नई गैस परिवहन कंपनी गेल की होगी | |
मंत्रिमंडल इस मुद्दे पर जल्द लेगा फैसला, पेट्रोलियम उत्पाद पाइपलाइन बरकरार रहेगी | शाइन जैकब / नई दिल्ली 03 04, 2020 | | | | |
► नई कंपनी गेल इंडिया की पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक इकाई होगी
► केंद्रीय मंत्रिमंडल इस प्रस्ताव को जल्द ही मंजूरी दे सकता है
► इंडियन ऑयल की मौजूदा प्राकृतिक गैस पाइपलाइन के लिए गेल बुक वैल्यू का भुगतान करेगी
सरकार जल्द ही एक अलग गैस परिवहन कंपनी बना सकती है जिसके पास गेल इंडिया और इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन की मौजूदा प्राकृतिक गैस पाइपलान परिसंपत्तियां होंगी। नई कंपनी गेल इंडिया की पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक इकाई होगी। पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय नई गैस पारेषण कंपनी सृजित करने के लिए इंतर-मंत्रालयी विचार-विमर्श के लिए एक कैबिनेट नोट पहले ही जारी कर चुका है।
इस मामले के करीबी एक आधिकारिक सूत्र ने कहा, 'योजना के अनुसार, इंडियन ऑयल की मौजूदा प्राकृतिक गैस पाइपलाइन के लिए गेल बुक वैल्यू का भुगतान करेगी। उसे गेल की प्रस्तावित सहायक इकाई के साथ एकीकृत करने की योजना है।' अधिकारी ने स्पष्टï किया कि इंडियन ऑयल की पेट्रोलियम उत्पाद पाइपलाइनों को गेल की प्रस्तावित सहायक इकाई में शामिल नहीं किया जाएगा। केंद्रीय मंत्रिमंडल इस प्रस्ताव को जल्द ही मंजूरी दे सकता है।
उद्योग विशेषज्ञों के अनुसार, प्राकृतिक गैस पाइपलाइन की निर्माण लागत करीब 3 से 3.5 करोड़ रुपये प्रति किलोमीटर होगी। इसका मतलब साफ है कि इंडियन ऑयल की प्राकृतिक गैस पाइपलाइन खरीदने के लिए गेल को करीब 500 से 600 करोड़ रुपये का भुगतान करना पड़ेगा। फिलहाल देश में कुल 16,981 किलोमीटर प्राकृतिक गैस पाइपलाइन की क्षमता है जिसकी रोजना परिवहन क्षमता 38.7 करोड़ मिट्रिक घन मीटर है। इसके अलावा गेल के पास 12,160 किलोमीटर और इंडियन ऑयल के पास करीब 162 किलोमीटर गैस पाइपलाइन है।
गेल के चेयमैन एवं प्रबंध निदेशक मनोज जैन ने फरवरी में कहा था कि सरकार नियमों का अनुपालन करने के क्रम में गेल की पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक इकाई स्थापित करने के प्रस्ताव पर काम कर रही है। नियमों के तहत गैस के परिवहन और विपणन कारोबार को अलग करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि नई कंपनी की स्थापना एक साल के भीतर हो जाएगी जो मंत्रिमंडल की मंजूरी पर निर्भर करेगी। गेल के राजस्व में प्रस्तावित इकाई की हिस्सेदारी करीब 15 फीसदी होगी। इंडियन ऑयल 140 किलोमीटर लंबी दादरी-पानीपत प्राकृतिक गैस पाइपलाइन (डीपीपीएल) का परिचालन करती है। इस पाइपलाइन को 2010 में चालू किया गया था जो गेल की हजीरा विजयपुर जगदीशपुर पाइपलाइन (एचवीजेपीएल) और दहेज विजयपुर पाइपलाइन (डीवीपीएल) को दादरी में जोड़ती है।
इंडियन ऑयल की शेष 22 किलोमीटर लंबी पाइपलाइन एन्नोर ओर मलाली को जोड़ती है जहां इंडियन ऑयल की सहायक इकाई चेन्नई पेट्रोलियम कॉरपोरेशन (सीपीसीएल) की रिफाइनरी है। प्रस्तावित सहायक इकाई संबंधी योजना के बारे में पूछे जाने पर गेल के एक अधिकारी ने कहा, 'प्राकृतिक गैस ग्रिड तैयार करने की तत्काल जरूरत है। साथ ही बढ़ती मांग के अनुरूप आपूर्ति को भी दुरुस्त किया जाना चाहिए। इसलिए एक पूर्ण स्वामित्व वाली विशेष सहायक इकाई स्थापित होने से पारेषण क्षेत्र की कुशलता बेहतर होगी और कारोबार में कहीं अधिक पारदर्शिता आएगी।' इंडियन ऑयल और गेल के अलावा अन्य जिन कंपनियों के पास प्राकृतिक गैस पाइपलाइन मौजूद है उनमें गुजरात स्टेट पेट्रोनेट (जीएसपीएल), रिलायंस ऐंड असम रीजनल नेटवर्क (एआरएन) शामिल है।
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