नए मार्ग से बचेगा वक्त | शाइन जैकब / नई दिल्ली February 26, 2020 | | | | |
भारत और रूस के बीच परिवहन के समय को 50 दिनों से घटाकर 25 दिन पर लाने के लिए कंटेनर कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (कॉनकॉर) इस साल से अंतरराष्टï्रीय उत्तर दक्षिण परिवहन गलियारे (आईएनएसटीसी) का इस्तेमाल शुरू करेगी। इससे परिवहन लागत में भी कम से कम 30 फीसदी की कटौती होने के आसार हैं। कॉनकॉर के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक (सीएमडी) वी कल्याण रामा ने कहा, 'तीन महीने के भीतर यहा मार्ग परिचालित हो जाएगा और दोनों देशों के आयातक और निर्यातक इसका इस्तेमाल करने में सक्षम होंगे। दवाओं, लहसुन, मसाले और चाय सहित भारत से बहुत सारे सामानों की रूस में भारी मांग रहती है।'
कॉनकॉर और रूस की रेलवे कंटेनर परिवहन सहायक इकाई आरजेडडी लॉजिस्टिक्स जेएससी ने मंगलवार की शाम को एक सेवा समझौते पर हस्ताक्षर किए। इस समझौते के जरिये एक ही इनवॉइस पर भारत और रूस के बीच कार्गो का परिवहन किया जा सकेगा। गत वर्ष इस संबंध में एक समझौता ज्ञापन पर भी हस्ताक्षर किया गया था। सेवा समझौते से एक ही इनवॉइस के जरिये दोनों तरफ से कार्गो का परिवहन किया जा सकेगा। आईएनएसटीसी जहाज, रेल और सड़क मार्ग का 7,200 किलोमीटर लंबा एक मल्टीमोडल नेटवर्क है जो भारत, ईरान, अफगानिस्तान, आर्मीनिया, अजरबैजान, रूस, मध्य एशिया और यूरोप से गुजरता है।
आरजेडडी के एक अधिकारी ने कहा ईरान पर अमेरिकी प्रतिबंधों का इस मार्ग पर असर नहीं होगा और इस मार्ग में शामिल देशों की ओर से संबंधित बैंकों और बीमाकर्ताओं की चिंताओं का समाधान किया गया है। आरजेडडी के अधिकारी ने कहा, 'हमने अपने भारतीय ग्राहकों और बैंकरों की चिंताओं का खयाल रखा है। आईएनएसटीसी के जरिये परिवहन का समय परंपरागत मार्ग की तुलना में आधी रह जाएगी।' हालांकि, एक भारतीय अधिकारी ने कहा कि चाबहार बंदरगाह और बांदर अब्बास के रास्ते आएनएसटीसी के मार्ग पर अभी भी लागत और पारगमन संबंधी कुछ मसले हैं। भारत ईरान में चाबहार बंदरगाह का परिचालन कर रहा है जो इस गलियारे पर पड़ता है।
अनुमानों के मुताबिक परिवहन की जो मौजूदा लागत 4,900 डॉलर प्रति टीईयू बैठ रही है वह नए मार्ग का इस्तेमाल शुरू करने से घटकर 3,400 डॉलर प्रति टीईयू रह जाएगी। भारत से निर्यात किए जाने वाले प्रमुख सामानों में दवाइयां, कल पुर्जे, ब्यॉलर, जैविक रसायन, कॉफी, चाय और मसाले शामिल हैं। जबकि आयात किए जाने वाले प्रमुख सामान रक्षा उपकरण, मोती, अधिक और कम मूल्यवान पत्थर, बहुमूल्य धातु, खनिज ईंधन, उर्वरक, लोहा, इस्पात तथा कागज हैं। स्वेज नहर के रास्ते सेंट पीट्ïसबर्ग को जाने वाली मौजूदा मार्ग की लंबाई 10,000 समुद्री मील है। भारत व्लादिवोस्तोक के रास्ते भी दोनों देशों को जोडऩे के लिए एक अलग समुद्री मार्ग निकालने में जुटा है जिससे परिवहन की अवधि करीब 20 दिन की रह जाएगी। विदेश मंत्रालय के एक वरिष्ठï अधिकारी ने बिजनेस स्टैंडर्ड से कहा कि दोनों देशों के व्यापार की अवधि में कमी लाने के लिए कई योजनाओं पर काम हो रहा है।
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