पीएमसी बैंक को आयकर विभाग से झटका | |
देव चटर्जी / मुंबई 02 17, 2020 | | | | |
► सितंबर 2019 में आरबीआई ने प्रशासक नियुक्त किया था
► बैंक ने आयकर विभाग से टीडीएस कटौती पर मांगी थी छूट
► आयकर विभाग ने बैंक के आग्रह को ठुकरा दिया
► अब आयकर विभाग ने ब्याज भुगतान पर टीडीएस देने को कहा
जमाकर्ताओं के पुनर्भुगतान में चूक का सामना कर रहे पीएमसी बैंक को आयकर विभाग से भी झटका लगा है। विभाग ने बैंक को सभी जमाओं के ब्याज भुगतान पर स्रोत पर कर कटौती (टीडीएस) काटने को कहा है लेकिन बैंक के पास ब्याज देने तक के भी पैसे नहीं हैं। पीएमसी बैंक ने पिछले साल 9,000 करोड़ रुपये की जमाओं के पुनर्भुगतान में चूक की थी और उसके बाद से ही बैंक खाताधारकों के खातों में सांकेतिक ब्याज जमा कर रहा था ताकि किसी तरह की कानूनी समस्या न हो। घटनाक्रम से जुड़े एक सूत्र ने कहा, 'बैंक के पास ब्याज देने के लिए पैसे नहीं बचे हैं लेकिन वह जमाकर्ताओं के खाते को बरकरार रखने के लिए ब्याज का भुगतान कर रहा है। लेकिन आयकर विभाग ने बैंक से उस पर टीडीएस काटने को कहा है, जिससे बैंक के अधिकारी सकते में हैं।' दिसंबर तिमाही में बैंक ने आयकर विभाग को 7 करोड़ रुपये का टीडीएस दिया था।
सूत्रों ने कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक ने पिछले साल सितंबर में बैंक के लिए एक प्रशासक नियुक्त किया था। इसके बाद बैंक ने खाताधारकों के खातों में सांकेतिक ब्याज भुगतान पर टीडीएस कटौती में छूट देने की मांग की थी। लेकिन बैंक के इस आग्रह को मुंबई टीडीएस विभाग ने जनवरी में खारिज कर दिया था। पिछले साल दिसंबर में विभाग के अधिकारी बैंक भी गए थे ताकि पता लगाया जा सके कि टीडीएस का भुगतान किया गया है या नहीं। बैंक को परिचालन से अभी कोई कमाई नहीं हो रही है लेकिन सरकार से राहत की उम्मीद में उसने जमाकर्ताओं के खाते की राशि पर ब्याज का भुगतान करने का निर्णय किया था।
हालांकि उसे राहत तो नहीं मिली, उलटे मार्च तिमाही के लिए टीडीएस का भुगतान करने का निर्देश दिया गया है। एक सूत्र ने कहा, 'घोटाले के खुलासे के बाद बैंक के पास खातों में केवल 200 करोड़ रुपये बचे थे। अब कर विभाग टीडीएस के तहत उसमें से भी पैसे ले रहा है। प्रोत्साहन मिलने की जगह बैंक जमा पैसे भी गंवा रहा है।'
पीएमसी बैंक ने खस्ताहाल रियल एस्टेट कंपनी एचडीआईएल को काफी कर्ज दिया था, जिसके बाद से ही बैंक संकटों में घिरा है। भारतीय रिजर्व बैंक ने पिछले साल नंवबर को बंबई उच्च न्यायालय को सूचित किया था कि बैंक ने विशेष कोड का उपयोग कर एचडीआईएल के सैकड़ों फर्जी ऋण खातों को छिपाया था। बैंक के शीर्ष प्रबंधन और निदेशकों की ही इन खातों तक पहुंच थी।
जांच में एचडीआईएल और पीएमसी बैंक के शीर्ष अधिकारियों के बीच संबंधों का पता चला। इन अधिकारियों की एचडीआईएल में ही हिस्सेदारी थी। पीएमसी बैंक के पूर्व चेयरमैन और एचडीआईएल के पूर्व निदेशक वरियम सिंह के पास सितंबर 2017 तक (कंपनी के दिवालिया अदालत में जाने से पहले तक) एचडीआईएल में 1.91 फीसदी हिस्सेदारी थी। किसी समय एचडीआईएल शीर्ष डेवलपरों में से एक थी और वैश्विक निवेशकों की चहेती थी। लेकिन भारी कर्ज, नकदी संकट और मुंबई हवाई अड्डा परियोजनाओं में देरी के कारण उसकी मुश्किलें बढ़ गईं।
जमाकर्ताओं के पैसों का भुगतान करने में विफल रहने पर खाताधारक बैंक के खिलाफ सड़कों पर उतर आए। बाद में एचडीआईएल के प्रवर्तकों और वरियम सिंह को गिरफ्तार भी किया गया। मामले की जांच प्रवर्तन निदेशालय कर रहा है। सरकार ने इस साल बजट में बैंक जमा पर बीमा बढ़ाकर 5 लाख रुपये कर दिया है। ऐसे में अगर पीएमसी बैंक डूबता है तो उसके जमाकर्ताओं को 5 लाख रुपये तक मिल सकते हैं।
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