पुरानी और नई कर प्रणाली में कौन सटीक | संजय कुमार सिंह और बिंदिशा सारंग / March 01, 2020 | | | | |
मुंबई की एक विज्ञापन एजेंसी में खाता विशेषज्ञ ने नाम प्रकाशित नहीं करने का आग्रह करते हुए कहा कि वह भविष्य में इस शहर में एक घर खरीदना चाहती हैं। उनकी उम्र 30 साल से अधिक है और इस समय उनका वेतन 6.05 लाख रुपये है। वह सभी संभावित कर छूट लेना चाहती हैं, इसलिए वह वित्त मंत्री द्वारा 2020 के बजट में शुरू की गई नई रियायती कर प्रणाली को नहीं अपनाना चाहती हैं। इसके बावजूद वह यह जानना चाहती हैं कि अधिक कर दरों वाली पुरानी प्रणली या कम दरों मगर बिना छूट वाली नई कर प्रणाली में से कौन सी उनके लिए बेहतर रहेगी।
आसान प्रणाली
नई कर प्रणाली का मुख्य लाभ यह है कि इसमें पुरानी कर प्रणाली की तुलना में रियायती कर दरें मुहैया कराई गई हैं। पीएसएल एडवोकेट्स ऐंड सॉलिसिटर्स में संस्थापक और प्रबंध साझेदार समीर जैन ने कहा, 'पांच लाख रुपये से 7.5 लाख रुपये की आय के लिए 10 फीसदी की नई कर श्रेणी शुरू की गई है और पहले की कर दरों को भी घटाया गया है।' नई कर प्रणाली से करदाताओं के हाथ में ज्यादा पैसा आएगा। करदाताओं को पुरानी कर प्रणाली के तहत छूट हासिल करने के लिए निवेश और खर्च (रीइंबर्सनमेंट के मामले में) के सबूत देने होंगे। लेकिन वे नई कर प्रणाली में इन सब दिक्कतों से बच जाएंगे। आरएसएम एसट्यूट कंसल्ंिटग ग्रुप के संस्थापक सुरेश सुराणा ने कहा, 'इसमें कम दस्तावेजों की जरूरत होगी, जिससे कर भरना आसान हो गया है।' पुरानी कर प्रणाली करदाताओं को उन कुछ योजनाओं में निवेश करने के लिए बाध्य करती है, जिन पर छूट उपलब्ध हैं। इनमें से सभी संपत्ति को बढ़ाने में सबसे बेहतर विकल्प नहीं हैं। पर्याप्त वित्तीय ज्ञान नहीं रखने वाले बहुत से करदाताओं को ऐसी योजनाएं बेच दी जाती हैं, जिनसे उन्हें कर बचाने में तो मदद मिलती है मगर बहुत लंबी अवधि में भी कमजोर प्रतिफल मिलता है।
नई कर प्रणाली को अपनाने वाले करदाता इस मापदंड के आधार पर योजनाएं चुन सकेंगे कि उनसे संपत्ति को बढ़ाने में मदद मिलेगी या नहीं। कर बचत वाली सभी योजनाओं में निवेश को बनाए रखने का एक निश्चित समय (लॉक इन) होता है। सार्वजनिक भविष्य निधि (पीपीएफ) में लॉक इन 15 साल है। पांच वर्षीय कर बचत वाली सावधि जमा और राष्ट्रीय बचत पत्र (एनएससी) में लॉक-इन पांच साल है। इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम्स (ईएलएलएस) में लॉक-इन तीन साल है। नई कर प्रणाली को अपनाने वाले करदाताओं को यह फायदा होगा कि वे ऐसी योजनाओं में निवेश के बाद कभी भी अपना पैसा निकाल सकेंगे।
नई कर प्रणाली का दूसरा पक्ष यह है कि करदाताओं को वे सभी छूट नहीं मिल पाएंगी, जो पुरानी कर प्रणाली के तहत उपलब्ध हैं। इनमें से एक छूट धारा 80सी के तहत 1.5 लाख रुपये की उपलब्ध है। वहीं धारा 80सीसीडी (1बी) के तहत राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (एनपीएस) में 50,000 रुपये की छूट मिलती है। इसके अलावा धारा 24 के तहत आवास ऋण ब्याज पर दो लाख रुपये की छूट मिलती है। नई कर प्रणाली में एनपीएस में नियोक्ता के योगदान जैसी कुछेक कर छूट ही मिल पाएंगी। नई कर प्रणाली को अपनाने में 75,000 रुपये तक का फायदा हो सकता है। सुराणा ने कहा, 'कंपनी रियायती कर प्रणाली में सभी आय स्तरों पर कर की दरों में कमी की गई है, लेकिन इससे इतर व्यक्तिगत रियायती कर प्रणाली का दायरा सीमित है। उच्च कर वर्ग में आने वाले लोगों के लिए कर की प्रभावी दर आगे भी 42.7 फीसदी बनी रहेगी।'
पुरानी कर प्रणाली के तहत अधिकतम कर लाभ संभव
पुरानी प्रणाली का मुख्य लाभ यह है कि कर्मचारी के वेतन का ढांचा इस तरह से तैयार किया जा सकता है कि वह अधिकतम आय कटौतियां हासिल कर सके और कर बचा सके। किराये पर रहने वाले लोगों को मकान किराया भत्ता (एचआरए) के तहत आय कटौती मिलती है। बहुत से करदाता चार साल में दो बार अपने परिवार के साथ यात्रा पर जाते हैं ताकि लीव ट्रैवल अलाउंस (एलटीए) हासिल किया जा सके। पुरानी कर प्रणाली बचत एवं निवेश की संस्कृति कायम करने में मददगार है। क्लियरटैक्स के संस्थापक और मुख्य कार्याधिकारी अर्चित गुप्ता ने कहा, 'लोग पीपीएफ जैसी योजनाओं में निवेश करके कर बचत को लंबी अवधि के लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए कोष बनाने से जोड़ देते हैं।'
दूसरी ओर पुरानी कर प्रणाली ज्यादा जटिल है और इसके तहत उपलब्ध लाभों को ज्यादा से ज्यादा करने के लिए कुछ समझ होनी जरूरी है। यह पहले ही बताया जा चुका है कि कर बचत वाली योजनाओं में लॉक-इन होता है। सुराणा ने कहा, 'वरिष्ठ नागरिकों जैसे लोग अपने हाथ में पैसा रखने को तरजीह दे सकते हैं।' पुरानी कर प्रणाली में यदि करदाता को कर अधिकारियों द्वारा आकलन प्रक्रिया के लिए बुलाया जाता है तो उन्हें निवेश के सबूत रखने पड़ते हैं।
आपको क्या करना चाहिए?
दोनों ही प्रणालियों की अपनी-अपनी खूबियां हैं। ऐसे युवा करदाता, जो कर बचत वाली योजनाओं में निवेश के झंझट से बचना चाहते हैं और अपने हाथ में ज्यादा पैसा चाहते हैं, वे नई कर प्रणाली को अपना सकते हैं। अन्य सभी को कोई विकल्प चुनने से पहले सावधानीपूर्वक आकलन करना चाहिए। गुप्ता ने कहा, 'हमारा विश्लेषण दर्शाता है कि करदाताओं के लिए विभिन्न आयकर स्तरों पर विभिन्न सीमाएं या ब्रेक ईवन पॉइंट हैं। अगर वे इन स्तरों को पार करते हैं तो पुरानी कर प्रणाली पर बने रहना ज्यादा उचित होगा।'
वरिष्ठ नागरिकों और अति वरिष्ठ नागरिकों को पुरानी कर प्रणाली के तहत क्रमश: तीन लाख रुपये और पांच लाख रुपये पर अधिक छूट मिलती है। उन्हें अन्य बहुत सी कटौतियों का लाभ मिलता है, जिनमें धारा 80सी, धारा 80डी (स्वास्थ्य बीमा पर 30,000 रुपये), धारा 80 टीटीबी (ब्याज आय पर 50,000 रुपये) आदि शामिल हैं। उन्हें दोनों कर प्रणालियों में से किसी एक को चुनने से पहले अपनी स्थिति का सावधानीपूर्वक आकलन करना चाहिए। तार्किक और आंकड़ों पर आधारित विकल्प चुनने के लिए आयकर विभाग के कैलकुलेटर का इस्तेमाल करें।
आखिर में यह बात याद रखें कि एक बार किसी प्रणाली को चुनने के बाद व्यक्तिगत करदाता के लिए उसी में बने रहना जरूरी नहीं है। वे हर साल किसी भी प्रणाली को अपना सकते हैं। लेकिन जिन लोगों की कारोबारी या पेशेवर आय है, उन्हें किसी एक को चुनना होगा और उसी में बने रहना होगा।
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