उत्तर प्रदेश में विपक्षी दल सपा, बसपा और कांग्रेस ने भाजपा सरकार पर दलितों के प्रति संवेदनहीन होने का आरोप लगाया है। अपना विरोध जताने के लिए सोमवार को विपक्षी दलों ने विधानसभा से बहिर्गमन किया। कानपुर देहात के मंगता गांव में 13 फरवरी को दो गुटों के बीच संघर्ष में 25 लोग घायल हो गए थे। शून्यकाल के दौरान बसपा नेता लालजी वर्मा ने यह मुद्दा उठाया और आरोप लगाया कि राज्य सरकार दलितों के प्रति संवेदनहीन है। उन्होंने पीडि़तों के लिए मुआवजे की मांग की। कांग्रेस नेता आराधना मिश्रा मोना ने भी वर्मा की बात का समर्थन करते हुए इस घटना को गंभीर बताया। इस पर सदन में मौजूद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा, 'बसपा नेता लालजी वर्मा और कांग्रेस नेता श्रीमती आराधना मिश्रा ने जो बात रखी है, वह वास्तव में गांव का स्थानीय विवाद है और पुलिस ने घटना की जानकारी मिलने के बाद तत्काल मौके पर जाकर आवश्यक कार्रवाई की है। गांव में प्रशासन तैनात है और शांति बनी हुई है। घटना की जानकारी मिलने के तत्काल बाद सरकार और प्रशासन ने इस मामले में एफआईआर दर्ज करने के साथ 13 लोगों को गिरफ्तार भी किया है।' उन्होंने कहा कि प्रशासन ने घायलों का उपचार कराने की जिम्मेदारी ली है। मुख्यमंत्री ने राज्य सरकार की उपलब्धियों और लक्ष्यों का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा, 'हमने तय किया है कि 2022 तक बिना भेदभाव के हर गरीब के सिर पर छत देने देंगे। भाजपा ने हर गरीब को शौचालय भी बनाकर दिया है। उन्होंने कहा कि स्थानीय विवादों का हल स्थानीय स्तर पर होना चाहिए। हालांकि विपक्ष मुख्यमंत्री के जवाब से संतुष्ट नहीं हुआ और सदन से अपने सदस्यों के साथ बहिर्गमन किया।
