इंडिगो, स्पाइसजेट व अन्य की मिलीभगत के साक्ष्य नहीं | रॉयटर्स / नई दिल्ली February 19, 2020 | | | | |
भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) के जांचकर्ताओं को देश की सबसे बड़ी एयरलाइंस इंडिगो व 4 अन्य प्रतिस्पर्धी विमान कंपनियों को टिक ट के दाम तय करने में मिलीभगत के कोई साक्ष्य नहीं मिले हैं। इस मामले से जुड़े 3 सूत्रों ने रॉयटर्स को यह जानकारी दी है। सीसीआई ने कुछ मार्गों पर इंडिगो, स्पाइसजेट, गोएयर और सरकारी कंपी एयर इंडिया और अब बंद हो चुकी जेट एयरवेज के एकसमान किराये की पेशकश को लेकर शिकायत मिलने पर प्रतिस्पर्धा रोधी गतिविधि के आरोपों की जांच 2015 में शुरू की थी।
सीसीआई की जांच में एयरलाइंस के टिकट के दाम तय करने के तरीकों की जांच शामिल थी। तीन सूत्रों ने कहा कि जांच में पाया गया कि सभी 5 एयरलाइंस स्वतंत्र रूप से काम कर रही थीं। एक सूत्र ने कहा, 'कार्टलाजेशन का कोई सीधा साक्ष्य नहीं मिला है।' उन्होंने कहा कि जांच में कीमतें तय करने को लेकर एयरलाइंस के अधिकारियों के बीच किसी चर्चा के भी सबूत नहीं मिले हैं। सस्ती विमान सेवा प्रदाता और देश की सबसे बड़ी विमान सेवा कंपनी इंडिगो ने एक बयान में कहा कि 'इस मामले में कोई मेरिट नहींं है' और कंपनी इस मामले में जांच में पूरी तरह से सहयोग कर रही है।
इस मामले में दूसरी बड़ी विमान सेवा कंपनी स्पाइसजेट, गो एयर, एयरइंडिया और जेट एयरवेज ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। सीसीआई ने रॉयटर्स की ओर से पूछे गए सवालों का कोई उत्तर नहीं दिया। अगर इन कंपनियों के खिलाफ सबूत पाए जाते तो हर साल तय मूल्य से हुए मुनाफे के तीन गुने तक या सालाना राजस्व का 10 प्रतिशत, जो भी ज्यादा हो, जुर्माना लगाया जा सकता था। भारत की विमान सेवा कंपनियां पहले से ही यात्रियों की संख्या की वृद्धि दर कम होने की समस्या से जूझ रही हैं।
सीसीआई की जांच दो चरणों में हुई, जिसे उसकी सामान्य प्रक्रिया के तर्ज पर सार्वजनिक नहीं किया गया। इस जांच के परिणाम की समीक्षा कर रहे एजेंसी के वरिष्ठ सदस्यों ने कहा कि अभी अंतिम फैसला नहीं हुआ है और जांच को आगे और बढ़ाया जा सकता है। लेकिन दो सूत्रों ने कहा कि एयरलाइंस को साफ पाक करार दिया जा सकता है। सीसीआई की जांच इकाई ने पहले ही 2016 में रिपोर्ट दे दी है, जिसमें कहा गया है कि कोई प्रतिस्पर्धारोधी गतिविधि नहीं पाई गई है। एक दूसरे सूत्र ने कहा कि एजेंसी ने सीट आवंटन के तरीके और किराया तय करने वाले सॉफ्टवेयर की आगे और जांच के निर्देश दिए थे।
प्रतिस्पर्धा से जुड़े मामलों के वकील गौतम शाही, जो इस मामले से नहीं जुड़े हुए हैं, ने कहा कि जांच में कोई अवैध गतिविधि नहीं पाया जाना इस क्षेत्र के लिए बड़ी राहत है, जो इस समय संकट से जूझ रहा है। प्रतिस्पर्धा आयोग की 2018 की एक और जांच में पाया गया था कि इंडिगो, जेट एयरवेज और स्पाइसजेट ने ईंधन अधिभार दरों को लेकर सांठगांठ की है और उन पर 54.4 करोड़ रुपये जुर्माना लगाया था। एयरलाइंस ने इस फैसले के खिलाफ अपील की है।
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