एसबीआई शेयर को लेकर उत्साह बरकरार मगर चुनौतियां भी कम नहीं | हंसिनी कार्तिक / March 01, 2020 | | | | |
ऐसे समय में जब निवेशक सरकार नियंत्रित इकाइयों के शेयरों पर दांव लगाने से कन्नी काट रहे हैं, भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) एक अपवाद साबित हुआ है। सरकारी बैंकों में एसबीआई का शेयर निवेशकों की पहली पसंद बन गया है। वास्तव में ब्लूमबर्ग ने 54 विश्लेषकों से बात की, जिनमें 51 (94 प्रतिशत) ने शेयर पर दांव लगाने की सिफारिश की। इससे पहले 2005 में 92 प्रतिशत विश्लेषकों ने एसबीआई पर दांव लगाया था। दूसरे शब्दों में कहें तो एसबीआई शेयर को लेकर निवेशकों का उत्साह उस स्तर पर जा पहुंचा है, जो पहले कभी नहीं दिखा था। हालांकि, इसके साथ ही निवेशकों के मन में यह सवाल भी उठ रहा है कि मौजूदा कमजोर हालात में शेयर अपनी रफ्तार कायम रखने में कितना सफल रह पाएगा।
चालू वित्त वर्ष के शुरू से ही हालात एसबीआई के पक्ष में दिखने शुरू हो गए थे। दिसंबर तिमाही के परिणाम ने निवेशकों का विश्वास इस शेयर को लेकर और पुख्ता कर दिया। इस अवधि में बैंक का सकल एवं शुद्ध गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (एनपीए) अनुपात 6.94 प्रतिशत और 2.65 प्रतिशत के निचले स्तर पर आ गया। प्रावधान के मद में रकम घटने से घरेलू शुद्ध ब्याज मार्जिन इस दौरान सालाना आधार पर 70 आधार अंक की बढ़ोतरी के साथ 3.6 प्रतिशत हो गया और मुनाफा वित्त वर्ष 2016 के बाद से सर्वोच्च स्तर पर पहुंच गया।
ऋण आवंटन में वृद्धि के आंकड़े 7.4 प्रतिशत के साथ भले ही उत्साहवद्र्धक नहीं लग रहे हैं, लेकिन सालाना आधार पर खुदरा ऋण आवंटन 17.5 प्रतिशत के स्तर पर शानदार रहा है। इतना ही नहीं, तीसरी तिमाही में कुल ऋण आवंटन में खुदरा ऋण की हिस्सेदारी करीब 60 प्रतिशत के साथ सर्वोच्च स्तर पर रही। कहा जा सकता है कि तीसरी तिमाही में एस्सार स्टील से 12,000 करोड़ रुपये की वसूली से खासी राहत मिली, लेकिन इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि एसबीआई ने तीसरी तिमाही में बेहतरीन प्रयास किए हैं।
हालांकि बैंक के लिए कुछ नई चिंताए भी हैं। अगर दीवान हाउिसंग के कारण एसबीआई को 16,500 करोड़ रुपये का प्रावधान नहीं करना होता तो तीसरी तिमाही के आंकड़े और भी अच्छे होते। कुल मिलाकर ऋण के एनपीए में तब्दील होने की दर दूसरी तिमाही के 1.71 प्रतिशत से बढ़कर 3.75 हो गई। दूरसंचार कंपनियों को आवंटित ऋण भी चिंता का सबब बन सकता है। जे पी मॉर्गन के विश्लेषकों के अनुसार वोडाफोन आइडिया को आवंटित 16,000 करोड़ रुपये परेशानी पैदा कर सकता है। जेपी मॉर्गन के अनुसार एसबीआई शेयर को दी गई 'खरीद' रेटिंग के लिए यह सबसे बड़ा खतरा है। इस बीच, आर्थिक हालात में सुधार के संकेत नहीं मिलने से एसबीआई के लिए आने वाले समय में परेशानी बढ़ सकती है। इसकी वजह यह है कि देश में ज्यादातर कंपनियों को उसने कर्ज दे रखा है। कोटक इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज के विश्लेषकों का कहना है कि आकर्षक मूल्यांकन के बावजूद बाहरी कारकों से चुनौतियां बरकरार हैं। विश्लेषकों का कहना है, 'निवेशकों की सतर्कता समझी जा सकती है। हमें उम्मीद है कि इन सभी चुनौतियों से समय से पहले निपट लिया जाएगा।'
एसबीआई को बाजार से खासा समर्थन मिल रहा है। इसकी बड़ी वजह यह है कि बैंक ने अपने ऊपर दबाव काफी हद तक कम कर लिया है। अब उसे एनपीए नियंत्रित करने के लक्ष्य पर टिके रहना चाहिए। एनपीए बढऩे की हालत में इस शेयर को लेकर निवेशकों की धारणा प्रभावित हो सकती है।
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