पीरामल एंटरप्राइजेज पर थोक ऋणों से पड़ रहा दबाव | हंसिनी कार्तिक / February 23, 2020 | | | | |
कैलेंडर वर्ष 2019 में पीरामल एंटरप्राइजेज का शेयर करीब 30 प्रतिशत लुढ़का और 2018 के मुकाबले इसका कारोबार लगभग सपाट रहा। हालांकि 1,531 रुपये पर इसका मूल्यांकन वित्त वर्ष 2021 के अनुमानित खाते के 1.1 गुना स्तर पर किया गया है, जो खासा आकर्षक है। अब सवाल यह है कि क्या यह खाते की गुणवत्ता को उचित तरीके से दर्शा पा रहा है। मिसाल के तौर पर 31 दिसंबर, 2019 तक इसके खाते में कुछ आवंटित ऋणों में थोक ऋण की हिस्सेदारी करीब 70 प्रतिशत थी, जबकि 47 प्रतिशत आवंटन थोक आवासीय रियल एस्टेट परियोजनाओं और 23 प्रतिशत थोक वाणिज्यिक रियल एस्टेट में किए गए थे। अपनी सूचीबद्ध प्रतिस्पद्र्धियों के मुकाबले मौजूदा परिस्थितियों के मद्देनजर पीरामल के ये आंकड़े सहज नहीं माने जा सकते हैं। इसकी प्रतिस्पद्र्धी कंपनियां थोक ऋणों में 25 प्रतिशत से नीचे परिचालन कर रही हैं।
पीरामल एंटरप्राइजेज के वित्तीय सेवा कारोबार की कंपनी के राजस्व में करीब आधी हिस्सेदारी है, लेकिन हाल में ही कंपनी ने नए शेयर जारी कर करीब 3,650 करोड़ रुपये जुटाए हैं। इन ऋ णों का असर परिसपंत्ति गुणवत्ता पर दिसंबर तिमाही में खास तौर पर दिखा। क्रमागत आधार पर तीसरी तिमाही में सकल गैर-निष्पादित परिसंपत्तियां (एनपीए) लगभग दोगुनी होकर 1.8 प्रतिशत हो गईं, जबकि कमजोर परिसंपत्तियों का अनुपात वित्त वर्ष 2020 की दूसरी तिमाही के 1.8 प्रतिशत से बढ़कर 2.1 प्रतिशत हो गया।
पीरामल एंटरप्राइजेज कई तरह के उपाय कर रही है। इनमें किसी एक खंड या एक ग्राहक को आवंटित ऋणों की मात्रा में कमी, सिक्योरिटाइजिंग कॉन्ट्रैक्ट्स में इजाफा और खुदरा खंड में उपस्थिति बढ़ाना शामिल है। हालांकि इन उपायों का असर कंपनी के ऋण खातों में दिखने में थोड़ा समय लग सकता है। उदाहरण के लिए कंपनी ने खुदरा ऋण की हिस्सेदारी दिसंबर 2018 में 7 प्रतिशत से बढ़ाकर वित्त वर्ष 2020 की तीसरी तिमाही में 12 प्रतिशत कर दी है। आवास ऋण के अलावा कंपनी कंज्यूमर फाइनैंस (उपभोक्ता ऋण ) कारोबार को भी मजबूत कर रही है। कंपनी की प्रतिस्पद्र्धी एचडीएफसी और एलआईसी हाउसिंग की खुदरा ऋण में क्रमश: 70 प्रतिशत और 80 प्रतिशत हिस्सेदारी है और इस लिहाज से पीरामल को इस खंड में उपस्थिति बढ़ाने के लिए काफी काम करना होगा। विश्लेषकों का कहना है कि इससे पीरामल एंटरप्राइजेज और एडलवाइस फाइनैंशियल सर्विसेस के शेयरों के प्रति निवेशकों के घटते रुझान को भी दर्शाता है। इन दोनों कंपनियों का ऋण खाता थोक कारोबार पर अधिक केंद्रित है। विश्लेषकों और प्रमुख ब्रोकरेज कंपनियों में पीरामल एंटरप्राइजेज के शेयर को लेकर अधिक उत्साह नहीं दिखा है। हालांकि मोतीलाल फाइनैंशियल सर्विसेस शेयर खरीदने की सलाह दे रही है।
येस सिक्योरिटीज के राजीव मेहता के अनुसार ढांचागत जोखिम शेयर कीमतों में पूरी तरह नहीं दिख रहे हैं। उन्होंने कहा कि कमजोर मांग और परिसंपत्ति गुणवत्ता को लेकर अनिश्चितता इन दोनों चुनौतियों की वजह से रियल एस्टेट खंड पर केंद्रित एनबीएफसी कंपनियों के प्रति जोखिम की धारणा कम नहीं हुई है। इसी वजह से पीरामल एंटरप्राइजेज के लिए रकम जुटाना महंगा साबित हो रहा है। तीसरी तिमाही में कंपनी के लिए कोष जुटाना 11 प्रतिशत तक महंगा हो गया, जो सितंबर तिमाही के स्तर के बराबर ही है। कंपनी फिलहाल बढ़ी लागत का बोझ थोक ग्राहकों पर लाद रही है, जिससे इसे तीसरी तिमाही में औसत प्राप्ति 14.9 प्रतिशत के स्तर पर स्थिर रखने में मदद मिली। हालांकि कंपनी यह स्तर आगे भी बरकरार रख पाएगी या नहीं इस बारे में कुछ कहा नहीं जा सकता है। निवेशकों के लिहाज से मूल्यांकन अपेक्षाकृत आकर्षक जरूर है, लेकिन जोखिम भी अधिक है। यह बात पर बाजार की नजर होगी कि आने वाली तिमाही में कंपनी का थोक ऋण किस दिशा मं आगे बढ़ता है।
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