केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 1,480 करोड़ रुपये के राष्ट्रीय तकनीकी कपड़ा मिशन को आज मंजूरी प्रदान की। चार वर्षीय यह मिशन वर्ष 2020-21 से 2023-24 के दौरान क्रियान्वित किया जाना है। तकनीकी कपड़ा अत्याधुनिक कपड़े का वह खंड है जिसे अनुप्रयोगों के बड़े दायरे में इस्तेमाल किया जाता है। जैसे कृषि, सड़क, रेल पटरी, बुलेटप्रूफ और अग्निरोधी जैकेट तथा अत्यधिक ऊंचाई पर सैनिकों द्वारा पहने जाने वाले वस्त्र आदि। इस मिशन का मकसद चिकित्सा और सैन्य जैसे विशिष्ट क्षेत्रों में प्रयुक्त तकनीकी कपड़े तैयार करने वाले उद्योग में भारत को वैश्विक स्तर पर शीर्ष स्थान पर पहुंचाना है। भारतीय तकनीकी कपड़ा खंड का आकार अनुमानित रूप से 16 अरब डॉलर या 250 अरब डॉलर वाले वैश्विक बाजार का छह प्रतिशत है। सरकार के अनुसार भारत में तकनीकी कपड़े की पैठ का स्तर कम है। यह पांच से 10 प्रतिशत के दायरे में है, जबकि विकसित देशों में यह स्तर 30 से 70 प्रतिशत है। इस मिशन के तहत वार्षिक औसत वृद्धि दर का लक्ष्य 15 से 20 प्रतिशत और वर्ष 2024 तक घरेलू बाजार का आकार 40 से 50 अरब डॉलर रखा गया है। तकनीकी कपड़ों का निर्यात मौजूदा करीब 14,000 करोड़ रुपये से बढ़ाकर वर्ष 2021-22 तक 20,000 करोड़ रुपये करने पर जोर दिया गया है। इसके साथ ही वर्ष 2023-24 तक निर्यात में सालाना 10 प्रतिशत औसत वृद्धि सुनिश्चित की जानी है। इस क्षेत्र में प्रभावी समन्वय और संवर्धन गतिविधियों के लिए तकनीकी कपड़ा निर्यात संवर्धन परिषद का गठन किया जाएगा। इस मिशन के तहत तकनीकी कपड़ा क्षेत्र में 50,000 लोगों के कौशल विकास के लिए व्यवस्था की गई है। नौ मंत्रालयों में तकनीकी कपड़ों और 92 उत्पादों का प्रयोग अनिवार्य किया गया है। उम्मीद जताई जा रही है कि प्रौद्योगिकी और सरकार के प्रयासों के साथ खास तौर पर सूक्ष्म, लघु एवं मध्य उद्यमों (एमएसएमई) तथा तकनीकी कपड़ा क्षेत्र में प्रौद्योगिकीविदों के लिए नया भविष्य नजर आएगा। इससे भारत रक्षा और एयरोस्पेस जैसे रणनीतिक क्षेत्रों में आत्मनिर्भर होगा। इसके अलावा कृषि, मत्स्य पालन, डेयरी, पोल्ट्री, जलजीवन मिशन, स्वच्छ भारत मिशन, आयुष्मान भारत में तकनीकी कपड़ों के उपयोग से लागत में सुधार आएगा और पानी तथा मृदा संरक्षण बेहतर होगा। इससे कृषि उत्पादकता और प्रति हैक्टेयर किसानों की आय में भी इजाफा होने की उम्मीद है।
