भारतीय इस्पात प्राधिकरण लिमिटेड (सेल) के भिलाई इस्पात संयंत्र में नई स्टील मेल्टिंग शॉप (एसएमएस) में कन्वर्टर-3 के चालू होने से रेल पटरियों के उत्पादन में भारी उछाल आने की संभावना है। इस कन्वर्टर को संयंत्र के आधुनिकीकरण और विस्तार कार्यक्रम के तहत बनाया गया है और इसकी सालाना क्षमता 40 लाख टन है। यह कच्चे इस्पात के उत्पादन के लिए अत्याधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित है। इसमें दो कन्वर्टर और दो बिलेट कैस्टर तथा एक ब्लूम कैस्टर सहित कुल तीन कैस्टर हैं। एसएमएस-3 में ढाले गए ब्लूम संयंत्र के यूनिवर्सल रेल मिल (यूआरएम) में बनाए जाने वाली 130 मीटर लंबी दुनिया की सबसे बड़ी रेल पटरियों के अनुकूल है। एसएमएस-3 में उत्पादन लगातार बढ़ रहा है। इसके दो कन्वर्टर पहले से काम कर रहे हैं और अब तीसरे के चालू होने से यूआरएम के लिए कास्ट ब्लूम की आपूर्ति बढ़ जाएगी। इससे पटरियों के उत्पादन में बढ़ोतरी हो सकती है। भिलाई इस्पात संयंत्र सेल की एक मात्र इकाई है, जहां रेल की पटरियों का उत्पादन होता है। साथ ही यह भारतीय रेलवे को पटरियों की आपूर्ति करने वाली एक मात्र इकाई है। सेल पिछले चार वर्षों तक रेलवे की मांग को पूरा नहीं कर पाई थी, लेकिन इस बार वह ऑर्डर पूरा करने के करीब है। भिलाई संयंत्र ने 21 जनवरी को 10 लाख टन रेल पटरियों के संयची उत्पादन को पार कर लिया था। भारतीय रेल ने चालू वित्त वर्ष में 13.5 लाख टन पटरियों का ऑर्डर दिया है। संयंत्र के अधिकारियों को उम्मीद है कि इस वर्ष भारतीय रेलवे को पटरियों की आपूर्ति का लक्ष्य पूरा होगा।
