दिल्ली में कानून व्यवस्था की चिंताजनक स्थिति को लेकर उच्च न्यायालय ने सरकार को स्पष्ट दिशानिर्देश दिए वहीं हिंसा प्रभावित इलाकों में निजी स्तर पर जमीनी हालात का मुआयना करने के बाद राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल ने बुधवार सुबह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली सुरक्षा पर मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीएस) को सांप्रदायिक दंगे के शिकार हुए इलाकों की स्थिति के बारे में अवगत कराया। इसके अलावा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शांति बनाए रखने की अपील की जिसके बाद अब हिंसाग्रस्त इलाके में स्थिति फिलहाल थोड़ी नियंत्रण में दिख रही है। केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ), सहस्त्र सीमा बल (एसएसबी) जिसे आमतौर पर भारत-नेपाल सीमा पर तैनात किया जाता है और भारत-तिब्बत सीमा बल (आईटीबीपी) जैसे सुरक्षा बलों ने दंगा प्रभावित क्षेत्रों में फ्लैग मार्च किया और निवासियों को घर में रहने के निर्देश दिए गए। दिल्ली में दंगों के कारण अब तक करीब 22 लोगों की मौत हो चुकी है जिनमें एक खुफिया ब्यूरो (आईबी) के एक अधिकारी की मौत भी शामिल है। हिंसाग्रस्त इलाके में कई परिवारों ने दोबारा हिंसा छिडऩे के डर से स्थिति के सामान्य होने तक अपने घर को बंद कर दूसरी जगह चले गए हैं। हिंसाग्रस्त इलाकों का जायजा लेने से यह अंदाजा मिलता है कि दंगे में कुछ चुनिंदा दुकानों और प्रतिष्ठानों पर हमला किया गया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोगों से शांति और भाइचारा बनाए रखने की अपील करते हुए कहा कि वे कानून को अपने हाथों में न लें। हालांकि दिल्ली उच्च न्यायालय ने सरकार को कई दिशानिर्देश जारी करते हुए कहा कि दंगे में मारे गए मृतकों का अंतिम संस्कार करते वक्त पूरी गरिमा बनाए रखी जाए, हिंसाग्रस्त इलाके में निवासियों को जेड प्लस श्रेणी की सुरक्षा मुहैया कराने के साथ ही कई बार चौबीस घंटे पीडि़तों को टेलीफोन हेल्पलाइन की सुविधा और पर्याप्त निगरानी का इंतजाम किया जाए। अदालत ने सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता से कहा कि वे नफरत फैलाने वाले भाषणों के वीडियो सुनें। इसके अलावा अदालत ने दिल्ली पुलिस से शुक्रवार तक केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर, सांसद प्रवेश शर्मा, भाजपा नेता कपिल मिश्रा और दिल्ली के भाजपा विधायक अभय वर्मा के उन भाषणों का संज्ञान लेने के लिए कहा जिसे उन्होंने पिछले कुछ हफ्ते के दौरान दिए हैं और आवश्यक होने पर भड़काऊ भाषण देने के मामले में उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराने को भी कहा। न्यायमूर्ति एस मुरलीधर और न्यायमूर्ति अनूप जयराम भम्भानी के एक खंडपीठ ने राज्य और केंद्र सरकार के प्रभावशाली लोगों को पीडि़तों और उनके परिवारों से निजी तौर पर मुलाकात करने के लिए कहा। पीठ ने कहा, 'हम एक और 1984 (सिख विरोधी दंगे) की इजाजत नहीं दे सकते। खासकर अदालत और आपकी (दिल्ली पुलिस) की निगरानी में।' अदालत ने खुफिया ब्यूरो के एक अधिकारी की उत्तर पूर्वी दिल्ली में हुई हिंसा में मारे जाने की खबरों पर चिंता जताते हुए इसे दुर्भाग्यपूर्ण बताया। अदालत ने कहा कि पीडि़तों की मदद के लिए हेल्पलाइन डेस्क बनाए जाएं और पीडि़तों को सुरक्षित अस्पताल ले लाने के लिए प्राइवेट एंबुलेंस का इंतजाम किया जाना चाहिए। दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा कि इस वक्त लोगों के बीच पहुंचकर उन्हें आश्वस्त करना जरूरी है और यह जितनी जल्दी संभव हो किया जाना चाहिए। अदालत ने पीडि़तों को रखने के लिए आश्रय स्थल बनाने के साथ-साथ कंबल, दवाइयां, खाना और शौचालय से जुड़ी जरूरी सुविधाएं देने का निर्देश दिया। अदालत ने कहा कि रात्रि शिविर और सामुदायिक हॉल का इस्तेमाल भी इस काम के लिए किया जा सकता है। शीर्ष अदालत ने की पुलिस की खिंचाई उच्चतम न्यायालय ने उत्तर पूर्वी दिल्ली में हिंसा पर पेशेवर तरीके से रोक लगाने में विफल रहने के लिए पुलिस की बुधवार को खिंचाई की। हालांकि, न्यायालय ने नए संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के मुद्दे पर हुए दंगों से संबंधित याचिकाओं पर विचार करने से इनकार कर दिया। शीर्ष अदालत ने कहा, 'अगर कोई भड़काऊबयान देता है तो पुलिस को कार्रवाई करनी चाहिए।'न्यायालय ने यद्यपि हिंसा से संबंधित आवेदनों पर विचार नहीं किया लेकिन कहा कि शाहीन बाग में प्रदर्शन से संबंधित मामलों पर सुनवाई के लिए सौहार्दपूर्ण वातावरण की जरूरत है। न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति के एम जोसेफ के पीठ ने कहा कि वह हिंसा से जुड़़ी याचिकाओं पर विचार कर शाहीन बाग प्रदर्शनों के संबंध में दायर की गई याचिकाओं का दायरा नहीं बढ़ाएगी। पीठ ने मामले पर अगली सुनवाई के लिए 23 मार्च की तारीख तय करते हुए कहा कि शाहीन बाग मुद्दे पर सुनवाई से पहले उदारता और स्थिति के शांत होने की जरूरत है। अदालत ने कहा कि शाहीन बाग के प्रदर्शनकारियों को विरोध प्रदर्शन का अधिकार है लेकिन वे सड़क को बाधित नहीं कर सकते। शीर्ष अदालत ने कहा कि उसने प्रदर्शनकारियों को समझाने के लिए वार्ताकारों की नियुक्ति के जरिये परंपरा से हटकर समाधान निकालने का प्रयास किया। अमित शाह दें इस्तीफा: सोनिया कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हिंसा को सुनियोजित षड्यंत्र का नतीजा बताते हुए इसके लिए केंद्र सरकार को जिम्मेदार ठहराते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के इस्तीफे की मांग की। कांग्रेस कार्यसमिति (सीडब्ल्यूसी) की बैठक में दिल्ली के हालात पर चर्चा की गई। बैठक के बाद मीडिया से रूबरू हुईं सोनिया गांधी ने केंद्र, गृह मंत्री और दिल्ली सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने दावा किया कि भाजपा के कई नेताओं ने बयान से डर एवं नफरत का माहौल पैदा किया।। सोनिया ने सीडब्ल्यूसी में पारित प्रस्ताव पढ़ा जिसमें दावा किया गया है कि दिल्ली सरकार भी शांति-सद्भाव बनाए रखने में नाकाम रही तथा केंद्र व राज्य सरकारों की जिम्मेदारी निभाने में विफलता के कारण देश की राजधानी इस त्रासदी का शिकार बनी है। उन्होंने कहा कि सरकार को शांति बहाली और पीडि़तों के जख्मों पर मरहम लगाने का काम करना चाहिए। उन्होंने कहा कि अटल बिहारी वाजपेयी भी प्रधानमंत्री रहते हुए ऐसी परिस्थितियों में सर्वदलीय बैठकें बुलाते थे पर दुर्भाग्य से इस सरकार में ऐसा नहीं हो रहा। सीडब्ल्यूसी में सवाल किया गया, 'पिछले रविवार से देश के गृहमंत्री और दिल्ली के मुख्यमंत्री कहां थे और क्या कर रहे थे? खुफिया एजेंसियों की जानकारी पर क्या कार्रवाई हुई? जब हालात बेकाबू हो गए थे व पुलिस का नियंत्रण नहीं था तब ऐसे में और केंद्रीय अर्धसैनिक बलों को क्यों नहीं बुलाया गया?'
