा डॉलर के कमजोर होने से भी इन धातुओं की चमक बढ़ी है। डॉलर लगातार छह कारोबारी सत्रों से गिरा है। औद्योगिक धातुओं में इस उम्मीद से तेजी आई है कि चीन भी अर्थव्यवस्था को समर्थन मुहैया कराने के लिए ब्याज दरें घटाने के अमेरिकी कदम पर अमल करेगा।' इस बीच, पिछले कुछ सप्ताहों में सोने और चांदी में तेजी आई है, क्योंकि निवेशकों ने जोखिम वाली परिसंपत्तियों से पैसा निकाल कर इन सुरक्षित दांव समझी जाने वाली धातुओं में लगाने पर जोर दिया है। सोने ने कैलेंडर वर्ष 2019 में लगभग 30 प्रतिशत का प्रतिफल दिया।
पेट्रोलियम निर्यातक देशों के संगठन (ओपेक) की संयुक्त तकनीकी समिति द्वारा दूसरी तिमाही के दौरान उत्पादन में 600,000 से 10 लाख बैरल प्रति दिन तक की कमी लाने का सुझाव दिए जाने के बाद कच्चे तेल में लगातार तीसरे दिन मजबूती बनी रही। कोरोनावायरस के प्रसार के बाद चीन और जापान अपनी अर्थव्यवस्थाओं को मंदी से बचाने के लिए राहत पैकेजों की घोषणा पहले ही कर चुके हैं। अमेरिकी फेडरल द्वारा ब्याज दरें घटाए जाने के साथ विश्लेषकों को अन्य देशों द्वारा भी इसी तरह के कदम उठाए जाने की संभावना है।
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