विभाग भेज रहा 2 रु. वसूली के कर नोटिस | दिलाशा सेठ / नई दिल्ली February 20, 2020 | | | | |
कर विभाग की ओर से 2 रुपये का भुगतान करने का नोटिस भेजा जाना आपको भले ही अजीब लग सकता है लेकिन हाल के दिनों में कई कारोबारियों को इस तरह के नोटिस मिले हैं। असल में, वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) रिटर्न देरी से भरने को लेकर ब्याज भुगतान के लिए कंपनी को इस तरह की छोटी राशि के लिए भी नोटिस भेजे जा रहे हैं। केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड ने जीएसटी ब्याज मद में बकाया 46,000 करोड़ रुपये की वसूली को लेकर निर्देश मिलने के बाद क्षेत्रीय अधिकारी इन दिनों वसूली का नोटिस भेजने में व्यस्त हैं और कुछ मामलों में तो 10 रुपये से भी कम का भुगतान करने के लिए नोटिस भेजे गए हैं।
इक्विटी इन्फॉर्मेशन सेवा से जुड़े एक ग्राहक को 5 रुपये की ब्याज राशि जमा कराने को कहा गया है, वहीं एक अन्य से 2 रुपये का बकाया मांगा गया है। एक कंपनी को तो शून्य रुपये का नोटिस भेजा गया है, क्योंकि उन पर पूर्ण अंक में इतनी ही देनदारी बन रही थी। वित्त वर्ष 2020 में जीएसटी संग्रह के लक्ष्य को पूरा करने के लिए विभाग ब्याज मद में बकाया राशि को वसूलने में सख्ती दिखा रहा है। अप्रैल से जनवरी के दौरान केंद्रीय जीएसटी संग्रह 10.4 फीसदी बढ़ा है जबकि पूरे वित्त वर्ष के संशेधित लक्ष्य को हासिल करने के लिए बाकी बचे दो महीने में कर संग्रह 21 फीसदी बढऩी चाहिए। विशेषज्ञों का कहना है कि इतनी मामूली राशि के लिए नोटिस जारी करना कारोबारी सुगमता के बजाय कर आतंकवाद को बढ़ावा देने की तरह है। तय समय पर रिटर्न नहीं भरने पर केंद्रीय जीएसटी के लिए प्रतिदिन के हिसाब से 100 रुपये और राज्य जीएसटी के लिए भी इतनी ही राशि का विलंब शुल्क वसूला जाता है। इसके साथ ही इस पर 18 फीसदी का ब्याज भी वसूला जाता है। विभाग ने स्पष्ट किया है करदाता अपनी देनदारी के एक हिस्से का नकद भुगतान कर सकते हैं शेष इनपुट टैक्स क्रेडिट में समायोजित करा सकते हैं।
एएमआरजी एसोसिएट के पार्टनर रजत मोहन ने कहा कि मामूली रकम के लिए कर नोटिस जारी करने से कर आतंकवाद को बढ़ावा मिलेगा, वहीं कारोबारियों के बीच नकारात्मक धारणा बनेगी। सीबीआईसी ने 10 फरवरी को लिखे पत्र में क्षेत्रीय अधिकारियों से कहा है कि वह ब्याज देनदारी नहीं चुकाने वालों से उसकी वसूली की प्रक्रिया शुरू करें। हालांकि इसमें स्पष्टता नहीं है कि ब्याज सकल कर देनदारी पर वसूली जाएगी या शुद्घ नकद देनदारी पर। डेलॉयट इंडिया के एमएस मणि ने कहा कि अगर कर अधिकारी द्वारा केवल शुद्घ देनदारी पर ब्याज वसूली के स्पष्ट निर्देश दिए जाते हैं तो कारोबारी इसका स्वागत करेंगे।
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