जीवन बीमा का मुख्य मकसद सुरक्षा कवर प्रदान करना होता है लेकिन इसे निवेश विकल्प के तौर पर भी देखा जाता है, इसलिए अपनी जरूरत के हिसाब से ही करें बीमा उत्पादों का चयन
कर में छूट देना हमेशा ही जीवन बीमा जैसे कुछ परिसंपत्ति समूहों में निवेश को बढ़ावा देने के सशक्त वाहकों में से एक रहा है। लेकिन गत 1 फरवरी को पेश आम बजट में आयकर दर का वैकल्पिक प्रस्ताव रखते हुए वित्त मंत्री ने कहा था कि अगर कोई व्यक्ति नई योजना के तहत कर देना चाहता है तो उसे जीवन बीमा प्रीमियम भुगतान के एवज में मिलने वाली कर रियायतें छोडऩी होंगी। कुछ विशेषज्ञों की नजर में यह प्रस्ताव दीर्घावधि में सभी तरह की कर रियायतें खत्म करने का एक संकेत है। ऐसा होने पर जीवन बीमा की चमक पूरी तरह खत्म होने का अंदेशा है।
हालांकि कर में मिलने वाली छूट कई लोकप्रिय जीवन बीमा उत्पादों का एक पहलू भर है। कई जीवन बीमा विशेषज्ञों का मानना है कि अपने जीवन या परिवार को सुरक्षा देने का कर रियायतों से कोई संबंध नहीं है। लिहाजा व्यक्ति को कर छूट की फिक्र किए बगैर जीवन बीमा में निवेश जारी रखना चाहिए। पॉलिसीबाजार डॉट कॉम के मुख्य कारोबार अधिकारी संतोष अग्रवाल कहते हैं, 'हमारे आंकड़े बताते हैं कि ग्राहक महज कर लाभ के लिए बीमा नहीं खरीदते हैं। आम बजट ने इस अंतर्दृष्टि को पुष्ट किया है। हमारी राय में अब वक्त आ गया है कि मध्य वर्ग अपने एवं अपने परिवार को सुरक्षा कवर देने के वास्तविक लाभ के लिए बीमा खरीदे।' इस तरह यह जरूरी हो गया है कि निवेशक विभिन्न उत्पादों या बीमा विकल्पों के बारे में कम-से-कम बुनियादी जानकारी रखे। किसी भी व्यक्ति के लिए जीवन बीमा योजना की पसंद हमेशा ही व्यक्ति के वित्तीय लक्ष्य, बीमा लेने की इच्छा रखने वाले व्यक्ति की उम्र, उसकी आय, उस पर कर्ज या वित्तीय दायित्व और परिवार में आश्रित व्यक्तियों की संख्या जैसे कारकों से निर्धारित होता है।
मोटे तौर पर दो तरह के जीवन बीमा उत्पाद दिखाई देते हैं- सुरक्षा और बचत पर केंद्रित। इन दोनों उत्पादों में बीमा या जीवन की सुरक्षा का पहलू शामिल होता है वहीं निवेश आधारित बीमा में अपेक्षाकृत ऊंचे दाम पर निवेश का विकल्प भी दिया जाता है और उसमें एक हद तक निवेश पर जोखिम भी होता है। ऐसी स्थिति में किसी व्यक्ति के लिए अपनी जरूरत के मुताबिक सही बीमा उत्पाद का चयन करना काफी अहम हो जाता है।
टर्म प्लान
टर्म प्लान बुनियादी किस्म का जीवन बीमा देता है जिसमें विशुद्ध रूप से बीमित व्यक्ति को सुरक्षा कवर मिलता है। इसमें अमूमन 65 से 70 साल की उम्र तक बीमित व्यक्ति से जुड़े जोखिम शामिल होते हैं। बाजार में ऐसे टर्म प्लान भी उपलब्ध हैं जो बीमित व्यक्ति की मौत के जोखिम के अलावा उसके वित्तीय दायित्वों जैसे कर्ज या किसी अन्य देनदारी से भी उसके आश्रितों को सुरक्षा देते हैं।
अगर योजनाओं की कीमत की बात करें तो जीवन बीमा श्रेणी में उपलब्ध समूचे उत्पादों में होल लाइफ प्लान को छोड़कर टर्म प्लान 18 से 65 साल की उम्र तक सबसे कम प्रीमियम पर सबसे अधिक जीवन कवर देते हैं। पॉलिसीबाजार डॉट कॉम का का कहना है कि यह वक्त टर्म प्लान खरीदने के लिए सबसे उपयुक्त है क्योंकि आने वाले समय में इनके दाम बढऩे की संभावना है। इस वेबसाइट के मुताबिक न्यूनतम पांच वर्ष की अवधि के लिए भी टर्म प्लान खरीदा जा सकता है जिसे 25 साल तक या पूरी जिंदगी के लिए बढ़ाया जा सकता है। जहां तक एकल प्रीमियम वाली पॉलिसी का सवाल है तो इसकी मियाद पांच साल से लेकर 40 साल तक हो सकती है। कुछ खास मकसद को पूरा करने वाले टर्म प्लान भी मौजूद हैं। योजना अवधि पूरा होने के बाद अगर बीमित व्यक्ति सकुशल है तो उसे प्रीमियम राशि लौटाने की सुविधा देने वाला प्रीमियम रिटर्न प्लान भी इसी श्रेणी में आता है। इसी तरह घटती हुई टर्म बीमा योजना में बीमाकृत राशि हर साल एक निश्चित प्रतिशत में कम होती जाती है। इसी तरह बढ़ता हुआ टर्म प्लान और कंपनियों के लिए समूह टर्म प्लान भी उपलब्ध हैं।
हालांकि निवेशक को बीमा उत्पाद खरीदने से पहले बीमा कंपनी का दावा निपटान अनुपात जरूर देखना चाहिए। दावों के निपटान में ऊंचे अनुपात वाली कंपनियों को अधिक विश्वसनीय माना जाता है। इस अनुपात से पता चलता है कि बीमा का दावा करने पर संबंधित कंपनी प्रति 100 मामलों में कितने भुगतान करती है।
बचत आधारित बीमा उत्पाद
हम पहले ही इस बात का जिक्र कर चुके हैं कि बचत पर केंद्रित बीमा योजनाओं में जीवन सुरक्षा के साथ निवेश का जोखिम भी जुड़ा होता है। लेकिन दोहरा लाभ देने के एवज में इन योजनाओं का प्रीमियम विशुद्ध सुरक्षा वाली योजनाओं की तुलना में काफी अधिक हो जाता है। इसके अलावा इनमें निवेशित राशि पर कुछ हद तक जोखिम भी होता है। कुछ चर्चित बचत बीमा उत्पाद इस प्रकार हैं:
यूनिट-लिंक्ड इंश्योरेंस प्लान
इसे संक्षेप में यूलिप के नाम से जाना जाता है। बीमित व्यक्ति के जीवन को सुरक्षा देने के साथ ही यूलिप योजना में कुछ खास तरह के परिसंपत्ति समूहों में निवेश का विकल्प भी होता है। इसमें प्रीमियम का एक हिस्सा इक्विटी बाजार और म्युचुअल फंड जैसी परिसंपत्तियों में लगाया जाता है और उससे मिलने वाले रिटर्न पर निवेशक का अधिकार होता है। लेकिन यह ध्यान रखना जरूरी है कि यूलिप योजनाएं पूंजी बाजार से जुड़े जोखिमों के अधीन होती हैं क्योंकि प्रीमियम का एक हिस्सा इक्विटी या म्युचुअल फंड में निवेश किया जाता है। इसका मतलब है कि यूलिप योजना में किसी भी व्यक्ति को तयशुदा प्रतिफल की उम्मीद नहीं करनी चाहिए। इसके अलावा यूलिप में तीन साल का लॉक-इन प्रावधान भी होता है और इसमें कई तरह के शुल्क भी बीमा कंपनियां वसूलती हैं। ऐसी स्थिति में अगर आप यूलिप योजना लेने की सोच रहे हैं तो यूलिप कैलकुलेटर का इस्तेमाल यह जरूर देख लें कि भविष्य में उस निवेश पर कितना प्रतिफल मिलेगा और उस प्रतिफल पर कितना कर देना होगा?
एन्डॉवमेंट प्लान
यूलिप की ही तरह एन्डॉवमेंट प्लान में भी बीमा कवर और बचत दोनों शामिल होते हैं। लेकिन एन्डॉवमेंट प्लान परिपक्वता अवधि के बाद एक तयशुदा लाभ की पेशकश करता है जो बीमित राशि के बराबर होता है। यही बात उसे यूलिप से अलग बनाती है क्योंकि यूलिप पूंजी बाजार जोखिम के अधीन होता है। इस तरह एन्डॉवमेंट प्लान में निवेश पर जोखिम यूलिप से कम होता है। लेकिन एन्डॉवमेंट योजनाओं में दो बुनियादी समस्याएं होती हैं। बैंकबाजार डॉट कॉम के मुख्य कार्याधिकारी आदिल शेट्टी कहते हैं, 'हाइब्रिड बीमा उत्पाद होने से एन्डॉवमेंट प्लान न तो ज्यादा जीवन कवर दे पाते हैं और न ही उनमें अच्छा प्रतिफल ही मिलता है।'
मनी बैक प्लान
यह एन्डॉवमेंट पॉलिसी का ही एक प्रकार है। मनी बैक प्लान में बीमित व्यक्ति को समूची बीमा अवधि में समय-समय पर बीमाकृत राशि का एक तय प्रतिशत मिलता रहता है। इसे बीमा अवधि से अधिक जीवित रहने के लाभ के तौर पर देखा जाता है। अगर बीमाधारक बीमा की अवधि पूरा करने तक जीवित रहता है तो उसे बीमा की निर्धारित राशि में से बाकी बचा हिस्सा मिलता है। अगर बीमा परिपक्व होने के पहले ही उस व्यक्ति की मौत हो जाती है तो उसके नॉमिनी को बीमा की पूरी राशि एकमुश्त मिल जाती है, भले ही पहले जीवित रहने का लाभ मिल चुका हो। हालांकि हमें इन दो बातों पर ध्यान रखना चाहिए कि मनी बैक प्लान भी बाजार जोखिमों के अधीन होता है और जीवित रहने का लाभ पॉलिसी खरीदने के कुछ साल बाद ही मिलना शुरू होता है।
आजीवन बीमा योजना
जैसा कि नाम से ही पता चलता है, आजीवन बीमा योजनाओं में बीमित व्यक्ति को जीवन भर बीमा सुरक्षा मिलती है। इस दौरान बीमित व्यक्ति की मौत हो जाने पर उसके परिवार या नॉमिनी को कुल बीमित राशि के साथ बोनस (अगर कोई हो) का भी भुगतान किया जाता है। कुछ बीमा कंपनियां इस योजना के तहत 100 साल की उम्र तक परिपक्वता की पेशकश करती हैं। इस तरह आजीवन यूलिप लंबी उम्र तक जीवन बीमा कवर देने के साथ ही पूंजी बाजार जोखिमों के अधीन ऊंचा प्रतिफल देने का वादा करता है।
एन्युइटी या पेंशन प्लान
इसे रिटायरमेंट प्लान के नाम से भी जाना जाता है जो बीमित व्यक्ति को सेवानिवृत्ति के बाद की जिंदगी के लिए फंड जुटाता है। इसमें बीमित व्यक्ति को सालाना किस्त के तौर पर या 60 साल की उम्र पूरा करते ही एकमुश्त भुगतान किया जाता है। अगर 60 साल की उम्र पूरा करने के पहले ही उस व्यक्ति की मौत हो जाती है तो उसके नॉमिनी को बीमा कंपनी पूर्व-निर्धारित राशि का भुगतान करती है। बीमा कंपनियों ने जीवन बीमा से जुड़े कई उत्पादों में अतिरिक्त सुविधाओं को भी जोड़ा है जिन्हें अपनी जरूरत के हिसाब से लिया जा सकता है।
तमाम तरह की बीमा योजनाओं को देखते हुए किसी व्यक्ति को जीवन बीमा पॉलिसी खरीदते समय अपना लक्ष्य स्पष्टï करना चाहिए। पहले यह तय करने की जरूरत है कि आप अपने एवं परिवार को सुरक्षित रखने के लिए जीवन बीमा ले रहे हैं या आप इसे बचत के साधन के तौर पर भी देख रहे हैं। बैंकबाजार डॉट कॉम के आदिल शेट्टïी कहते हैं, 'निवेशकों के लक्ष्य अलग-अलग होते हैं और हरेक की जरूरत भी अलग होती है। उन्हें अपनी वित्तीय योजना बनाते समय इन पहलुओं पर ध्यान देना जरूरी है।'
(साथ में बिंदिशा सारंग)
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