अगर झटके नहीं लगे तो बाजार अच्छा प्रदर्शन करेगा | पुनीत वाधवा / March 01, 2020 | | | | |
बाजार के लिए 2020 अब तक आकर्षक रहा है। हीलियस कैपिटल के संस्थापक एवं फंड प्रबंधक समीर अरोड़ा ने पुनीत वाधवा के साथ साक्षात्कार में बताया कि भविष्य में वोडाफोन आइडिया के दिवालिया होने जैसे झटके न लगें, तो इक्विटी बाजार फिर से अच्छा प्रदर्शन कर सकता है। पेश है बातचीत के अंश:
अगले 6 महीनों में बाजार की चाल कैसी रहेगी?
बाजार अभी उचित स्तर पर दिख रहा है। प्रमुख सूचकांकों ने पिछले दो वर्षों से दमदार प्रदर्शन नहीं किया है, लेकिन ऐसा लगता है कि बाजार उन शेयरों के लिहाज से दायरा बढ़ा रहे हैं, जो हाल के वर्षों में तुलनात्मक रूप से अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं। व्यावसायिक परिदृश्य सुधारने के लिए उठाए गए सरकारी कदमों से असंगठित और छोटे व्यवसाय प्रभावित हुए हैं। नोटबंदी से छोटी कंपनियां प्रभावित हुई हैं। इन कंपनियों की बिक्री/लागत/ कार्यशील पूंजी व्यवस्था नकदी पर आधारित रही है। इसी तरह वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) से छोटी कंपनियों के लिए कर चोरी करना मुश्किल हुआ है, क्योंकि बड़ी कंपनियां पहले से ही करों के प्रति सजग बनी हुई हैं। रियल एस्टेट (रेग्युलेशन ऐंड डेवलपमेंट) ऐक्ट, यानी रेरा से छोटे डेवलपर प्रभावित हुए हैं, क्योंकि समय पर परियोजना पूरी करने को लेकर उनकी क्षमता पर लोगों का भरोसा कमजोर हुआ है। इसके अलावा 2017 में मिड- और स्मॉल-कैप शेयरों में भारी तेजी बेहतर परिदृश्य पर नहीं बल्कि म्युचुअल फंडों में घरेलू पूंजी प्रवाह में वृद्घि की वजह से आई थी। यदि आगामी झटके (वोडाफोन आइडिया के दिवालिया होने जैसे) न लगें, तो इक्विटी बाजार फिर से अच्छा प्रदर्शन कर सकता है।
क्या कोरोनावायरस का खतरा घट रहा है या अभी बिकवाली का एक और दौर आ सकता है?
मौजूदा समय में ऐसा लग रहा है कि बाजार कोरोनावायरस के प्रभाव को समझ चुका है और बाजार में किसी तरह की अनिश्चितता या बड़ा जोखिम पैदा नहीं हुआ है। सामान्य तौर पर, आप बाजार में इस समय गिरावट की आशंका जता सकते हैं और समस्या घटने से सुधार देख सकते हैं। लेकिन आज के परिवेश में, बाजार अंतरिम नकारात्मक स्थिति की चिंता किए बगैर सकारात्मक परिदृश्य की ओर बढ़ सकते हैं। बाजारों द्वारा स्थिति के इस विश्लेषण का मतलब है कि वह कोरोनावायरस के शुरुआती चरण पर दांव लगा रहे हैं।
क्या आप मानते हैं कि चीन में कोरोनावायरस फैलने से भारत को कोई मदद मिलेगी?
यदि निवेशक और कंपनियां यह निर्णय लेती हैं कि उन्हें अपना ज्यादातर निवेश चीन में नहीं करना चाहिए और सुरक्षा के लिहाज से भारत पर जोर देना चाहिए, तो भारत को कुछ फायदा हो सकता है। नई कंपनियों के लिए कॉरपोरेट करों में कटौती कर सरकार ने अमेरिका-चीन व्यापारिक टकराव के दौर में वैश्विक कंपनियों को आकर्षित करने की दिशा में नई शुरुआत की। कोरोनावायरस से इन निर्णयों को मजबूत बनाने में मदद मिल सकती है।
विदेशी निवेशक भारत को किस नजरिये से देख रहे हैं?
विदेशी पूंजी प्रवाह के लिहाज से पिछला वर्ष भारत के लिए अच्छा रहा, भले ही बाजार ने अपने प्रतिस्पर्धियों की तुलना में काफी हद तक कमजोर प्रदर्शन किया। एक स्तर पर, भारत वैश्विक, उभरते और एशियाई बाजारों में आने वाले प्रवाह का हिस्सा है और उसे उसकी उचित हिस्सेदारी मिलेगी। लेकिन इसके लिए हमें बड़ा प्रवाह आकर्षित करने और लगातार काम करने की जरूरत होगी।
क्या कॉरपोरेट करों में कटौती से अर्थव्यवस्था को मदद मिलेगी?
इस कर कटौती से उद्योगों का भरोसा बढ़ा है और साथ ही संकेत मिला है कि सरकार ने कॉरपोरेट सेहत पर ध्यान दिया है। मेरा मानना था कि सरकार उपभोक्ताओं को कर रियायत का लाभ देगी, लेकिन धीमी जीडीपी वृद्घि और राजकोषीय चुनौतियों के कारण सरकार के फिलहाल इस दिशा में आगे बढऩे की कम ही गुंजाइश है।
क्या 2020 मिड- और स्मॉल-कैप का वर्ष हो सकता है?
मिड- और स्मॉल-कैप शेयरों ने पिछले दो वर्षों के दौरान कमजोर प्रदर्शन किया है। इसलिए यह तर्क उचित है कि इन शेयरों का समय जल्द आएगा। दूसरी तरफ, 2017 में इन शेयरों में तेजी को पूरी तरह उचित नहीं ठहराया जा सकता, क्योंकि यह तेजी नोटबंदी के बाद घरेलू म्युचुअल फंडों में भारी प्रवाह से आई। कुल मिलाकर सभी सेगमेंट के फंडों में अपने निवेश को डावर्सिफाई करें और बेहतर परिदृश्य की उम्मीद रखें।
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