भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) वर्ष 2021 की पहली छमाही में चंद्रयान-3 के प्रक्षेपण की योजना बना रहा है। भारत ने ऐस समय तीसरे चंद्रयान मिशन की घोषणा की है, जब पिछला मिशन सितंबर 2019 में क्रैश लैंडिंग के कारण सफल नहीं हो पाया था। कार्मिक, लोक शिकायत तथा पेंशन और प्रधानमंत्री कार्यालय राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने लोक सभा में एक सवाल का जवाब देते हुए कहा कि चंद्रयान-3 का प्रक्षेपण 2021 की पहली छमाही में होने की संभावना है। उन्होंने कहा कि चंद्रयान-3 मिशन का ढांचा चंद्रयान-2 से सीखे गए सबकों के आधार पर तय किया गया है। जीसैट-1 प्रक्षेपण टला भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने तकनीकी वजहों से जीसैट-1 उपग्रह को ले जाने के लिए तैयार जीएसएलवी-एफ10 का प्रक्षेपण स्थगित करने का फैसला किया है। देश के पहले भू-पर्यवेक्षण उपग्रह को ले जा रहे रॉकेट जीएसएलवी-एफ10 का प्रक्षेपण 5 मार्च, 2020 को होना था। इसरो ने कहा कि नई तारीख की सूचना उचित समय पर दी जाएगी। अगर यह सफल रहा तो भारत चांद्र पर सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला चौथा देश बन जाएगा। अब तक केवल रूस, अमेरिका और चीन ही चांद की सतह पर सफलतापूर्वक मिशन भेज पाए हैं। इससे पहले इसरो के चेयरमैन के शिवन ने कहा कि चंद्रयान-3 का ढांचा चंद्रयान-2 के समान होगा। उन्होंने चंद्रयान-2 को ऐसा सबसे जटिल मिशन बताया, जिसे लेकर इसरो ने कोशिश की है। चंद्रयान-2 में चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने का लक्ष्य तय किया गया था। यह ऐसी जगह है, जहां अभी तक अन्य कोई यान नहीं पहुंच पाया है। इसरो का मकसद वहां जल और खनिजों की तलाश करना और चांद पर भूकंप के झटकों को मापना था। लेकिन जब मॉड्युल ने क्रैश लैंडिंग की तो यह मिशन सितंबर में असफल हो गया। इसरो इसी क्षेत्र में चंद्रयान-3 प्रक्षेपित करने का प्रयास करेगा। इसमें पिछले चंद्रयान की तरह एक लैंडर, रोवर और प्रोपल्सन मॉड्युल शामिल होगा। इस चंद्रयान की लागत करीब 610 करोड़ रुपये आएगी, जिसमें 360 करोड रुपये के प्रक्षेपण यान की लागत भी शामिल है। गौरतलब है कि इसरो ने चंद्रयान-2 मिशन पर करीब 960 करोड़ रुपये खर्च किए थे।
