नैशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल की तरफ से मूल कंपनी व सहायक कंपनियों की समाधान योजना के एकीकरण के फैसले के बाद लवासा कॉरपोरेशन लिमिटेड के लेनदारों ने इस कंपनी और 49 सहायक फर्मों के लिए दोबारा बोली मंगाने का निर्णय लिया है। लवासा पुणे के पास निर्माणाधीन पर्वतीय शहर है। लवासा और उसकी सहायक फर्मों पर संयुक्त रूप से करीब 7,700 करोड़ रुपये का कर्ज है, ऐसे में बैंकों ने कर्ज समाधान के लिए अगस्त 2018 में कंपनी को एनसीएलटी में घसीट लिया। एक सूत्र ने कहा, लवासा के पिछले बोलीदाताओं के पास लवासा और उसकी सहायक फर्मों को एक साथ खरीदने की वित्तीय क्षमता शायद नहीं होगी, ऐसे में लेनदारों ने बुनियादी ढांचे के साथ पूरे पर्वतीय शहर में दिलचस्पी रखने वालों से नई बोली मंगाने का फैसला लिया है। कई कंपनियों ने लवासा के लिए एकल इकाई के तौर पर अपनी-अपनी पेशकश जमा कराई है। इनमें दिल्ली की हल्दीराम स्नैक्स प्राइवेट लिमिटेड, पुणे के बिल्डर अनिरुद्ध देशपांडे और यूवी ऐसेट रीकंस्ट्रक्शन कंपनी (यूवी एआरसी) शामिल है। बाद में ओबेरॉय रियल्टी व अमेरिका की फंड इंटरप्स इंक भी इस दौड़ में शामिल हो गई। मूल रूप से एचसीसी ने लवासा कॉरपोरेशन की स्थापना पुणे में साल 2000 में की थी, लेकिन पर्यावरण मंत्रालय की तरफ से साल 2010 में परियोजना के लिए कार्य आदेश जारी करने पर रोक के बाद उसने बैंक के कर्ज भुगतान में चूक की। तब से यह भुतहा शहर बन गया है और सप्ताहांत में कुछ पर्यटक इस जगह को देखने आते हैं। घर खरीदने वाले कई लोग या तो अपने मकान के पजेशन की प्रतीक्षा कर रहे हैं और जिन्हें पजेशन मिल गया है वे वहां से बाहर निकल गए हैं। एनसीएलटी में सुनवाई के दौरान लवासा के रिजॉल्यूशन प्रोफेशनल ने कहा कि कुछ बोलीदाताओं ने लवासा कॉरपोरेशन के 6,200 करोड़ रुपये के एकल कर्ज के समाधान के बजाय लवासा की सभी कंपनियोंं के कर्ज समाधान का प्रस्ताव रखा था। हालांकि रिजॉल्यूशन प्रोफेशनल ने अदालत को सूचित किया कि इन शर्तों पर फैसला लेने का अधिकार लवासा के पास नहीं है क्योंंकि अलग-अलग बैंकरों के साथ कई अन्य कानूनी इकाइयां हैं। अदालत को यह भी बताया गया कि मूल कंपनी लवासा के साथ सहजीवी संबंध है, ऐसे में इन सहायक कंपनियों में से कई अपने राजस्व का स्रोत खो देंगे, इसलिए इन सभी के लिए समाधान योजना केएकीकरण का मतलब बनता है। ये कंपनियां लवासा को कैप्टिव पावर देने के अलावा आधारभूत परिवहन का परिचालन कर रही हैं, कन्वेंशन सेंटर का परिचालन व रखरखाव कर रही हैं और लवासा कॉरपोरेशन की इमारतों के भीतर खुदरा परिचालन भी कर रही हैं। एक अलग कंपनी लक्जरी होटल का परिचालन कर रही है। ऐसे में अदालत का मानना था कि इन कंपनियों के जुड़ाव को देखते हुए लवासा कॉरपोरेशन को परिचालन में बनाए रखना अहम है ताकि सभी कंपनियों के लिए अधिकतम कीमत हासिल हो सके। ऐसे में सभी बोलीदाताओं के लिए इन कंपनियों के लिए एक पेशकश के जरिए बोली लगाना अहम होगा। अदालत ने कहा, दिलचस्प रूप से पिछले तीन बोलीदाताओं ने समाधान योजना के पूर्व शर्त के तौर पर एकीकरण की बात कही थी। इसलिए एकल आधार पर इन कंपनियों के लिए समाधान योजना की खोज मुश्किल होगी। हालांकि अगर लवासा कॉरपोरेशन की सभी कंपनियों का समाधान एकीकृत आधार पर किया जाए तो समाधान के जरिए अधिकतम कीमत हासिल की जा सकती है।
