ई-वसीयत किफायती विकल्प लेकिन हर किसी की जरूरत नहीं होगी पूरी | सर्वजित के सेन / February 23, 2020 | | | | |
अगर आपके पास संपत्तियां हैं, जिनके आपकी मृत्यु के बाद दावेदार होंगे तो एक वसीयत लिखना जरूरी हो जाता है। वसीयत में लाभार्थियों के नाम दिए जाएं और यह बताया जाए कि संपत्तियों का कैसे बंटवारा होना चाहिए। बहुत से लोग इस प्रक्रिया और कागजी कार्रवाई के डर से वसीयत लिखने से बचते हैं। हालांकि ई-वसीयत शुरू होने से वसीयत लिखना आसान हो गया है। ई-वसीयत लिखना किफायती और त्वरित विकल्प है, लेकिन इससे हर किसी की जरूरत पूरी नहीं होने के आसार हैं।
ऐसे में किसे ई-वसीयत का विकल्प चुनना चाहिए? यह उस व्यक्ति के लिए है, जिसके लिए वकील ढूंढना आसान नहीं है और उनकी सेवाएं लेना मुश्किल और महंगा है। टेरेंशिया कंसल्टेंट्स के संस्थापक और प्रबंध निदेशक संदीप नेरलेकर ने कहा, 'अगर संपत्तियां साफ-सुथरी हैं, उनमें कोई पेच नहीं है और न ही मुकदमेबाजी का डर है तो व्यक्ति ई-वसीयत के विकल्प के बारे में विचार कर सकता है। ऐसे कई सेवा प्रदाता हैं, जो ई-वसीयत लिखने की सुविधा देते हैं। इनमें प्रमुख विलजिनी डॉट कॉम, दिलसेविल, माई विल, टेरेंशिया कंसल्टेंट्स, एचडीएफसी सिक्योरिटीज और अवीवा लाइफ इंश्योरेंस शामिल हैं। इनहेरिटेंसनीड्स डॉट कॉम के संस्थापक रजत दत्ता ने कहा, 'संभावित वसीयतकर्ता को बुनियादी ब्योरे भरने पड़ते हैं, वसीयत का प्रकार चुनना पड़ता है और अग्रिम फीस का भुगतान करना होता है। ये पोर्टल मानक डेटा या सूचना फॉर्म रखते हैं, जिन्हें संभावित वसीयतकर्ता को भरना पड़ता है। उसके बाद उसे कुछ मानक सवालों का जवाब देना पड़ता है।' इस वसीयत की वकील समीक्षा करते हैं। अगर कोई बदलाव है तो यह वसीयतकर्ता के साथ चर्चा के बाद किया जाता है और फिर अंतिम वसीयत तैयार की जाती है।
अपनी तैयारी करें
ऑनलाइन वसीयत तैयार करने की प्रक्रिया शुरू करने से पहले आपको कुछ तैयारियां करनी होती हैं। अपनी सभी संपत्तियों की एक सूची तैयार रखें। इनमें रियल एस्टेट, कीमती चीजें और आभूषण जैसी भौतिक संपत्तियां शामिल होंगी। इसके साथ ही आपकी वित्तीय संपत्तियों की पूरी जानकारी रखें। लाभार्थियों की सूची भी तैयार होनी चाहिए। ऑनलाइन प्लेटफॉर्म को यह पता नहीं होगा कि आपके पास क्या है और आप किसे क्या देना चाहते हैं। इसके अलावा संपत्तियों पर अपने स्वामित्व को लेकर सुनिश्चित रहें। उदाहरण के लिए माना कि आप अपना घर अपने बड़े बेटे को देने का फैसला करते हैं। लेकिन असल में घर पर आपकी पत्नी और आपका स्वामित्व है। उस स्थिति में वसीयत होने के बावजूद घर में आपका हिस्सा ही आपके बड़े बेटे को मिल पाएगा। आप उस चीज को किसी व्यक्ति को नहीं दे सकते, जिस पर आपका मालिकाना हक नहीं है।
वसीयत में एक्जीक्यूटर का नाम लिखा जाना चाहिए। आपने जिस व्यक्ति को चुना है, उसे पहले ही इसके बारे में सूचित करें और उसकी मंजूरी लें। दस्तावेज की एक मुद्रित प्रति पर दो गवाहों के हस्ताक्षरों की जरूरत होगी। अगर संभव है तो वसीयत पर अपने चिकित्सक के हस्ताक्षर कराने की कोशिश करें ताकि वसीयत के समय आपकी मनोस्थिति को लेकर कोई सवाल नहीं उठा पाएगा। इसके अलावा वसीयत पर हस्ताक्षर करने की वीडियोग्राफी कराएं। वसीयत पर हस्ताक्षर होने के बाद इसे पंजीकृत कराएं। नेरलेकर ने कहा, 'वसीयत पर वसीयतकर्ता और दो गवाहों के हस्ताक्षर होने के बाद आपको इसे पंजीकृत कराना चाहिए। हालांकि पंजीकरण अनिवार्य नहीं है।'
वसीयतकर्ता पर निर्भर
ई-वसीयत जल्द और आसानी से तैयार की जा सकती है, लेकिन इसमें उल्लिखत सूचनाओं को लेकर सतर्क रहना चाहिए। सेवा प्रदाता को आपकी संपत्तियों के बारे में कुछ नहीं पता है। दत्ता ने कहा, 'सूचना एवं डेटा वसीयतकर्ता भरता और मुहैया करता है। इसमें मुहैया कराई गई सूचनाओं की कोई जांच-पड़ताल नहीं की जाती है। यह प्रक्रिया वसीयतकर्ता की भावना को पकडऩे के लिहाज से ज्यादा औपचारिक और कम संवादात्मक है। यह प्रारूप मानक वसीयतों का होता है, इसलिए विशेष बच्चों वाले माता-पिता, बिना बच्चों वाले परिजनों या बिना भाई-बहन वाले वसीयतकर्ता जैसी विशेष स्थितियों के लिए प्रावधान नहीं होते हैं।'
जटिलता पर निर्भर शुल्क
ई-वसीयत का शुल्क इस चीज पर निर्भर करता है कि आप सेवा प्रदाता से कितनी विशेषज्ञ मदद लेते हैं। बुनियादी ई-वसीयत 1,500 रुपये से शुरू होती है और यह 50,000 रुपये या उससे भी अधिक हो सकती है। अगर आप कॉल करने पर जानकारी दिए जाने की उम्मीद करते हैं तो लागत अधिक होने के आसार हैं। अगर आप वसीयत ऑफलाइन तैयार कराते हैं तो लागत और अधिक हो सकती है। नेरलेकर ने कहा, 'यह निश्चित रूप से एक सस्ता विकल्प है। अगर संपत्तियां अधिक, जटिल और कई खंडों से संबंधित हैं और मुकदमेबाजी के आसार हैं तो व्यक्ति को ऑफलाइन वसीयत के बारे में विचार करना चाहिए। अन्य सभी मामलों में ऑनलाइन वसीयत के बारे में भी विचार किया जा सकता है।' दत्ता का मानना है कि ऑनलाइन या ऑफलाइन वसीयत में से एक चुनते समय मुख्य मापदंड लागत नहीं होना चाहिए। दत्ता ने कहा, 'वसीयतकर्ता को यह फैसला लेना चाहिए कि क्या कीमत इतनी अहम है कि वह अपने परिवार की विरासत को लेकर कोई दांव लगा सकते हैं।'
वसीयत को करें अद्यतन
कई बार व्यक्ति वसीयत लिखते हैं, लेकिन उसे अद्यतन नहीं करते हैं। किसी भी वसीयत की समय-समय पर समीक्षा की जानी चाहिए। कोडिसिल के जरिये छोटे-मोटे बदलाव किए जा सकते हैं। अगर वसीयत में बड़े बदलावों की जरूरत है तो नई वसीयत लिखें। कई वसीयत होने की स्थिति में सबसे नई वसीयत को वैध माना जाएगा। वसीयत को किसी सुरक्षित जगह पर रखें। वसीयत के ब्योरों के बारे में परिवार के सदस्यों को बताने की जरूरत नहीं है, लेकिन उन्हें यह पता होना चाहिए कि यह कहां रखी है।
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