महाराष्ट्र की मंडियों में प्याज की थोक कीमतों में आई भारी गिरावट और किसानों के विरोध प्रदर्शन को देखते हुए केंद्र सरकार ने 15 मार्च से प्याज निर्यात पर लगी रोक हटाने का जो फैसला किया उससे किसानों की आमदनी में बढ़ोतरी होने की आस जगी है। उम्मीद की जा रही है कि सरकार के इस फैसले के बाद महाराष्ट्र के किसान अपना विरोध प्रदर्शन बंद कर देंगे। महाराष्ट्र सरकार के मुताबिक पिछले पांच साल के दौरान राज्य के साढ़े चौदह हजार से ज्यादा किसान आत्महत्या कर चुके हैं।
किसानों के विरोध प्रदर्शन को देखते हुए सरकार ने प्याज निर्यात पर लगी रोक हटाने का ऐलान किया है। केंद्रीय वाणिज्य एंव उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने आज ट्वीट करके कहा कि सरकार द्वारा किसान हित में 15 मार्च से प्याज निर्यात की अनुमति दे दी जाएगी। इस निर्णय से किसानों की आमदनी में बढ़ोतरी होगी। महाराष्ट्र के नाशिक में आज किसानों ने प्याज निर्यात पर लगी रोक हटाने संबंधी अधिसूचना जल्द जारी करने की मांग की।
एशिया की सबसे बड़ी प्याज मंडी लासलगांव में आज प्याज के थोक दाम घटकर नौ से 16.35 रुपये प्रति किलोग्राम रह गए, जबकि दैनिक आवक 10,500 क्विंटल रही। दिसंबर 2019 में मंडी में इसके थोक दाम 20 से 84.01 रुपये प्रति किलोग्राम थे। पुणे मंडी में आज प्याज के दाम घटकर पांच से 17 रुपये प्रति किलोग्राम रह गए और मंडी में दैनिक आवक 23,957 क्विंटल रही। राज्य की मनमाड मंडी में प्याज का भाव घटकर पांच से 16.50 रुपये प्रति किलोग्राम रह गया। प्याज किसानों ने नीलामी नहीं होने दी और सड़क पर इसके विरोध में प्रदर्शन भी किया।
हाल ही में केंद्रीय खाद्य मंत्री रामविलास पासवान ने ट्वीट करके निर्यात पर लगी रोक हटाने की जानकारी दी थी। गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में पिछले सप्ताह मंत्रियों के समूह की बैठक में प्याज निर्यात पर लगा प्रतिबंध हटाने का निर्णय लिया गया था। इस बारे में पासवान ने ट्वीट करते हुए कहा था कि चूंकि प्याज की कीमत स्थिर हो गई है और प्याज की भारी पैदावार हुई है, इसलिए सरकार ने प्याज निर्यात पर प्रतिबंध हटाने का फैसला किया है। हालांकि इस बारे में अब तक विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) द्वारा अधिसूचना जारी नहीं की गई है जिससे प्याज के किसान नाराज हैं।
गौरतलब है कि सरकार ने सितंबर 2019 में प्याज निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था और प्रति टन प्याज पर 850 डॉलर का न्यूनतम निर्यात मूल्य (एमईपी) घोषित किया था। उस समय मांग और आपूर्ति में अंतर होने के कारण प्याज की कीमतें आसमान छूने लगी थीं। महाराष्ट्र सहित प्रमुख प्याज उत्पादक राज्यों में अत्यधिक बारिश और बाढ़ के कारण खरीफ की फसल प्रभावित होने से प्याज उत्पादन में कमी आई थी। इस समय रबी सत्र के प्याज की आवक मंडियों में शुरू हो गई है तथा आगे चलकर दैनिक आवक और बढऩे की संभावना है।
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