► 10 हजार करोड़ रुपये की हो सकती है कमी ► मार्च में कई ओएफएस थे प्रस्तावित ► बाजार में गिरावट से टाली योजना ► आईआरएफसी का आईपीओ और कुछ पुनर्खरीद भी इसी वर्ष
सरकार के लिए चालू वित्त वर्ष में 2019-20 में 65 हजार करोड़ रुपये के संशोधित विनिवेश लक्ष्य को हासिल करना संभव नहीं दिख रहा है। इसकी वजह यह है कि बाजार में गिरावट को देखते हुए कई सार्वजनिक उपक्रमों की मार्च में प्रस्तावित बिक्री की पेशकश (ओएफएस) को टाल दिया गया है। इनमें सेल, एनएमडीसी, पीएफसी लिमिटेड, कोल इंडिया, इरकॉन, हिन्दुस्तान एयरोनॉटिक्स और कई अन्य कंपनियां शामिल हैं। वित्त मंत्रालय के अनुमानों के मुताबिक विनिवेश लक्ष्य 10 हजार करोड़ रुपये कम रह सकता है। सूत्रों के मुताबिक इस महीने कुछ ही सरकारी कंपनियों में विनिवेश की संभावना है। इनमें एनटीपीसी द्वारा टीएचडीसी लिमिटेड और नीपको का अधिग्रहण, आईआरएफसी लिमिटेड का प्रस्तावित आरंभिक सार्वजनिक निर्गम और कुछ सरकारी उपक्रमों में पुनर्खरीद शामिल है।
एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा, 'हमने कई कंपनियों के ओएफएस की योजना बनाई थी और हम इनमें से कुछ को मार्च में निपटाना चाहते थे। हमने इसके लिए रोडशो भी आयोजित किए थे। लेकिन कोरोनावायरस और अन्य वैश्विक कारणों से बाजार में गिरावट का दौर है। ऐसी स्थितियों में हम बाजार में नहीं जा सकते हैं।' वित्त मंत्रालय एनटीपीसी द्वारा टीएचडीसी और नीपको के अधिग्रहण से 15 हजार करोड़ रुपये जुटाने की उम्मीद कर रहा है। साथ ही आईआरएफसी लिमिटेड के प्रस्तावित आईपीओ और कुछ पुनर्खरीद से 5 हजार करोड़ रुपये मिलने की संभावना है।
विनिवेश एवं सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन विभाग ने अब तक करीब 35 हजार करोड़ रुपये जुटाए हैं। इसमें अगर 20 हजार करोड़ रुपये की रकम और जुड़ती है तो यह 55 हजार करोड़ रुपये हो जाएगी। इस तरह केंद्र अपने संशोधित लक्ष्य से 10 हजार करोड़ रुपये दूर रह जाएगा। सरकार ने आम बजट में चालू वित्त वर्ष के लिए 1.05 लाख करोड़ रुपये का विनिवेश लक्ष्य निर्धारित किया था जिसे बाद में संशोधित कर 65 हजार करोड़ रुपये किया गया। 2020-21 के आम बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2019-20 के लिए कर राजस्व और कुल खर्च अनुमानों में भी कटौती की थी और राजकोषीय घाटे का लक्ष्य जीडीपी के 3.3 फीसदी से बढ़ाकर 3.8 फीसदी कर दिया गया था।
अधिकारी ने कहा कि आईआरएफसी का आईपीओ इस तरह की बाजार परिस्थितियों में भी इसी महीने आएगा। ओएफएस अब 31 मार्च के बाद लाए जाने की उम्मीद है।' इसका मतलब है कि वे 2020-21 के 2.1 लाख करोड़ रुपये के बजटीय विनिवेश लक्ष्य में योगदान देंगे। पिछले सप्ताह केंद्र ने राइट्स लिमिटेड में अपनी 10 फीसदी हिस्सेदारी ओएफएस के जरिये बेच दी थी। यह इश्यू बुरी तरह फ्लॉप रहा।
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