एचएनआई का वाणिज्यिक प्रॉपर्टी में निवेश पर जोर | राघवेंद्र कामत / मुंबई March 03, 2020 | | | | |
पिछले साल दिल्ली स्थित एक धनाढ्ïय निवेशक (एचएनआई) ने मुंबई के गोरेगांव पूर्व स्थित रहेजा टाइटेनियम परिसर में 29,495 वर्गफुट वाणिज्यिक संपत्ति खरीदी थी। यह विक्रेता केन्या का था। इसी तरह से एक तकनीक आधारित फंड ने नवी मुंबई स्थित एलऐंडटी सीवुड्ïस और बांद्रा कुर्ला परिसर स्थित द कैपिटल में क्रमश: 48,000 वर्गफुट और 7,721 वर्गफुट जगह खरीदी थी। ये दो उदाहरण महज अपवाद नहीं हैं। सलाहकारों और निवेशकों का कहना है कि ऐसे समय जब आवासीय बाजार मुश्किल दौर से गुजर रहा है और इसमें निवेशकों को कम प्रतिफल मिल रहा है, तब बड़े शहरों की कार्यालय परिसंपत्तियों की खुदरा बिक्री में तेज उछाल नजर आ रही है।
देश के शीर्ष सात शहरों में करीब 2.5 लाख करोड़ रुपये मूल्य के प्रथम श्रेणी के कार्यालय स्थल निर्माणाधीन हैं और अगले कुछ वर्षों में ये पूरे हो जाएंगे। एनारॉक प्रॉपर्टी कंसल्टेंट की एक हालिया रिपोर्ट के मुताबिक इनमें से 25 फीसदी (63,000 करोड़ रुपये की परिसंपत्ति) बिक्री के लिए उपलब्ध होगी। मुंबई स्थित फंड प्रबंधक नीसस फाइनैंस के मुताबिक पिछले वर्ष देश के शीर्ष पांच शहरों में व्यावसायिक इमारतों की खुदरा बिक्री 6,000 करोड़ रुपये मूल्य की रही थी। भारत की सबसे बड़ी रियल एस्टेट सेवा कंपनी जेएलएल के मुख्य कार्याधिकारी और कंट्री हेड रमेश नायर ने कहा, 'देश में करीब 1,80,000 अत्यधिक धनाढ्ïय निवेशक हैं जो 10 फीसदी सालाना की दर से बढ़ रहे हैं। पिछले कुछ वर्षों में आवासीय बाजार का कारोबार धीमा हुआ है ऐसे में एचएनआई बहुत सक्रियता से अन्य परिसंपत्ति वर्गों की तरफ देख रहे हैं।'
नायर ने कहा कि एक ओर जहां आवासीय परिसंपत्तियों से 2-2.5 फीसदी का प्रतिफल मिल रहा है पूंजी में सालाना 1 से 2 फीसदी की वृद्घि हो रही है वहीं वाणिज्यिक परिसंपत्तियों से 7 से 9 फीसदी का किराया प्रतिफल मिल रहा है और इसमें पूंजीगत वृद्घि सालाना 4 से 8 फीसदी की है। उन्होंने कहा कि जेएलएल ने पिछले वर्ष शीर्ष सात शहरों में ऐसे कई सौदे किए। इतना ही नहीं, परिसंपत्ति कंपनियां और कंसल्टेंट्ïस बढ़ चढ़ कर खुदरा बिक्री के कारोबार में उतर रहे हैं। 2019 के आरंभ में रियल्टी की दिग्गज कंपनी प्रेस्टीज एस्टेट्ïस ने अपने कार्यालय परिसंपत्तियों के 25 फीसदी की बिक्री व्यक्तिगत निवेशकों को खुदरा बिक्री के तौर पर करने की घोषणा की थी। कंपनी ने यह योजना उच्च प्रतिफल वाले रियल्टी परिसंपत्तियों के लिए बनाई थी।
वाणिज्यिक परिसंपत्तियों की खुदरा बिक्री पर ध्यान देने के लिए हाल में स्थापित किए गए एनारॉक कॉमर्शियल के मुख्य कारोबार अधिकारी बप्पादित्य बसु ने कहा, 'कार्यालय परिसंत्तियों के कारोबार में शामिल कंपनियों में से कुछ कंपनियों को छोड़कर ज्यादातर कंपनियां स्टे्रटा बिक्री करने को इच्छुक हैं।' बसु ने कहा, 'दक्षिणी भारत के उलट इधर ज्यादातर डेवलपर निर्माण ऋण लेते हैं और रकम का भुगतान के लिए जिम्मेदार होते हैं। ऋण चुकता करने में 8 से 9 वर्ष का समय लगता है लेकिन स्ट्रेटा बिक्री के जरिये वे निर्माण देयताओं के 25 फीसदी का बंदोबस्त कर सकते हैं और इस तरह से परियोजना से बाहर निकलने की अवधि को घटा सकते हैं।'
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