कोरोनावायरस के कहर के बाद औद्योगिक जिंसों की कीमतें 17.7 प्रतिशत तक लुढ़क चुकी हैं। कारखानों में बतौर कच्चा माल इस्तेमाल होने वाली इन जिंसों का चीन दुनिया में सबसे बड़ा उत्पादक एवं उपभोक्ता देश है। कोरोनावायरस का सबसे ज्यादा असर ब्रेंट क्रूड पर पड़ा है। वायरस का संक्रमण बढऩे के कारण चीन के भीतर और बाहर लोगों का आवागमन काफी कम हो गया, जिससे कच्चे तेल की धार पतली पड़ गई। इस पूरे प्रकरण से उपभोग आधारित जिंसों की मांग में खासी गिरावट देखी गई। इससे प्राकृतिक गैस और प्राकृतिक रबर अपने-अपने बेंचमार्क कारोबारी एक्सचेंजों पर क्रमश: 17 प्रतिशत और 16.7 प्रतिशत तक फिसल गए।
वायरस के फैलने और हालात बदतर होने से पिछले दो सप्ताह के दौरान औद्योगिक जिंसों के दामों में गिरावट काफी बढ़ गई है। मूल धातुओं और तेल के दाम विशेष रूप से प्रभावित हुए हैं। कोरोनावायरस से औद्योगिक जिंसों की खपत प्रभावित होने के साथ ही चीन के विभिन्न शहरों में इनका उत्पादन भी घट गया है। तेजी से फैल रहे संक्रमण से बचने के लिए इन जिंसों के कारखानों में काम करने वाले कर्मचारी काफी कम संख्या में आ रहे हैं। वायरस के संक्रमण से दुनिया के बाकी देशों का चीन के साथ कारोबार कम हो गया है, जिससे चीन की अर्थव्यवस्था सुस्त हो गई है। चीन की सरकार ने नव वर्ष पर अवकाश एक सप्ताह के लिए बढ़ा दिया, जिससे कारोबार एवं व्यापार दोबारा शुरू होने में देर हो गई।
कोरोनावायरस का ज्यादा कहर चीन के वुहान प्रांत पर पड़ा है, जो वहां जल, सड़क और हवाई परिवहन का सबसे बड़ा केंद्र है। चीन के इस्पात उत्पादन का लगभग पांच प्रतिशत उत्पादन यहां होता है और इस शहर को चीन का 'इस्पात गृह' माना जाता है। ऐसे में उत्पादन कम होने और मांग प्रभावित होने का असर इनकी कीमतों पर साफ दिख रहा है। माना जा रहा है कि वित्तीय संकट के बाद मांग को लगने वाला यह सबसे बड़ा झटका है और 11 सितंबर, 2001 को वल्र्ड ट्रेड सेंटर पर हुए आतंकी हमले के बाद की सबसे बड़ी अप्रत्याशित घटना है।
विश्लेषकों के अनुसार तेल की कम मांग का असर अड़चन पैदा कर रहा है। चीन के स्थानीय रिफाइनरों का स्टॉक तेजी से बढ़ रहा है और अनुमान लगाया जा रहा है कि जल्द ही रिफाइनरी उत्पादन में कुछ कटौती (लगभग 15 प्रतिशत) हो सकती है। पेट्रोरसायन बाजार के सूत्रों का कहना है कि बढ़ते स्टॉक के बीच स्वतंत्र तेल रिफाइनरियां 8 लाख बैरल प्रतिदिन तक की कटौती कर सकती हैं। जनवरी से अब तक कई पेट्रोरसायनों के दाम 4 से 10 प्रतिशत लुढ़क चुके हैं। मुंबई में रसायनों और पेट्रोरसायन के एक कारोबारी ने कहा कि उपभोक्ता भविष्य को लेकर चिंतित हैं और बाजार में अनिश्चितता की स्थिति बनी हुई है।
रिलायंस कमोडिटीज में वरिष्ठï विश्लेषक श्रीराम अय्यर ने कहा, 'कोरोना संकट के बाद अंतरराष्टï्रीय स्तर पर तेल कीमतें जनवरी के उच्च स्तर से नीचे आ गई हैं। आने वाले समय में भी तेल कीमतों की चाल कोरोनावायरस, ओपेक के कदम और रूस के रुख पर निर्भर करेगी।' 15 जनवरी, 2020 के बाद से लंदन मेटल एक्सचेंज पर मूल धातुओं की कीमतें भी 11 प्रतिशत तक कम हो चुकी हैं। दूसरी तरफ औद्योगिकजिंसों में गिरावट के बाद सिंगापुर एक्सचेंज (एसजीएक्स) पर 62 प्रतिशत लौह मात्रा की उपस्थिति वाले मानक लौह-अयस्क की कीमतें 14 प्रतिशत कम होकर 79.8 डॉलर प्रति टन रह गईं। मलेशिया में कच्चा पाम तेल 7 प्रतिशत फिसलकर 663.8 डॉलर प्रति टन के स्तर पर कारोबार कर रहा है, जबकि 15 जनवरी को यह 714.5 डॉलर प्रति टन के स्तर पर था।
कॉमटे्रंड्ज के निदेशक ज्ञानशेखर त्यागराजन ने कहा, 'कोरोनावायरस के प्रसार के बाद धातु एवं ऊर्जा सहित उपभोग से जुड़ी सभी जिंसों की मांग कम हुई है। औद्योगिक जिंस की कीमतें इस बात पर निर्भर करेंगी कि चीन ने कोरोनावायरस की रोकथाम के लिए कितने सटीक उठाए हैं। वायरस के प्रसार पर जितनी जल्दी नियंत्रण पाया जाएगा मांग उतनी ही जल्दी बढ़ेगी और हालात भी उसी गति से सामान्य होंगे। हालांकि वायरस से चीन के बड़े उत्पादन संयंत्रों पर खासा असर हुआ है।' इस बीच तांबे के दाम एलएमई पर 9 प्रतिशत तक गिर गए हैं, जबकि 15 जनवरी के बाद जस्ते में 11 प्रतिशत और निकल में 7.7 प्रतिशत की गिरावट आई है। मगर जानकारों का यह भी कहना है कि अगर वायरस की स्थिति पर काबू पाने के संकेत मिलते हैं तो कीमतों में अप्रत्याशित तेजी से हैरानी नहीं होनी चाहिए।
ऐक्सिस सिक्योरिटीज में तकनीकी विश्लेषक देवेय गगलानी का कहना है, 'रूस की चुप्पी भी तेल की कीमतों पर असर डाल रही है। ओपेक की तकनीकी समिति ने कोरोनावायरस के प्रसार के पैदा हुई स्थिति से निपटने के लिए उत्पादन में प्रतिदिन 6 लाख बैरल कटौती का प्रस्ताव दिया था, लेकिन रूस इस पर हामी भरने से कतरा रहा है। इस वजह से कच्चा तेल लगातार फिसल रहा है। जस्ते की कीमतें भी हाल में जुलाई 2016 के बाद सबसे निचले स्तर पर आ गईं।' उधर वित्तीय प्रणाली में नकदी डालने के चीन के केंद्रीय बैंक के कदमों का अस्थायी असर ही रहा। अय्यर ने कहा, 'कोरोनावायरस का कहर जारी रहा तो धातु की मांग कमजोर हो सकती है। मौजूदा हालात के बीच चीन कमजोर पड़ती अर्थव्यवस्था को मजबूती देने के लिए नकदी बढ़ाने के कुछ और उपाय कर सकता है। इससे धातु बाजार में थोड़ी राहत मिल सकती है।'
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